लखनऊ। न्यायपालिका में पिछले कई महीनों से जारी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। जस्टिस चेमलेश्वर के बाद अब इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया हैं। कोलेजियम के सदस्य वरिष्ठ जज एक-एक कर सरकार की न्यायपालिका में हस्तक्षेप पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसके समाधान के लिए कदम नहीं उठाने से नाराज हैं। शीर्ष अदालत में दूसरे नंबर के वरिष्ठतम जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर की ओर से इस बाबत प्रधान न्यायाधीश [सीजेआई] दीपक मिश्रा को लिखी चिट्ठी सुर्खियों से ओझल भी नहीं हुई कि दूसरे वरिष्ठ जज कुरियन जोसेफ ने भी सीजेआई को पत्र लिख कर जजों की नियुक्ति की कोलेजियम की सिफारिश दबाकर बैठने के सरकार के रवैये पर एतराज जताया है।
जज कुरियन जोसेफ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व संकट में है। उन्होंने सीजेआई से इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर सात वरिष्ठ जजों की पीठ द्वारा खुली अदालत में सुनवाई किए जाने की बात कही है। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने बीते 9 अप्रैल को सीजेआई को पत्र लिखा, जिसमें सरकार पर उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ और वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने की कोलेजियम की सिफारिश दबाकर बैठ जाने का आरोप लगाया गया है। उन्होने कहा कि इतिहास हमें माफ नहीं करेगा अगर शीर्ष अदालत सरकार के कोलेजियम की सिफारिश दबाकर बैठ जाने के रवैये का जवाब नहीं देगी। कोर्ट को मामले में तत्काल दखल देना चाहिए और इस मसले पर जस्टिस करनन के केस की तरह स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की जानी चाहिए।
13th April, 2018