मुंबई:-
रियो ओलंपिक 2016 में देश का नाम ऊंचा करने वाली इन बेटियों के लिए बॉलीवुड के मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने एक कविता लिखी। प्रसून जोशी ने अपनी इस कविता के जरिए उस समाज के मुंह पर एक तमाचा जड़ा है, जो बेटियों को बोझ समझता है, जो बेटियों को कोख में ही मार देता है और जो बेटियों के जन्म पर खुशियां नहीं मातम मनाता है। मशहूर लेखक प्रसून जोशी ने समाज के इस पूरे रवैये पर अपनी कविता के जरिए तीखी टिप्पणी की है, जिसे उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया। यह कविता अब वायरल हो चुकी है।
अब शर्म आ रही है ना-
- प्रसून ने कविता के जरिए बताया है कि नाम ऊंचा करने वाली इन बेटियों को अक्सर सिर्फ इसलिए कम आंका जाता रहा क्योंकि वे महिलाए हैं।
- लेकिन बेटी को तो सवेरा लाना था और वे ला भी रही हैं।
- प्रसून ने अपनी कविता के जरिए बताया है कि नन्ही सी बिटिया के हाथों में ही सूरज था, लेकिन हम उसकी मुट्ठियों में रोशनी नहीं, उसका लड़की होना देख रहे थे।
- लेकिन अब शर्म आ रही है ना... और शर्म आनी चाहिए शायद हम सबको...
रियो ओलंपिक 2016 में देश का नाम ऊंचा करने वाली इन बेटियों के लिए बॉलीवुड के मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने एक कविता लिखी। प्रसून जोशी ने अपनी इस कविता के जरिए उस समाज के मुंह पर एक तमाचा जड़ा है, जो बेटियों को बोझ समझता है, जो बेटियों को कोख में ही मार देता है और जो बेटियों के जन्म पर खुशियां नहीं मातम मनाता है। मशहूर लेखक प्रसून जोशी ने समाज के इस पूरे रवैये पर अपनी कविता के जरिए तीखी टिप्पणी की है, जिसे उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया। यह कविता अब वायरल हो चुकी है।
- प्रसून ने कविता के जरिए बताया है कि नाम ऊंचा करने वाली इन बेटियों को अक्सर सिर्फ इसलिए कम आंका जाता रहा क्योंकि वे महिलाए हैं।
- लेकिन बेटी को तो सवेरा लाना था और वे ला भी रही हैं।
- प्रसून ने अपनी कविता के जरिए बताया है कि नन्ही सी बिटिया के हाथों में ही सूरज था, लेकिन हम उसकी मुट्ठियों में रोशनी नहीं, उसका लड़की होना देख रहे थे।
- लेकिन अब शर्म आ रही है ना... और शर्म आनी चाहिए शायद हम सबको...
24th August, 2016