लखनऊ:-
ईलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि शिक्षकों से चुनाव संबंधी कार्य बच्चों की पढ़ाई के दौरान न ले। आपको बता दे कि शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई के वक़्त चुनाव कार्य लगा दिया जाता है जिससे शिक्षकों को बच्चों को पढ़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था जिसके कारण स्कूल के बच्चों की पढ़ाई पर भी भारी असर पड़ता था। लेकिन अब आयोग उनसे चुनाव संबंधी काम छुट्टी के दिनों में या उस समय ही ले सकेंगे जब वे शिक्षण कार्य न कर रहे हों।
शिक्षकों ने मांगा अपना हक-
- यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने गाजियाबाद के यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
- शिक्षक संघ का कहना था कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के तहत प्रत्येक बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है और यह तभी संभव है, जब शिक्षक नियमित रूप से स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाए।
निर्वाचन आयोग ने इस बात पर रखा अपना तर्क-
- याचिका में कहा गया था कि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी में लगाने से शिक्षण कार्य बाधित और बच्चों के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है।
- याचिका का विरोध करते हुए निर्वाचन आयोग ने तर्क दिया कि चुनाव का काम राष्ट्रीय कार्य है।
- शिक्षकों को इससे अलग नहीं रखा जा सकता है।
- इसके अलावा शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर भेजे जाने के कारण बच्चों की पढ़ाई न बाधित, निर्वाचन आयोग इसका पूरा ध्यान रखता है।
- बताया गया कि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर अवकाश के दिनों में ही लगाने का आदेश जारी हुआ है।
- उनसे चुनाव का काम तभी लिया जाता है, जब वे बच्चों को नहीं पढ़ा रहे होते हैं।
ईलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि शिक्षकों से चुनाव संबंधी कार्य बच्चों की पढ़ाई के दौरान न ले। आपको बता दे कि शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई के वक़्त चुनाव कार्य लगा दिया जाता है जिससे शिक्षकों को बच्चों को पढ़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था जिसके कारण स्कूल के बच्चों की पढ़ाई पर भी भारी असर पड़ता था। लेकिन अब आयोग उनसे चुनाव संबंधी काम छुट्टी के दिनों में या उस समय ही ले सकेंगे जब वे शिक्षण कार्य न कर रहे हों।
- यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने गाजियाबाद के यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
- शिक्षक संघ का कहना था कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के तहत प्रत्येक बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है और यह तभी संभव है, जब शिक्षक नियमित रूप से स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाए।
- याचिका में कहा गया था कि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी में लगाने से शिक्षण कार्य बाधित और बच्चों के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है।
- याचिका का विरोध करते हुए निर्वाचन आयोग ने तर्क दिया कि चुनाव का काम राष्ट्रीय कार्य है।
- शिक्षकों को इससे अलग नहीं रखा जा सकता है।
- इसके अलावा शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर भेजे जाने के कारण बच्चों की पढ़ाई न बाधित, निर्वाचन आयोग इसका पूरा ध्यान रखता है।
- बताया गया कि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर अवकाश के दिनों में ही लगाने का आदेश जारी हुआ है।
- उनसे चुनाव का काम तभी लिया जाता है, जब वे बच्चों को नहीं पढ़ा रहे होते हैं।
10th August, 2016