यूरिड मीडिया ब्यूरो
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ये कोई पहला मौका नहीं था जब किसी नेता ने अपने शब्दों की मर्यादा को पार किया हो, सत्ता औऱ जनता के बीच अपनी पहँचान और वोटों की राजनिति के लिए इससे पहले भी कई बार बड़े-बड़े दिग्गज नेता अपनी मर्यादा पार कर चुके है। फिर चाहे कोई भी राजनैतिक पार्टी हो, सभी वोटो के जातिय समीकरण को साधनें के लिए समय-समय पर अपने बयानो को लेकर चर्चा का विषय बनते रहे हैं। लेकिन किसी पर कोई कार्यवाही नही हुई, न ही किसी को पार्टी से निकाला गया, और न ही किसी से उनका पद छीना गया।
ये बड़े नेता और उनके बयान
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- महान दलित मायावती " तिलक तराजू और तलवार ( ब्राह्मण, वैश्य एंव क्षत्रिय) जूते मारो इनके चार"
- लालू प्रसाद यादव (आरजेडी) "बिहार की सड़कें हेमा मालिनी के गाल की तरह बना देंगे"
- मुलायम सिंह यादव (सपा) "दो लड़के मिलकर एक लड़की का रेप कर ही नहीं सकते"
- मुलायम सिंह यादव(सपा) "लड़कों से गलतियां हो जाती हैं"
- शरद यादव "साउथ की महिलाओं का रंग भले ही सांवला होता है, मगर वो सेक्सी होती हैं"
- आज़म खान (सपा) "रामपुर में नाचने वाली आम्रपाली (जयप्रदा) भी सांसद बन गई थी"
- अली अनवर (जेडीयू) "अब कपड़ा मंत्रालय मिला है, मैडम अपना तन ढक सकेंगी"
- नीलमणि सेन डेका (नेता कांग्रेस) "स्मृति ईरानी मोदी की दूसरी पत्नी हैं"
इनमें से कितने नेताओं को पार्टी से निकाला गया, कितनों के पद छीने गए, कितनों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ... अखिर कहां जा रही है भारतीय राजनिति और उसका स्तर.?
22nd July, 2016