लखनऊ
:-
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक के सभी विधार्थीयोंं को अनिवार्य धार्मिक शिक्षा देने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों में संबधित अधिकारियों को निर्देश जारी करने से मना कर दिया। हालांकि अदालत ने कहा कि धार्मिक और नैतिक शिक्षा का अपना महत्व है। अदालत की लखनउ पीठ में न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी की खंडपीठ ने 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' (HFJ) की जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह बात कही। संगठन ने सभी विधार्थीयोंं
को अनिवार्य धार्मिक शिक्षा देने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।
'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' की ओर से दलील दी गयी कि संविधान लागू होने के 66 साल बाद भी स्कूलों के पाठ्यक्रम में धार्मिक और नैतिक शिक्षा को उचित स्थान नहीं मिला है जिसके चलते युवा पथ भ्रष्ट हो जाते हैं और इसी वजह से समाज में बुराइयां बढ़ रहीं हैं।
क्लिक करे-- ASP क्राइम का स्टेनो अवैध असलहा रखने के आरोप में गिरफ्तार !
:-
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक के सभी विधार्थीयोंं को अनिवार्य धार्मिक शिक्षा देने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों में संबधित अधिकारियों को निर्देश जारी करने से मना कर दिया। हालांकि अदालत ने कहा कि धार्मिक और नैतिक शिक्षा का अपना महत्व है। अदालत की लखनउ पीठ में न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी की खंडपीठ ने 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' (HFJ) की जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह बात कही। संगठन ने सभी विधार्थीयोंं
को अनिवार्य धार्मिक शिक्षा देने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।
क्लिक करे-- ASP क्राइम का स्टेनो अवैध असलहा रखने के आरोप में गिरफ्तार !
20th August, 2016