नई दिल्ली: लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा. पीएम ने कहा- आखिरी कल भूकंप आ ही गया. धरती मां इतना क्यों रूठ गईं. दरअसल, राहुल गांधी ने एक बार कहा था कि वह बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा. राहुल ने अपने पास पीएम मोदी के खिलाफ सबूत होने की बात कही थी. एक अन्य मौके पर लोकसभा में पीएम मोदी ने अपनी बात समझाने के लिए हाथ में बंधी घड़ी का सहारा लिया. इस पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- आप ऐसे घड़ी लेकर क्यों समझा रहे हैं. पीएम मोदी का जवाब था, ऐसा करना पड़ रहा है क्योंकि कुछ लोगों को बात समझ नहीं आती.
पीएम के लंबे संबोधन पर सवाल उठा तो उन्होंने कहा- मुझे सिर्फ चालीस मिनट मिले हैं बाबू, आपको तो पूरा ढाई घंटे मिले थे.पीएम मोदी के बयानों पर संसद में लगातार ठहाके लगते रहे ....
काका हाथरसी के शब्दों में पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि 'अंतरपट में खोजिए छिपा हुआ है खोट, मिल जाएगी आपको बिल्कुल सत्य रिपोर्ट'.
यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक से कई नेताओं को परेशानी हुई. किस किस तरह के बयान दिए गए. सर्जिकल स्ट्राइक पर लोगों का रुझान देखने के बाद कई नेताओं को अपने बयान बदलने पड़े.
पीएम मोदी के तीखे बोल
कल आखिर भूकंप आ ही गया
कुछ दल कर्ज लेकर घी पीने की नीति पर चलते हैं
चर्चा के बजाय टीवी कैमरों में विपक्ष की दिलचस्पी, बाइट देते रहे
टीवी पर लोगों की कतार देख नोटबंदी पर चर्चा टालता रहा विपक्ष
काला धन केवल कैश में नहीं, विपक्ष को ये ज्ञान कब हुआ
कांग्रेस ने बेनामी संपत्ति के कानून को 26 साल तक नोटिफाई नहीं किया
संसाधन लूटने वाले देश की गरीबी के लिए जिम्मेदार
हमें चुनाव की नहीं देश की चिंता
आज भी अंग्रेजों की विरासत को ढो रहे हैं. हमने बजट का समय बदला
पूरा लोकतंत्र एक ही परिवार के नाम
आपने अच्छा सुझाव दिया, हम भी कुछ करके दिखाएंगे
मेरा कोई भी फैसला हड़बड़ी में नहीं
अब आवाज आती है खजाने में कितना पैसा आया
पहले हिसाब लगता था कि कितना पैसा गया
भगवंत मान पर चुटकी लेते हुए कहा कि ये होते तो कुछ और पीने को कहते.
कुछ दलों के लोगों के दिल चारबाग ही रह गए हैं.
कांग्रेस ने लोकतंत्र बचाया. कांग्रेस के लोग महान हैं
कांग्रेस के लोकतंत्र को पूरा देश जानता है
लोकतंत्र एक परिवार पर भेंट कर दिया गया.
3rd April, 2017