* शनिवार, 13 मई 2017,
* चन्द्र राशि- वृश्चिक,
* कृष्णपक्ष- तृतीया
* दिशा शूल- पूर्व में,
* चन्द्रवास- उत्तर में...
हर श्रद्धालु के मन में जीवन में एक बार चारधाम यात्रा का सपना जरूर होता है क्योंकि यह सर्वोत्तम धर्मकर्म माना जाता है. हिमालय क्षेत्र के चार धाम में बद्रीनाथ के अलावा केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री शामिल हैं लेकिन संपूर्ण चारधाम हैं- बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम् और द्वारका!
हिमालय के शिखर पर स्थित बद्रीनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है. बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है. बद्रीनाथ स्वरूप भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी. बद्रीनाथ के दर्शन से पूर्व केदारनाथ के दर्शन करने का अत्यधिक महत्व है.
ओडिशा राज्य में समुद्र के तट पर बसे चार धामों में से एक जगन्नाथपुरी अद्भुत है. जगन्नाथ का भावार्थ है... जगत का स्वामी! यह देवालय भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है.
इस मंदिर की वार्षिक रथयात्रा प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा, तीनों अलग-अलग भव्य सुसज्जित रथों में विराजमान होकर यात्रा के लिए निकलते हैं.
तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे है तीसरा धाम रामेश्वरम्. यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ सुंदर शंखाकार आकार द्वीप है. रामेश्वरम् में स्थापित शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. मान्यता अनुसार भगवान राम ने रामेश्वरम् शिवलिंग की स्थापना की थी.
गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित चार धामों में से एक और सात पवित्र पुरियों में से एक पुरी है- द्वारका. कहा जाता है कि द्वारका को श्रीकृष्ण ने बसाया था.
यह भी कहते हैं कि असली द्वारका तो समुद्र में समा गई थी लेकिन उसके अवशेष के रूप में आज बेट द्वारका और गोमती द्वारका नामक दो स्थान हैं. इन चारों धाम के मार्ग में देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थल भी आते हैं जिससे समय मिलने पर सभी प्रमुख देवताओं के दर्शन का लाभ भी मिल जाता है.
- राशिफल -
मेष- अष्टम चन्द्र, शिवोपासना करें,
वृष- उत्तम,
मिथुन- उत्तम,
कर्क- सामान्य,
सिंह- सामान्य,
कन्या- उत्तम,
तुला- सामान्य,
वृश्चिक- उत्तम,
धनु- सामान्य,
मकर- उत्तम,
कुम्भ- उत्तम,
मीन- सामान्य...
* यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारण शुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय कासद्उपयोग करें और खराब समय में सतर्क रहें.
- शनिवार का चौघडिय़ा -
दिन का चौघडिय़ा रात्रि का चौघडिय़ा
पहला- काल पहला- लाभ
दूसरा- शुभ दूसरा- उद्वेग
तीसरा- रोग तीसरा- शुभ
चौथा- उद्वेग चौथा- अमृत
पांचवां- चर पांचवां- चर
छठा- लाभ छठा- रोग
सातवां- अमृत सातवां- काल
आठवां- काल आठवां- लाभ
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय पंरपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!