यह हंगामा मध्य प्रदेश की राजनीति से जुड़े और भाजपा के राज्यसभा सांसद प्रभात झा के सवाल के जबाव को लेकर खड़ा हुआ, जिसमें केंद्रीय मंत्री ने सीतामंढी को पुरातात्विक साक्ष्य को लेकर कहा था, कि यह आस्था से जुड़ा विषय है। इसके प्रमाण नहीं है। हालांकि बाद में हंगामा मचने के बाद उन्होंने अपने जबाव को स्पष्ट किया और कहा कि उन्होंने कभी सीतामढ़ी को लेकर कोई प्रमाण नहीं मांगे और ना ही इस पर कहीं कोई प्रश्न चिन्ह है।
राज्यसभा में बिहार के सीतामढ़ी को लेकर जब यह हंगामा चल रहा था, उस समय वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे।राज्यसभा में इस हंगामे की शुरुआत कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मंत्री की ओर से दिए गए लिखित जबाव को मुद्दा बनाते हुए किया।
उन्होंने इस दौरान मंत्री से सवाल किया कि एक तरफ तो भगवान राम के रामसेतु और राममंदिर का नाम लेकर आप यहां तक पहुंचे है।माता सीता के बारे में आप कह रहे है कि यह आस्था का विषय है, प्रमाण नहीं है। हालांकि विवाद के बढ़ते देख और अपने मंत्री को घिरते देख सांसद प्रभात झा तो शांत हो गए, लेकिन दिग्विजय सिंह सहित कई सांसदों ने इसे लेकर काफी लेकर हंगामा किया।
हालांकि हंमामा बढते देख केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने अपने जबाव को स्पष्ट किया और कहा कि उन्होंने कभी भी कोई प्रमाण नहीं मांगे है। साथ ही बताया कि सीतामढी को रामायण परिपथ में शामिल किया है। जल्द ही तेजी से विकास कार्यों को शुरु कराया जाएगा।
बता दें कि भाजपा के राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने बिहार के सीतामढी को लेकर सवाल किया था कि क्या केंद्र की सरकार के पास बिहार के सीतामंढी स्थित रामायणकालीन सीता जन्म स्थली से संबंधित कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध है? यदि हां, तो ब्योरा क्या है? क्या सीतामंढी स्थित सीता जन्मस्थली के पास कभी कोई पुरातात्विक खुदाई की गई थी? यदि हां, तो ब्यौरा क्या है?
13th April, 2017