लखनऊ:-
बहुजन समाज पार्टी से पिछले दिनों अलग हुए कई प्रमुख नेता एकजुट होकर मायावती के खिलाफ हल्ला बोलने की तैयारी कर रहे है। बागियों से निपटने के लिए मायावती ने भी जातीय समीकरण साधने के लिए नए लोगों को ज़िम्मेदारी दी है। संभावना है कि बसपा के बागी एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन कर चुनाव रणनीति की तैयारी कर रहे हैं।
मायावती को सबसे तगड़ा झटका नेता विपक्ष पर रहते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया व उनका साथ दिया आरके चौधरी ने । इससे पूर्व बाबू सिंह कुशवाहा आर्थिक घोटाले में फसने के बाद बसपा से निकाल दिये गए थे। कुशवाहा पहले से ही अपना राजनीतिक संगठन चला रहे हैं। बाबू सिंह कुशवाहा तथा स्वामी प्रसाद मौर्य एक ही बिरादरी से हैं और इन दोनों की अच्छी पकड़ है। इसी प्रकार आरके चौधरी भी पासी बिरादरी में भरी पैठ रखते हैं। इस तिकड़ी के साथ ही जुगुल किशोर पहले ही भाजपा में मिल चुके हैं। जुगुल किशोर माया निकस्थ सलाहकारों में रहे हैं।
बसपा के बागियों को एक मंच पर लाकर माया के खिलाफ मोर्चा करने के लिए जुगुल किशोर नए सिरे से पहल कर रहे हैं। पहला प्रयास है कि इन सबको भाजपा के बैनर तले लाया जाये परंतु आर्थिक घोटाले में फसने के कारण बाबू सिंह कुशवाहा को लेकर एकजुट राय नहीं बन पा रही है। चर्चा ये है कि बाबू सिंह कुशवाहा, स्वामी प्रसाद मौर्य, आरके चौधरी और दददु प्रसाद नया राजनीतिक दल बनाकर बसपा कि कमियों को उजागर करेंगे। इसी बैनर तले बसपा के राष्ट्रिय सचिव ने पार्टी से बगावत कर परमदेव यादव ने भी भाजपा में जाने के संकेत दिए हैं। बसपा से इन प्रमुख नेताओं के अलग होने से पार्टी कि छवि काफी प्रभावित हुई है। मायावती पर पैसे लेकर टिकट बेचने के आरोप को लेकर अबतक चर्चा होती रही है परंतु वरिष्ठ नेताओं के आरोपों से जनता में गलत संदेश गया है। इस बारे में मायावती कुछ भी सफाई दें परंतु उनके समर्थकों में भी अब तीखी प्रतिक्रिया होने लगी है।
11th July, 2016