प्रियम पाठक
यूरिड स्पेशल कवरेज
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यूं तो मथुरा भगवान श्री क्रष्ण कि नगरी है व इसे यहाँ खेली जाने वाली रंगो व फूलों की होली के लिए जाना जाता है लेकिन 2 जून को यहां रंगो व फूलों कि नही बल्कि खून की होली खेली गई । इस खून की होली में दो पुलिसकर्मियों सहित कुल 28 लोगों की मौत हुई। इस होली में न सिर्फ 28 लोग मरे बल्कि न जानें कितने बच्चों के सिर से उनके पिता का साया उठ गया, न जानें कितनी पत्नियाँ विधवा हो गई और साथ ही न जानें इस हादसे ने कितने माँ बाप से उनके बुढापे का सहारा छिन लिया। आखिर ये सब कैसे हुआ ? इसके पीछे वजह क्या है? सवाल बहुत से है मगर एक सवाल जो सबसे अहम है वो ये कि इस हादसे का जिम्मेदार कौन है। इस हादसें में सिर्फ दो पुलिस अधिकारी ही शहीद नही हुए बल्कि इस हादसें में शहीद हुई है प्रदेश की कानून व्यवस्था, शहीद हुए है सरकार के वो खोखले वादे और साथ ही शहीद हुआ है आम जनता का विश्वास ।
2 जून की होली
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- हर दिन कि तरह 2 जून को भी जवाहर बाग कॉलोनी में रहने वाले लोगों की सुबह 8 बजे 'नेताजी जिंदाबाद' के नारों और देशभक्ति के गानों के बीच साथ शुरु हुई थी।
- किसी को भी ये ऐहसास नही था की कुछ ही देर में यहां खुनी महाभारत शुरु होने वाली है।
- घटना वाले दिन 150 रंगरूट, चार थानेदार और 40 सिपाही लेकर एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और सिटी मजिस्ट्रेट जवाहरबाग पहुंचे।
- बैठक में पहले कार्रवाई की पूरी रूपरेखा बनी थी। यह तय हुआ था कि आंसू गैस के गोले, रबड़ बुलट का प्रयोग किया जाएगा।
- यह कार्रवाई ऑपरेशन के दौरान की जानी थी।
- एसपी सिटी को जवाहरबाग के पीछे की दीवार तोड़कर यह देखने भेजा गया था कि कब्जाधारी क्या करते हैं।
दीवार तोड़ते ही एसपी सिटी बढ़े आगे --
- पुलिस की माने तो दीवार तोड़ते ही एसपी सिटी आगे बढ़े।
- कब्जाधारियों से बातचीत करते, इससे पहले उन्होंने पथराव शुरू कर दिया।
- भगदड़ मच गई। रंगरूट भाग खड़े हुए। पत्थर लगने पर एसपी सिटी गिर पड़े।
- आधा दर्जन उपद्रवियों ने उन्हें घेर लिया। लोहे की रॉड से उनके सिर पर ताबड़तोड़ वार शुरू कर दिए।
- यह देख एसओ फरह संतोष कुमार यादव उन्हें बचाने पहुंचे।
- उपद्रवियों ने एसओ को गोली मार दी। वह मौके पर ही गिर पड़े।
- अफरा-तफरी मच गई। इस बीच पुलिस वालों ने जैसे ही एसपी सिटी की हालत देखी वे आपा खो बैठे।
- दोनो और से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई। दोनों तरफ से गोलियां चलने लगीं।
- इसी दौरान अपने आपको फंसता देख रामवृक्ष ने आग लगा दी और भाग खड़ा हुआ।
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश--
- हाईकोर्ट ने मथुरा एडमिनिस्ट्रेशन को जवाहर बाग पर हुआ अवैध कब्जा हटाने का आदेश दिया था।
- इसके बाद पुलिस ने कब्जा करने वालों को नोटिस भेजा, लेकिन ये लोग वहां से नहीं हटे।
- सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने से पहले रेकी करने गई पुलिस टीम पर भीड़ ने हमला किया।
368 लोग गिरफ्तार,मास्टरमाइंड पुलिस की पहुंच से बाहर--
- अतिक्रमण हटाने के दौरान भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने अब तक 368 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
- वहीं घटना के 48 घंटे बाद भी मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव पुलिस की पहुंच से बाहर है.
- पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि जवाहर बाग में मिले लाशों में एक रामवृक्ष की भी हो सकती है.
लाशों का डीएनए टेस्ट--
- डीजीपी जावीद अहमद ने कहा है कि शिनाख्त के लिए सभी लाशों का डीएनए टेस्ट भी करवाया जाएगा.
- पुलिस ने हिंसा के मामले में माओवादियों के हाथ होने की जांच किए जाने की बात भी कही है.
