लखनऊ-- लखनऊ के बेलीगारद यानी रेजीडेंसी आज लव पॉइंट बन चुका हैं ये तो आप जानते ही हैं. लेकिन आज हम उस चीज़ से पर्दा उठाने जा रहें हैं जिसे सुनकर आप सोच में पड़ जाएंगे| मगर आप को बता दे की हम इस बात को प्रमाणित नही करते हैं मगर कहा जाता है. कि रेजीडेंसी पार्क में भूतों का वास है।
'नवाबो के शहर में अनेक क्रान्तिकारियों और अंग्रेजों ने अपनी जाने गवाई हैं। 1857 के युद्ध के दौरान रेजीडेंसी पर 30 जून से 25 सितम्बर तक हुए युद्ध में हजारो लोगो ने अपनी जाने गवाई और उन सबको रेजीडेंसी मे ही दफन करना पड़ा था| जिसकी वजह से आज भी उनकी आत्मायें रेजीडेंसी में ही मंडरा रही हैं. जिससें वहाँ भूत, प्रेत का साया हैं|
एक समय था, जब शाम ढलते ही इस जगह पर लोग जाने से कतराते थे। खास बात यह है कि बेलीगारद उस रास्ते पर स्थित है, जो पुराने लखनऊ को नये लखनऊ से जोड़ता हैं| हजरतगंज में रहने वाले लोग रात को पुराने लखनऊ से जाने से कतराते थे।
एक ऐसी घटना जिसे सुन आपकी रूह काँप उठेगी--
रोंगटे खड़े करने वाली एक सच्ची कहानी
" बात 1971 की है, जब लखनऊ विश्वविद्यालय के लाल बहादुर शास्त्र हॉस्टल में पढ़ने वाले तीन दोस्तों के बीच शर्त लगी कि किसमें इतनी हिम्मत है, जो रेजीडेंसी के अंदर रात बिता सके। यहां अकेली रात बिताना हर किसी के बस की बात नहीं, क्योंकि यहां वो कब्रिस्तान है, जिसमें 1857 की जंग में मारे गये अंग्रेजों को दफनाया गया था। सभी कब्रों पर एक-एक पत्थर लगा है और पत्थरों पर मरने वाले का नाम। उन दोस्तों में से एक ने हिम्मत दिखाई और शर्त कबूल कर ली। अगले दिन सफेद रंग के कुर्ते पैजामे में तीनों दोस्त विश्वविद्यालय से निकले और नदवा कॉलेज और पक्का पुल के रास्ते से होते हुए रेजीडेंसी पहुंचे । रात के करीब 11 बजे थे, सन्नाटा छाया हुआ था। सड़क पर महज एक दो इक्के दुक्के (पुराने जमाने में चलने वाले तांगे) ही नजर आ रहे थे । तीनों दोस्त बेलीगारद के अंदर पहुंचे। उन दिनों बेलीगारद के चारों ओर बाउंड्री वॉल टूटी हुई थी, कोई भी आसानी से अंदर जा सकता था। रात के करीबन बारह बजे तीन में से दो उठे और बोले, ठीक है, दोस्त हम चलते हैं, सुबह मिलेंगे। अपने दोस्त को सूनसान कब्रिस्तान में अकेला छोड़कर दोनों चले आये। दूसरे दिन सुबह उठते ही जब दोनों दोस्त रेजीडेंसी पहुंचे, तो वहां दोस्त नहीं, उसकी लाश मिली। पुलिस के डर से दोनों फरार हो गये। बाद में पुलिस ने रेजीडेंसी पहुंच कर युवक की लाश को अपने कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों के हवाले कर दी" ।
पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट--
- पता चला कि युवक की मौत की वजह हार्ट अटैक और डर हैं |
'नवाबो के शहर में अनेक क्रान्तिकारियों और अंग्रेजों ने अपनी जाने गवाई हैं। 1857 के युद्ध के दौरान रेजीडेंसी पर 30 जून से 25 सितम्बर तक हुए युद्ध में हजारो लोगो ने अपनी जाने गवाई और उन सबको रेजीडेंसी मे ही दफन करना पड़ा था| जिसकी वजह से आज भी उनकी आत्मायें रेजीडेंसी में ही मंडरा रही हैं. जिससें वहाँ भूत, प्रेत का साया हैं|
2nd June, 2016