यूरिड मीडिया डेस्क
:आजादी के बाद देश में दो चीजों का बड़ा दबदबा रहा है... लाल बत्ती और लाल फीताशाही! अज्ञात भय के कारण इनका बड़ा सम्मान रहा है लाल बत्ती देखकर अक्सर लोगों के होश उड़ जाते हैं तो सरकारी फाइल पर लाल फीता देख होश ठिकाने आ जाते हैं!
खुश खबर है कि देश में बढ़ते वीआइपी कल्चर पर अंकुश के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने सभी नेताओं, मंत्री, सरकारी अफसरों की गाडिय़ों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया है यह फैसला पहली मई से लागू होगा अब, लाल फीताशाही भी हट जाए तो बात बने!
वैसे लाल बत्ती हटाना कइयों को रास नहीं आएगा लेकिन सबसे ज्यादा परेशान होंगे नकली लाल बत्ती वाले जो बगैर अधिकार के मौके-बैमौक लाल बत्ती की धौस जमा कर काम निकालने में एक्सपर्ट थे!
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस फैसले की अधिसूचना जनता से राय के बाद जारी की जाएगी! वैसे, सुप्रीम कोर्ट ने भी पूर्व में अनावश्यक लाल बत्तियां हटाने का आदेश दिया था कोर्ट ने लाल बत्ती की संस्कृति को हास्यास्पद व ताकत का प्रतीक बताया था! पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कारों से लाल बत्ती हटाने की घोषण कर के इस धारण को मजबूत और लाल बत्ती प्रेमियों को मजबूर किया है!
इस फैसले के तुरंत बाद कई केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी गाडिय़ों से लाल बत्ती हटाना शुरू कर दिया गडकरी ने सबसे पहले अपनी कार की लाल बत्ती हटाई तो बाकी ने भी लाल बत्ती का मोह त्याग दिया!
जहां लाल बत्ती खास आदमियों के सम्मान की प्रतीक रही है तो लाल फीताशाही आम आदमियों की सरकारी समस्या का सबब! लाल फीताशाही की शुरुआत कैसे हुई यह तो शोध का विषय है लेकिन बीबीसी की माने तो... सोलहवीं शताब्दी की ऐतिहासिक जानकारियों से पता चलता है कि इंग्लैंड के राजा हैनरी अष्टम ने, कैथरीन से अपने विवाह को रद्द कराने के लिए पोप क्लिमैंट सप्तम को करीब अस्सी याचिकाएं भेजीं थीं. ये अब भी वेटिकन के संग्रहालय में लाल टेप से बंधी रखी हैं क्योंकि वेटिकन के आधिकारिक दस्तावेज लाल कपड़े में बांधकर रखे जाते थे!
अब आम आदमी को लाल फीताशाही की ताकत को तकदीर मान लेना चाहिए क्योंकि इसके आगे राजा की नहीं चली तो किसी और की क्या औकात?
20th April, 2017