पॉलिटिकल सपोर्ट --
- सीएम अखिलेश यादव के चाचा और उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव जय गुरुदेव के करीबी रहे हैं।
- रामवृक्ष यादव उन्हीं जय गुरुदेव का चेला था।
- ऐसी भी खबर है कि रामवृक्ष और उसके समर्थकों का वोटर आईडी भी बना हुआ था।
- इन लोगों को कब्जे वाली जगह से नहीं हटाने का प्रशासन पर पॉलिटिकल प्रेशर भी था।
समर्थकों की संख्या दर्जन से हजारों तक--
- रामवृक्ष यादव के समर्थकों की संख्या शुरू में कुछ दर्जन भर थी, लेकिन बाद में इनकी संख्या हजारों तक पहुंच गई।
- यहां रहने वाले बताते हैं कि जैसे-जैसे ये लोग बढ़ते गए, उनका बर्ताव भी बहुत खराब होता गया।
- प्रेमलता बताती हैं, 'वे बड़े डरावने तरीके से हमारी ओर लाठी से इशारा करते थे।
- वे धमकाकर लोगों से छत से नीचे उतरने को कहते थे।'
- दो साल पहले ये लोग सागर से दिल्ली जाकर धरना देने वाले थे। इसका नाम इन लोगों ने सत्याग्रही रखा था।
दिल्ली में जगह नहीं मिलने पर पहुंचे मथुरा--
- दिल्ली में जगह नहीं मिलने की वजह से इन्होंने मथुरा के जवाहर बाग में ही अपना डेरा जमा लिया।
- यहां प्रशासन से एक दिन धरने की इजाजत ली थी। ये एक दिन का धरना कब्जे में तब्दील हो गया।
- कथित सत्याग्रहियों ने जवाहर बाग में आम, आंवला और बेर के बाग उजाड़ दिए।
- सरकारी बाग में 18 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया। उन्होंने सरकारी स्टोर पर कब्जा कर लिया।
- तीन लाख रुपए की बिजली का इस्तेमाल कर लिया और कई बोरिंग पर कब्जा जमा लिया।
- नालियां और वॉकिंग ट्रैक उखाड़कर वहां टॉयलेट बना लिए थे और रहने का इंतजाम भी कर लिया था।
- यह लोग यहां पर 18 अप्रैल 2014 को आए थे।
- एक दिन दिन प्रदर्शन की इजाजत लेकर जवाहर बाग पर कब्जा कर लिया। तब से यहीं रह रहे थे।
- शुरुआत में करीब 3-4 सौ लोग यहां आए थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या हजारों में पहुंच गई।
लंबी अदालती कार्रवाई--
- जवाहर बाग को इन प्रदर्शनकारियों से छुड़वाने के लिए स्थानीय लोगों को जिला प्रशासन के साथ मिलकर लंबी अदालीत कार्रवाई करनी पड़ी।
- गुरुवार को यहां हुई हिंसा के बाद लोग सहमे हुए हैं। उनका कहना है कि बाग पर कब्जा जमाए लोगों ने पेड़ों पर चढ़कर पुलिस पर निशाना लगाया और उनके निशाने सधे हुए थे।
- एक निवासी ने बताया, 'कुछ दिन पहले जब पुलिस बाग खाली करवाने आई, तो उन लोगों ने चिल्लाकर कहा कि हिम्मत हो तो कार्रवाई करो, ये जमीन हमारी है।
किस नेता का था इनकें पास समर्थन--
- गाजीपुर निवासी साठ साल का रामवृक्ष यादव इनका नेता था।
- वह कई साल पहले बाबा जय गुरुदेव के संपर्क में आया और गलत आदतों के कारण वहां से निकाल दिया गया।
- इसके बाद उसने अपना सम्राज्य बना लिया। लेागों को अपनी बातों में धीरे-धीरे करीब हजार लोगों का नेता बन बैठा।
- रामवृक्ष जय गुरुदेव की दूरदर्शी पार्टी से लोकसभा और विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुका है।
जवाहर बाग कॉलोनी --
- आस-पास में कई कॅालोनी है जहाँ से जवाहर बाग साफ दिखाई देता है।
- यहां रहने वाले बताते हैं कि किस तरह बाग रामवृक्ष यादव के समर्थकों का गढ़ बन गया था।
- हर सुबह यहां मार्चिंग होती थी। सब्जियां, मसाले, कपड़े और बर्तन जैसी चीजें बेहद सस्ते दामों पर बेची जाती थीं।
- बाग में जमकर बैठे प्रदर्शनकारियों के पास सोलर पैनल, ट्रैक्टर, जेनरेटर था और वहां उनकी अपनी रसोई भी थी।
बाग में आटा चक्की--
- रामवृक्ष यादव के समर्थकों ने बाग के अंदर ही उन्होंने आटा चक्की भी खोली हुई थी, और वहां शौचालय भी बना लिए थे।
- एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हालांकि उनके रहने की जगह बाहर से झोपड़ीनुमा दिखती थी, लेकिन अंदर से वह चमचमाती हुई थी।
- सफारी और फॉर्च्यूनर जैसी गाड़ियां बाग के अंदर-बाहर आती-जाती रहती थीं।
शहीद SO के अंतिम संस्कार के लिए माने परिजन--
- गोलीबारी में शहीद एसओ संतोष यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजन मान गए.
- इसके बाद शनिवार सुबह शहीद संतोष पंचतत्व में विलीन हो गए.
- मंत्री पारसनाथ यादव और दूसरे अधिकारियों ने उन्हें तेरहवीं से पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के वहां आने का भरोसा दिलाया है.
- पहले यादव के परिजन सीएम के आने के बाद ही अंतिम संस्कार की बात कर रहे थे.
- मंत्री के साथ जौनपुर के प्रशासनिक अधिकारी और सपा के स्थानीय नेता भी मौजूद रहे.
2 जून की होली
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368 लोग गिरफ्तार,मास्टरमाइंड पुलिस की पहुंच से बाहर--
लाशों का डीएनए टेस्ट--
पॉलिटिकल सपोर्ट --
6th September, 2016