आज हम आपको एक ऐसी फोटो दिखाने जा रहे है जिसे देख पूरी दुनिया तो हिल गयी और उस तस्वीर को लेने वाले फोटोग्राफर को पुलिट्जर पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था पर उस फोटो को लेने वाले फोटोग्राफर (केविन कार्टर) ने आत्महत्या कर ली... जब आत्महत्या के कारणों को जान्ने की कोशिस की तो हम ही नहीं दुनिया भी हैरान रह गयी... सन 1993 सूडान में भयानक अकाल पड़ा जिसमे लाकों लोग मौत का आगोश में चले गए... फोटोग्राफर केविन कार्टर को अपने काम के प्रति इतना लगाव था की वह दक्षिण अफ्रीका से सूडान पहुच गए और वो अकाल पीड़ितों के साथ रहने लगे.केविन कार्टर जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए थे कार्टर एक मध्यवर्ती वर्ग में, केवल सफेद-पड़ोस पड़ोस में बड़ा हुआ था।
हाई स्कूल के बाद, कार्टर ने अपने अध्ययन से बाहर फार्मासिस्ट बनने के लिए छोड़ दिया और सेना में तैयार किया गया पैदल सेना से बचने के लिए
उन्होंने वायु सेना में भर्ती कराया जिसमें उन्होंने चार साल तक काम किया। 1 9 80 में, उन्होंने एक काला मेस-हॉल के वेटर का अपमान किया
कार्टर ने उस व्यक्ति का बचाव किया, जिसके परिणामस्वरूप उसे अन्य सैनिकों द्वारा बुरी तरह पीटा गया। उसके बाद वह AWOL चला गया
"डेविड" नामक एक रेडियो डिस्क-जॉकी के रूप में एक नया जीवन शुरू करने का प्रयास किया। हालांकि
यह अनुमान लगाया गया था की तुलना में अधिक कठिन साबित हुआ
उसके तुरंत बाद, उसने अपनी शेष सैन्य सेवा की सेवा करने का फैसला किया 1983 में प्रिटोरिया में चर्च स्ट्रीट की बमबारी देखने के बाद
उन्होंने एक समाचार फोटोग्राफर और पत्रकार बनने का फैसला किया..उसका खुलासा फोटोग्राफर द्वारा लिखे सुसाइड नोट से हुआ
उन्होंने लिखा की मुझे वास्तव में सचमुच खेद है। जीवन का दर्द उस बिंदु पर खुशी को ओवेर्राईट करता है कि खुशी मौजूद नहीं है
... मैं उदास हूँ ... बिना फोन ... किराया के लिए पैसा ... बच्चे के समर्थन के लिए पैसा ...
कर्ज के लिए पैसा ... पैसा! !! ... मैं हत्याओं और लाशों की गंभीर यादों और गुस्सा और दर्द से बचता हूं
... भूख से मर रहे घायल बच्चों की कोई मदद यहाँ नहीं हो रही... और मैं अपने काम के प्रति कितना स्वार्थी
हो चूका हूँ की मुझे किसी के जीवित रहने या मरने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है...
लानत है ऐसे जीवन पर...बस इन्ही चंद लाइनों के साथ इस महान फोटोग्राफर ने मौत को अपने गले लगा लिया
1st May, 2017