यूरिड मीडिया डेस्क-- इंसान अगर नौकरी करें तो यह सुनकर कुछ नया नहीं लगता, लेकिन अगर आपसे कहा जाये कि जानवर भी नौकरी करते हैं तो आपको यह सुनकर कैसा लगेगा। जी हाँ, यह बिल्कुल सच है कि दुनिया के बहुत सारे जानवर ऐसे हैं, जो इन्सानों की तरह नौकरी करते हैं। यह तो सबको पता ही है कि जानवर बहुत पुराने समय से इंसानों की मदद करते रहे हैं। आज भी कई जगह जानवरों को नौकरी पर रखा जाता है। तो चलो, जानते हैं, कुछ ऐसे अनोखे जानवरों के बारे में जो करते हैं जॉब|
मधुमक्खियां हैं ''जासूस''--
- बहुत कम लोगों को पता होगा कि मधुमक्खियां कई तरह के विस्फोटकों (बम आदि) का पता लगाने का काम डॉग्स जितना ही बेहतर तरीके से कर सकती हैं।
- अगर उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी जाए तो। ये डॉग्स की तरह बहुत दूर से नजर भी नहीं आतीं।
''गूगल'' में काम करती हैं ''बकरियां''--
- सर्च इंजन गूगल के बारे में तो जानते ही होगे। गूगल दुनिया की बहुत बड़ी कंपनी है और इसका ऑफिस भी बहुत बड़ा है।
- गूगल के ऑफिस के लॉन की घास जब बढ़ जाती है तो उसे काटने के लिए मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, क्योंकि मशीन की आवाज और धुएं से वहां काम करने वाले लोगों को परेशानी होती है। इसलिए कंपनी ने इसके लिए एकदम अनोखा रास्ता निकाला है, जो ईको-फ्रेंडली भी है। गूगल ने 200 बकरियों को नौकरी पर रखा हुआ है, जो लॉन की घास बिना शोर-शराबा किए चर जाती हैं।
''वेटर'' हैं बंदर--
- एक जापानी रेस्टोरेंट ‘कायाबुकिया तावर्न’ ने दो बंदरों को काम पर रखा है।
- जो बिल्कुल आम वेटरों की तरह ग्राहकों को खाना सर्व करते हैं, उनकी मदद करते हैं।
- याट चैन नाम का बंदर एक टेबल से दूसरे टेबल तक दौड़ता रहता है और कस्टमर्स से ऑर्डर लेता है।
- दूसरा बंदर फुकु चान ग्राहकों को हाथ धोने में मदद करता है, उन्हें हाथ पोंछने के लिए तौलिया देता है।
- लोग इन्हें टिप भी देते हैं। हालांकि वे टिप में उन्हें पैसे नहीं, बल्कि सोयाबीन के दाने देते हैं।
जुगनू देते हैं ''लाइट'' की सप्लाइ--
- पहले युद्ध के दौरान सैनिकों को अपने बंकरों में अंधेरे की वजह से नक्शे देखने या जरूरी कागज पढ़ने में बहुत दिक्कत आती थी।
- वे वहां रोशनी कर नहीं सकते थे, क्योंकि दुश्मन को इससे पता लग सकता था और वे हमला कर सकते थे।
- ऐसे में इस समस्या से निबटने के लिए जुगनुओं का सहारा लिया गया।
- जुगनुओं की रोशनी में नक्शों और जरूरी कागजातों को पढ़ा जा सकता था और दुश्मन दूर से जुगनुओं को देख भी नहीं सकते थे।
बंदर करते हैं ''नारियल'' का बिसनेस--
- नारियल के पेड़ पर चढ़ना और उन्हें तोड़ना काफी मुश्किल होता है।
- यह काम मशीन से करना संभव नहीं होता, इसलिए हाथों का इस्तेमाल करना पड़ता है।
- यह काम करते वक्त सिर पर नारियल गिरने का खतरा भी बना रहता है, साथ ही कई बार नारियल तोड़ने वाले पेड़ से गिर भी जाते हैं।
- इस समस्या से निबटने के लिए भारत और थाईलैंड में नारियल की खेती करने वाले किसानों ने बंदरों को ट्रेनिंग दी है।
- ये बंदर पेड़ पर चढ़ते हैं और नारियल को पेड़ से तोड़ते हैं। इसके बदले में उन्हें खाना मिलता है।
''इलेक्ट्रिशियन'' हैं फेरेट--
- फेरेट नेवले जैसा एक जानवर होता है। यह वार्यंरग में इलेक्ट्रिशियनों की मदद करता था।
- बिल्डिंग बनने के दौरान कुछ-कुछ जगहें इतनी संकरी होती थीं कि वहां इलेक्ट्रिशियन के हाथ नहीं पहुंच पाते थे। ऐसी जगहों पर वे अपने पारंपरिक टूल्स का भी इस्तेमाल नहीं कर पाते थे। इसका एक शानदार तरीका निकाला हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी बोइंग ने। वायरिंग के तार को फेरेट से जोड़ दिया गया, जहां तार बिछाना था, वहां खाने की चीजें रख दी गईं। खाने के लालच में फेरेट तार को प्लेन के तंग स्थानों में आसानी से बिछा देते थे।
- काफी समय तक फेरेट का इस्तेमाल वार्यंरग के लिए किया जाता रहा।
5th June, 2016