वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में इकोनॉमिक सर्वे 2016-17 पेश किया. इस साल के इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने जीडीपी ग्रोथ रेट का पहला एडवांस एस्टीमेट जारी करते हुए कहा है कि वित्त वर्ष 2016-17 केे दौरान विकास दर 7.1फीसदी रहेगी. वहीं वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अनुमान जारी किया है कि विकास दर 6.75 - 7.50 फीसदी के बीच रह सकती है.
नोटबंदी से पहले वित्त वर्ष 2016-17 के लिए आर्थिक विकास दर का सरकारी अनुमान 7.1 फीसदी था. नोटबंदी के बाद आईएमएफ ने वर्ष 2016-17 के लिए इसे घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया था वहीं 2017-18 के लिए 7.2 फीसदी विकास दर का अनुमान दिया है. वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ताजा अनुमान जाहिर किया है कि अगले दो वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर 6.5 फीसदी तक रह सकती है.
अर्थव्यवस्था को 3 अहम खतरे
अपने पहले इकोनॉमिक सर्वे 2014-15 में अरविंद सुब्रमण्यन ने रीटेल में एफडीआई के लिए उदार नीतियों की घोषणा की थी जबकि मौजूदा सरकार इस सेक्टर में निवेश के लिए इतनी उदार नहीं थी. इसके अलावा अब इस सर्वे में सुब्रमण्यन से इन 3 खतरों का जिक्र किया है जिससे अर्थव्यवस्था को सतर्क रहने की जरूरत है.
1. इस सर्वे में सुब्रमण्यन ने कहा कि देश में नोटबंदी के आफ्टर इफेक्ट से देश को उबारने के लिए अहम कदम उठाए जाने की जरूरत है. हालांकि सर्वे के मुताबिक शॉर्ट टर्म में नोटबंदी का कदम अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है लेकिन लॉंग टर्म में इसके बड़े फायदे देखने को मिलेंगे. नोटबंदी से पैदा हुई दिक्कतों को दूर करने के लिए सर्वे में सुझाव दिया गया है कि सरकार को जल्द से जल्द करेंसी रीमॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया को पूरा करने के साथ-साथ रियल एस्टेट सेक्टर को जीएसटी के दायरे में लाने पर फैसला लेने की जरूरत है.
2. ऐसे समय में जब अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट, मेक इन अमेरिका और अमेरिकियों के लिए नौकरी जैसी संरक्षण की नीतियों को हवा दे रहे हैं, सर्वे में जिक्र किया गया है कि इसका नकारात्मक असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने का खतरा है. इसके साथ ही अमेरिका में बदलती नीतियों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बदलती तस्वीर को देखते हुए भारत को अपनी नीतियों को मजबूत करना होगा जिसस लंबे वक्त तक इसका नुकसान अर्थव्यवस्था को न उठाना पड़े.
3. आर्थिक सर्वे में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने तीसरा सबसे बड़ा खतरा वैश्विक स्तर पर बढ़ते क्रूड ऑयल की कीमतों से है. गौरतलब है कि बीते तीन वर्षों के दौरान ग्लोबल क्रूड की कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज हुई थी जिसका सीधा फायदा भारत जैसे विकासशील देश को सस्ते क्रूड के चलते देखने को मिला है.
31st January, 2017