युरिड मीडिया डेस्क- राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अलग स्टैंड रखने वाले नीतीश ने नाराज लालू को मनाने की कोशिश नहीं की और आधे घंटे तक साथ बैठे रहने के बावजूद दोनों नेताओं में कोई बातचीत नहीं हुई। मौके की नजाकत के चलते दोनों नेता गले जरूर मिले लेकिन गर्मजोशी नहीं दिखी।
महागठबंधन में नेताओं का विश्वास एक दूसरे के प्रति डगमगाने लगा है। जदयू, राजद और कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर अलग-अलग खेमे में बंट चुके हैं। रामनाथ कोविंद के नाम पर जदयू ने खुद को राजद और कांग्रेस से अलग कर लिया है। जदयू रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के नाम पर अड़ा है तो लालू का गुस्सा सातवें आसमान पर है। नाराज लालू प्रसाद यादव ने पटना आते ही नीतीश कुमार पर चौतरफा हमला बोल दिया। लालू ने नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप भी जड़ें।
लालू ने एक तरीके से कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश कुमार ने मुझे धोखा दिया। लालू ने कहा कि नीतीश ने मुझे आगे बढ़ाया और फिर खुद पीछे हट गए। राजद अध्यक्ष ने नीतीश कुमार पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि नीतीश संघ मुक्त भारत की बात कह रहे थे। पता नहीं क्या खिचड़ी पकी की रास्ता ही बदल लिया। लगे हाथ लालू ने यह भी कह दिया कि गोविंद को समर्थन देकर नीतीश ऐतिहासिक भूल कर चुके हैं।
लालू आवास पर आयोजित दावत-ए-इफ्तार में दोनों नेता आधे घंटे करीब बैठे लेकिन दोनों में बातचीत नहीं हुई। लालू जहां अपने दाहिनी ओर बैठे अशोक चौधरी से बात करते रहे थे। वहीं, नीतीश अपने बायीं ओर बैठे विजय चौधरी से गुफ्तगू करते रहे।
इफ्तार से निकलने के बाद नीतीश पैदल अपने आवास एक अणे मार्ग स्थित आवासीय परिसर में दाखिल होने के बाद उन्होंने मीडिया से 17 मिनट तक बातचीत की और अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों का जवाब दिया।
नीतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। हम लोगों को 2019 के लिए जीत की रणनीति तय करनी चाहिए लेकिन जीत की रणनीति तय करने के बजाए मीरा कुमार को आगे कर तत्कालिक तौर पर हार की रणनीति बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले 2019 फतह की योजना बने और उसके बाद फिर 2022 में बिहार की बेटी को राष्ट्रपति बनाने की योजना पर काम होना चाहिए।
पहली बार नीतीश के बयान पर तेजस्वी यादव ने भी पलटवार किया। तेजस्वी ने कहा कि हमने मीरा कुमार को हारने के लिए नहीं खड़ा किया है मेरा लक्ष्य मीरा कुमार के जीत को सुनिश्चित करना है।लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के रुख से यह साफ हो गया है कि महागठबंधन के भविष्य पर ग्रहण लग चुका है और संभव है कि 2 जुलाई को जदयू की होने वाली बैठक में अहम फैसला लिया जा सकता है।
24th June, 2017