राज्यसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जदयू में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जहां एक ओर पार्टी ने पार्टी के खिलाफ फैसला लेने के आरोप में अरुण श्रीवास्तव को महासचिव पद से हटा दिया है तो वहीं पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने राज्यसभा सीट की जीत के लिए कांग्रेस के नेता अहमद पटेल को बधाई दी है।
आज सुबह ही शरद यादव ने ट्वीट कर कांग्रेस के नेता अहमद पटेल को जीत की बधाई दी और उनके साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की है। उनकी ये गतिविधि पार्टी की नीतियों के खिलाफ है। क्योंकि जहां एक ओर बिहार में पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन किया है वहीं शरद यादव कांग्रेस के नेता को बधाई दे रहे हैं। इसके बाद अटकलों का दौर फिर शुरू हो गया है।
Heartiest congratulations on your victory in Rajya Sabha election in spite of toughest hurdles. Wish you all success in your career. pic.twitter.com/ICNTmq02nY
— SHARAD YADAV (@SharadYadavMP) August 9, 2017
बता दें कि बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद शरद कुमार नीतीश कुमार से नाराज चल रहे हैं और ये भी खबरें मिल रही थीं कि नाराज शरद यादव अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं लेकिन शरद ने इसे अफवाह बताया था।
जो भी हो लेकिन मंगलवार को गुजरात राज्यसभा चुनाव ने एक बार फिर दिखा दिया कि बिहार में महागठबंधन टूटने का दर्द जदयू में अब भी मौजूद है।
कल अचानक से बदले राजनीतिक समीकरण के बीच कांग्रेस के अहमद पटेल एक वोट से राज्यसभा सीट का चुनाव जीत गए। उन्हें जदयू के एकमात्र विधायक छोटूभाई वसावा ने भी वोट दिया और कहा कि मैंने बीजेपी को नहीं बल्कि अहमद पटेल को वोट दिया है।
एक निजी चैनल के मुताबिक वसोवा ने बताया कि इसकी वजह ये है कि बिहार में महागठबंधन तोड़ने का ही यह असर है कि हमने कांग्रेस को वोट दिया। नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो उन्होंने इतना बड़ा फैसला लेने से पहले पार्टी प्रतिनिधियों से पूछा क्यों नहीं और इतना बड़ा निर्णय ले लिया ?
उन्होंने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार ने कार्रवाई करते हुए गुजरात जदयू के महासचिव पद से अरुण श्रीवास्तव को पदमुक्त कर दिया। एेसा इसलिए किया गया क्योंकि अरुण श्रीवास्तव शरद यादव के नजदीकी हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से पहले शरद यादव वर्षों से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं और नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़कर ही राजद और कांग्रेस से हाथ मिलाया था और जनता ने उन्हें करिश्माई आंकड़े देकर जिताया था। नीतीश कुमार ने शरद यादव से कोई बात पूछने की जरूरत तक नहीं महसूस की।
बता दें कि शरद यादव कल से अपनी बिहार यात्रा शुरू कर रहे हैं जिसमें वे तीन दिनो तक लोगों ने गठबंधन के टूटने पर सबकी क्या राय है ये जानने की कोशिश करेंगे। उसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेंगे। इससे पहले शरद यादव ने अहमत पटेल का समर्थन कर पार्टी के खिलाफ जाने का काम किया है।
शरद की इन गतिविधियों के बाद पार्टी उन्हें बाहर भी निकाल सकती है और अगर उन्होंने खुद पार्टी पद से इस्तीफा दिया तो उनकी सांसद पद की सदस्यता भी जा सकती है। पिछले महीने से चल रहे विवाद के बाद शरद यादव का क्या होगा? ये तो वही तय कर सकते हैं कि उनका क्या स्टैंड होगा। नीतीश कुमार ने अध्यक्ष पद भी उनसे ले लिया था।
एेसे में शरद की योजना क्या होगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। क्या वे जदयू के साथ रहेंगे या लालू और कांग्रेस की शरण में जाएंगे। शरद यादव को लालू की दोस्ती अच्छी लगती रही है। लेकिन चारा घोटाले के बाद शरद ने लालू का साथ छोड़ दिया था।
9th August, 2017