मुंबई के वर्सोवा में एक ऐसी तस्वीर देखने को मिल रही है जिसको देखकर कोई भी सकते में आ जाएगा। यहां ऑटो रिक्शा चलाने वाले मोहम्मद सईद को अपने साथ हर वक्त गोद में ढाई साल के बेटे को रखना पड़ता है। ड्राइविंग के दौरान हालांकि उन्हें काफी कठिनाई होती है, लेकिन वो इस मुसीबत की घड़ी में संघर्ष कर रहे हैं। दरअसल, सईद की पत्नी विक्लांग है और उसका काफी समय से इलाज चल रहा है। सईद अपनी पत्नी के इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए दिन-रात अपने साथ बच्चे रखकर ऑटो चला रहे हैं।
सईद की तस्वीर उस वक्त दुनिया के सामने आई जब किसी ने उनके साथ रोते हुए उनके बच्चे की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। इसके बाद काफी लोग उनकी मदद के लिए आ गए। सईद की तीन साल की बेटी भी है, जिसका पड़ोसी देखभाल कर रहे हैं।
सईद की आर्थिक हालत काफी खराब है। पिछले करीब दो सप्ताह से सईद अपने बेटे मुजम्मिल को भारी गर्मी के बीच ऑटो में बैठाकर सवारियों को छोड़ रहे हैं। सईद की पत्नी यास्मीन को स्ट्रोक के कारण लकवा मार गया है। उनकी तीन महीने की बेटी मुस्कान की देखरेख उनके पड़ोसी कर रहे हैं।
पड़ोसी के तीन बच्चे हैं और ऐसे में वह सईद के दो बच्चों को अपने छोटे से घर में रख पाने में असमर्थ थे। 26 वर्षीय सईद ने बताया कि उनके और यास्मीन के परिवार के लोगों ने भी मुंबई आकर यास्मीन और बच्चों की देखभाल करने में असमर्थता जता दी है। सईद यूपी के गोरखपुर के रहने वाले हैं और यास्मीन के परिजन बेंगलुरु में रहते हैं।
सईद ने बताया कि इन हालात में घर और बच्चों की देखभाल की सारी जिम्मेदारी उनके सिर आ गई। उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी को शरीर के बायें हिस्से में लकवा मार गया है। उसे तीन सप्ताह पहले स्ट्रोक आया और मैं उसे तुरंत कूपर अस्पताल ले गया था। अभी उसका MRI टेस्ट होना है और मैं उसके इलाज के लिए पैसे जुटा रहा हूं।’
सईद की हालत जानने के बाद फिल्म निर्देशक और पूर्व पत्रकार विनोद कापड़ी ने ऑटो चालक सईद का नंबर ट्वीट किया था। उन्होंने अपनी ट्वीट में कहा था, ‘यह हृदयविदारक है, आज मैं मोहम्मद सईद से पत्नी को लकवा मार गया है। सईद के बेटे की देखभाल के लिए कोई नहीं है। वह लड़ रहा है और ऑटो चला रहा है।’
इसके बाद सईद के पास काफी लोगों के कॉल मदद के लिए आ रहे हैं। कापड़ी ने एक एनजीओ का बैंक अकाउंट नंबर ट्वीट किया है। एनजीओ के अधिकारी ने बताया है कि कुछ लोगों ने अकाउंट में पैसे जमा करवाया है और अभी भी लगातार उनके पास मदद के लिए कॉल आ रहा है।
सईद ने बताया, ‘मुझे मुंबईवासियों पर पूरा भरोसा है। मुझे नहीं पता है कि अकाउंट में कितने पैसे जमा कराया गया है। मैं बैंक जाकर देखूंगा। अपनी पत्नी और बच्चों के लिए मैं भी पैसे जुटा रहा हूं। इसके बाद मैं सरकारी अस्पताल में अपनी पत्नी का इलाज कराऊंगा।’
उन्होंने बताया, ‘डॉक्टरों ने मुझे कहा कि यहां इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लेकिन उसे रोजाना करीब एक हजार रुपये खर्च करने होंगे। एक बार पत्नी के अस्पताल में भर्ती होने के बाद मुझे काम रोक देना होगा और मुझे उसकी देखभाल के लिए उसके पास ही रहना होगा।’