कानपुर:- गर्मी में पानी की भीषण किल्लत के बीच कानपुर की नर्वल तहसील में 22 एकड़ झील ’लापता’ हो गई है | इस झील को माफियाओं ने पाट दिया है और अब यहां खेती की जा रही है | झील के नाम पर फिलहाल रहनस गांव में मकानों के पीछे एक छोटा सा तालाब बचा है | ग्रामीणों के अनुसार, अब तो यहां बारिश का पानी भी नहीं रुकता | जबकि एक वक्त में झील का फैलाव करीब चार किमी आगे गंगा तट तक था |
- झील 1909 के गजेटियर ऑफ कानपुर में अंग्रेज ऑफीसर एचआर नेविल ने इसे कानपुर की सबसे बड़ी झीलों में एक शुमार करते हुए लिखा है |
- रहनस की झील में सारस और अन्य पक्षियों का बसेरा था |
- यहां नावें चलती थीं |
- झील बारिश में कई गांवों को पार कर गंगा तक फैल जाती थी |
- यहां लोग पिकनिक मनाने आते थे |
- वास्तव में इसमें पानी का सोर्स गंगाजल या बारिश थी |
- बुजुर्ग बताते हैं कि 20 साल पहले यहां पानी 20 फुट की गहराई में मिलता था |
- झील सूखने के बाद पानी 80 फुट पर है |
माफियाओं ने पाटा तालाब--
- माफियाओं और दबंगों की मिलीभगत से लोगों ने झील को मिट्टी डालकर पाट दिया |इस जमीन पर मकान बनाए गए |
- खेती भी होने लगी |
- मछली पालने के लिए पट्टे भी दिए गए |
- बारिश में यहां जो थोड़ा बहुत पानी ठहरता है, वह रिवर्स बोरिंग के जरिए जमीन में पहुंचता है या बहाया जाता है |
- दो दशक पहले तक यहां सिंघाड़े की खेती होती थी |
- इससे कई परिवारों का खर्च चलता था |
- अगर यह झील जिंदा हो जाए तो आसपास पर्यटन का स्कोप बढ़ेगा |
तालाबों की हो रही खुदाई--
- एडीएम (फाइनेंस) के अनुसार वित्तीय साल 2015-16 में 5.5 करोड़ रुपये से 392 तालाब खोदे गए |
- 2016-17 में 243 तालाबों को पुनर्जीवन मिलेगा |
- एडीएम (फाइनेंस) शत्रुघ्न सिंह ने बताया, ''मामला जानकारी में है |
- एसडीएम इसे देख रहे हैं |
- नर्वल के एसडीएम विनीत सिंह ने कहा कि ''झील के बारे में कुछ नहीं पता, तहसीलदार और लेखपाल से पूछूंगा'' |
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक--
- सरसौल ब्लॉक के रहनस गांव की झील का क्षेत्रफल करीब 22 एकड़ है |
- यह पूरा एरिया करीब 8.748 हेक्टेयर है यानी करीब 22 एकड़ |
क्या है झील का इतिहास ?
- सैबसू गांव निवासी सिद्वगोपाल साहू ने बताया कि इस झील का निर्माण 80 साल पहले बिल्हौर के जमीदार रतन सिंह ने करवाया था |
- रतन सिंह के परिवार में कई पीढ़ियों से बेटियां पैदा नहीं हुई थीं |
- जब उनकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया तो रतन सिंह ने बेटी का नाम सांभी रखा |
- एक साल बाद बेटी के बर्थडे पर रतन सिंह ने अंग्रेज सरकार से झील के निर्माण के लिए मदद मांगी |
- अंग्रेज सरकार के कलक्टर ने रतन सिंह को मंजूरी के साथ धन भी दिया |
- रतन सिंह ने अपनी 999 बीघे की जमीन को झील में तब्दील कर दिया और झील का नाम सांभी रखा |
बिल्हौर के तहसीलदार व्यास नारायण उमराव ने बताया कि--
- झील का सर्वे शुरू कर दिया गया है |
- लेखपालों की टीम लगाकर झील में पानी पहुंचाने वाली नालियों को खुदवाने का कार्य शुरू करा दिया गया है |
- जल्द ही झील में पानी भरवा दिया जायेगा |
- एसडीएम आलोक कुमार ने बताया-झील को जल्द ही कब्जा मुक्त कराकर इसका पुराना स्वरूप बहाल किया जायेगा, इसके निर्देश जिम्मेदारों को दिए जा चुके हैं |
20th May, 2016