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मायावती का सपाई प्रेम, हताशा की झलक- स्टेट गेस्ट हाउस कांड की सिहरन अभी बाकी है

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मायावती का सपाई प्रेम, हताशा की झलक- स्टेट गेस्ट हाउस कांड की सिहरन अभी बाकी है

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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती को अब लोकतंत्र की याद आ रही है। बसपा में तानाशाही कायम रखने के लिए दलित नेता को देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए अब किसी से भी गठजोड़ करने में गुरेज नही है चाहे वे 2 जून 1995 के गुनहगार ही क्यों ना हो। मायावती की इस पहल का सबसे पहले स्वागत !! भारत माता को डायन कहने वाले और मायावती के लिए समय-समय पर बेमेल बचन बोलने वाले आजम खां ने किया है। गठजोड़ की यह राजनीतिक पहल जो कुछ भी हो परन्तु सामाजिक व्यवहार तथा एक दूसरे के खिलाफ दुराग्रह की घटनाएं कुछ अलग ही कहानी कह रही है।

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