नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है। पार्टी के 21 विधायकों पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है। इन विधायकों को बीते साल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था। अब इन विधायकों को 'लाभ का पद' रखने के मामले में अयोग्य करार दिया जा सकता है।
इन विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए बीते साल जून में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी याचिका दी चुकी है। चुनाव आयोग ने विधायकों को 11 अप्रैल तक इस याचिका पर जवाब देने का समय दिया था। हालांकि संबंधित 21 विधायकों ने शुक्रवार को इस याचिका पर जवाब देने के लिए 6 से आठ हफ्ते का और समय मांगा है। इसके पीछे वजह यह दी गई है कि संसदीय सचिवों को मिलने वाली सुविधाओं और भत्तों के बारे में सरकार से जानकारी लेने के लिए और समय की जरूरत है, क्योंकि इसके लिए सरकार के अलग-अलग विभागों से जानकारी लेनी होगी।
इसके साथ ही बता दे की पिछले साल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने का बीजेपी और अन्य पार्टियों ने विरोध भी किया था। विपक्ष का आरोप था कि इन 21 विधायकों को मंत्रियों की तरह सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे दिल्ली की जनता पर बोझ पड़ेगा। गौरतलब है कि 1993 में दिल्ली विधानसभा के दोबारा गठन के बाद से किसी भी सरकार में तीन से ज्यादा संसदीय सचिव नहीं रहे हैं।
मुख्य बिन्दु
- पार्टी के 21 विधायकों पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है।
- इन 21 विधायको को बीते साल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था|
- लाभ का पद रखने के मामले में अयोग्य करार दिया जा सकता है।
- बीते साल जून में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी याचिका दी चुकी है|
- चुनाव आयोग ने 11 अप्रैल तक जवाब देने का समय दिया था।
- विधायकों ने शुक्रवार को इस याचिका पर जवाब देने के लिए 6 से आठ हफ्ते का मांगा और समय|
-1993 में दिल्ली विधानसभा के दोबारा गठन के बाद से किसी भी सरकार में तीन से ज्यादा संसदीय सचिव नहीं रहे हैं।
13th April, 2016