अखिलेश के समक्ष दोहरी चुनौती, दो स्थानों मे बटा सपा कार्यालय !
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लखनऊ।सूबे में सत्तारूढ समाजवादी कुनबे में मची रार थंमने के बजाए और तेज हो रही है। सपा कार्यालय का संचालन दो स्थानों से होने लगा है। एक का नेतृत्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो दूसरे का प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव। वहीं आगामी चुनाव में चेहरे को लेकर अंर्तकलह गहराती जा रही है। ऐसे में सीएम अखिलेश के समक्ष दोहरी चुनौती बन गयी है। पहली तो उन्हें अपनो से लडते हुए सपा को बहुमत दिलाना और दूसरा विजयी विधायकों को अपने गोल में लाना। जिससे वह मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम का समर्थन कर सके। इसके अलावा सपा इन दिनों विरोधियों से कहीं अधिक अपनो से लड रही है। इसका असर आगामी विधानसभा के परिणाम पर पड सकता है।...आगे क्लिक करे..
अखिलेश के र्निविवाद साढे चार साल:-
कुछ भी हो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने र्निविवाद रहकर यूपी में बीते साढे चार साल में विकास की नई इबादत लिखी। इसी को लेकर वह चुनाव मैदान में जाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन बीते दो माह से परिवार में चल रही अंर्तकलह से वह बैकफुट पर आ गये। 2012 के चुनाव मेें अखिलेश ने कडी मेहनत कर सपा को बहुमत दिलाने का काम किया। जबकि उस समय उनके पास विकास के लिए बताने को कुछ नहीं था। इस बार तो उनके पास जनता के समक्ष बताने के लिए विकास कार्यो की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन परिवारिक विवाद में वह अब शांत हो गये है। वह परिवार की गतिविधियों पर वेट एण्ड वाच की स्थित में है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने आज....आगे क्लिक करे..
..एक कार्यक्रम में साफ कर दिया कि अखिलेश यादव ऐसे सीएम नहीं बन पायेंगे। सपा को बहुमत मिलता है तो वह खुद ही विधायकों की बैठक में नये सीएम के तौर पर अखिलेश यादव का नाम प्रस्तुत करेंगे। इससे यह स्पष्ट हो गया कि यूपी चुनाव में सपा के मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी अब सीएम अखिलेश नहीं है। बहुमत मिलने के बाद सभी विधायक चाहेंगे तभी अखिलेश यादव सीएम बन पायेंगे। इस तरह शिवपाल यादव ने भी सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बयान...आगे क्लिक करे..
..पर अपनी मुहर लगा दी। कि सपा का नया सीएम जीते विधायक ही तय करेंगे। ऐसे में सीएम अखिलेश को अब दो मोर्चां पर जंग लडनी होगी। एक तरफ तो उन्हें प्रदेश में जाकर सपा के लिए बहुमत लाना होगा। दूसरी तरफ उन्हें सभी विधायकों को अपने साथ करना होगा, जिससे उनके सीएम के नाम पर मुहर लग सके। वहींे सपा कुनबे में जिस तरह आपसी विवाद चल रहा है उससे यही आसार बन रहे कि सपा इस बार बहुमत से दूर रहेगी और अखिलेश यादव दोबारा सीएम नहीं बन पायेंगे। इसी विवाद से आहत छठवी बार बजट पेश करने का दावा करने वाले सीएम अखिलेश यादव अब यह कहना पड रहा है कि...आगे क्लिक करे..
..समाजवादियों ने प्रदेश में खुब विकास किये है। यदि दोबारा मौका मिलेगा तो विकास की गति तेज हो जायेगी। यानी उनके दावे में कुछ कमी आ गयी है। इस तरह आगामी चुनाव में शिवपाल व अखिलेश गुट हावी रहेगा जिसके अधिक विधायक जीत कर आयेंगे वही सीएम बनेगा। वर्तमान में शिवपाल गुट हावी होता जा रहा है। परिवार का विवाद कम होने के बजाए बढता जा रहा है। सपा का संचालन दो जगह से होने लगा है। प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव सपा कार्यालय से पार्टी को संचालित कर रहे है। वहीं सीएम अखिलेश यादव जनेश्वर मिश्र टस्ट से पार्टी की गतिविधियों को संचालित कर रहे है।...आगे क्लिक करे..
..इन दोनों स्थानों से मीडिया के लिए प्रेसनोट भी जारी होने लगे है। दोनों गुटों के नेता अपने अपने गोल में ठिकाना बना लिए है। इन कार्यालयों की सुरक्षा के लिए लगाए गये पुलिस कर्मी भी बदल गये है। इस बदलाव से पार्टी नेता एवं कार्यकर्ता विवाद से बचने के लिए अपने घरों में कैद हो गये है। या फिर अपने क्षेत्र तक सीमित रह गये है। इससे पार्टी की चुनावी तैयारियां लगभग खामोश होती जा रही है।
लखनऊ।सूबे में सत्तारूढ समाजवादी कुनबे में मची रार थंमने के बजाए और तेज हो रही है। सपा कार्यालय का संचालन दो स्थानों से होने लगा है। एक का नेतृत्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो दूसरे का प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव। वहीं आगामी चुनाव में चेहरे को लेकर अंर्तकलह गहराती जा रही है। ऐसे में सीएम अखिलेश के समक्ष दोहरी चुनौती बन गयी है। पहली तो उन्हें अपनो से लडते हुए सपा को बहुमत दिलाना और दूसरा विजयी विधायकों को अपने गोल में लाना। जिससे वह मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम का समर्थन कर सके। इसके अलावा सपा इन दिनों विरोधियों से कहीं अधिक अपनो से लड रही है। इसका असर आगामी विधानसभा के परिणाम पर पड सकता है।...आगे क्लिक करे..