आत्मतत्व के दर्शन में संकल्प को सिद्धि में बदलने वाले को परम पुरूष की संज्ञा दी गयी है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने जनहित के मुदें से लेकर, भ्रष्टाचार पर नौकरशाही की लगाम कसने और राष्ट्र की सुरक्षा तथा वैश्विक नीति पर भारत की साख को मजबूत करने की दिशा में जो कदम उठाये गये उससे भारत की एक अलग ही साख बनी है। आजादी के बाद भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिसके राजनीतिक कदम का पीछा करते हुए लगभग एक दर्जन राष्ट्रो के चुनाव में मोदी के पहल की नकल की गयी। मोदी सरकार के तीन वर्षो में भारत के निचले पायदान पर जीवन यापन करने वालों के सम्मान को बढ़ाने तथा उनके सपनों को पूरा करने के लिए जो नीतियां बनायी गयी और उसका क्रियान्वयन किया गया, उसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज भारत के जनजीवन में लक्षित हो रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि मोदी के विदेश दौरों में हर जगह-जगह ‘‘मोदी-मोदी’’ के नारे की गूंज हो रही है। यही नही पहली बार भारत ने चीन के खिलाफ डोकलाम मुद्दे पर जिस प्रकार कड़ा रूख अख्त्यिार किया है, उसकी अभी तक किसी भारतीय ने सोचा भी नही था। काश्मीर की समस्या पर भी सरकार के कड़े रूख ने आतंकवादियों के दांत खट्टे कर रखे है। तीन वर्ष मोदी सरकार में एक भी भ्रष्टाचार का मामला नही आया है और नही किसी मंत्री पर ऐसे किसी प्रकार के आरोप लगे है। मोदी का ही प्रभाव है कि विपक्ष हताशा की मुद्रा में आ गया है और उसे कोई राजनीति राह नही दिख रही है।
जनभावना तक पहुंचने की ललक वर्ष 2014 के चुनाव के दौरान मोदी ने गरीबों को खुशहाली के जा सपने संजोये थे, उस दिशा में मोदी के संकल्प ने सिद्धि पर बदलना शुरू कर दिया। केन्द्र सरकार की ‘‘उज्जवला योजना’’ से अभी तक ढाई करोडï से ज्यादा लोगों को मुफ्त में रसोई गैस के सिलेन्डर मुफ्त उपलब्ध कराये गये। मोदी की इस योजना से महिलाओं की भाजपा सरकार से अपनापन जुड़ा। इस योजना से कई पीढिïयों से धुआं के गुब्बार से जीवन का कष्ट झेल रही करोड़ों महिलाओं और परिवारों को मुक्ति मिली। बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं योजना से देशभर में लिंगानुपात में सुधार हुआ है। गर्भवती महिलाओं को 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश, 6 हजार रूपये की मातृत्व सहायता और 33 लाख से ज्यादा महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच हुई। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत एक करोडï से ज्यादा खातों में 11 हजार करोडï रूपये से ज्यादा की रकम जमा हुई। गरीबों को सस्ता इलाज, सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने की दिशा में भी सरकार ने ठोस पहल की है। गंभीर बिमारियों की सर्जरी तथा अन्य उपकरणों में भारी कमी आयी, वही जीवन रक्षक दवाओं के दामों में कमी हुई है।
देश को विकास की दिशा में ले जाने के लिए मोदी सरकार ने आधारभूत संरचनाओं में तेजी लाने की दिशा में कई कदम उठाये। इसके तहत ही आजादी के करीब 70 साल बाद भी बिजली से बंचित 18456 गांवों में से 13500 गांवों तक बिजली पहंचा दी गयी है। गांवों के विकास के लिए प्रधानमंत्री सडïक योजना के कामों में तीन गुना तेजी लायी गयी। इसके तहत तीन वर्षों में ही 1.25 लाख किलोमीटर सडïके बनायी गयी। प्रधानमंत्री ने 2022 तक हर गरीब को आवास उपलब्ध कराने के लिए 3 से 4 प्रतिशत की दर पर आवासीय ऋण उपलब्ध कराये जा रहे है। इसके साथ ही सरकार ने विभिन्न निर्माण एजेन्सियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर आवास निर्माण कार्य में भी तेजी लायी गयी है।
केन्द्र सरकार की इस पहल से साफ है कि उसके एजेन्डे में गांव-गरीब सबसे उपर है। जनधन योजना के अन्तर्गत 28 करोडï से ज्यादा बैंक एकाउन्ट खोले गये है। यह पहला मौका है कि गांव और झोपडिïयों में रहने वालों के पास भी बैंक एकाउन्ट है। इसके साथ ही 13 करोडï लोगों को सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना के दायरे से लाभान्वित किया गया। देश का गरीब व्यक्ति भी हवाई यात्रा का सपना पूरा कर सके इसके लिए सस्ती दर पर हवाई यात्रा का सपना पूरा करने के लिए ‘उडान’ सेवा शुरू की गयी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत सरकारी स्कीम के पैसे सीधे जनता के खाते में भेजने से दलालों की घुसपैठ खत्म हुई और इससे गरीबों के हिस्से की करोड़ों रूपये की बंदरबांट खत्म हुई। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से कहा था कि सरकार गरीब को 100 रूपये भेजती है तो उसके पास 15 पैसे ही पहुंचता है। अब मोदी सरकार ने गरीब के खाते में 100 रूपये की पूरी राशि भेजने की व्यवस्था कर दी है। सरकार ने देश के लाखों श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी में 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। मोदी की इस पहल से सरकार और जनता के बीच विश्वास का संबंध बहाल हुआ है। मोदी के प्रति जनता का यह विश्वास ही था कि डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने गैस की सब्सिडी छोड़ि। सरकार ने देश के युवाओं को सेल्फ अटेस्टेड करने का अधिकार देकर उन पर विश्वास जताया। नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री की पहल पर दो करोडï से ज्यादा लोग भीम एप से जुड़े। जन विश्वास को कायम रखने और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए जनता के सुझाव पर पद्म पुरस्कार दिये जाने की पहल की गयी।
प्रधानमंत्री की पहल का ही परिणाम है कि स्वच्छ भागीदारी मिशन जनभागीदारी की मिसाल बन चुका है। सरकार ने वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए लालबत्ती का उपयोग खत्म करने की पहल कर हर व्यक्ति को महत्वपूर्ण होने का एहसास कराया। इसके साथ ही मोदी सरकार ने दिव्यांगजनों के आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 4 प्रतिशत की तो एस/एसटी के अत्याचार से जुडे मामले को तेजी से निपटाने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया। पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। जनजातियों और वनवासियों को उनकी जमीन का मालिकाना हक दिया गया। इसके तहत जनजातियों को 52 लाख से ज्यादा मालिकाना हक मिला। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान होने से 32 लाख किसान लाभान्वित हुए। यूरिया के व्यापार में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन बढ़ा जिससे किसानों को खाद की कमी का संकट दूर हुआ। फसल बीमा योजना को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया गया। देशभर की मंडियों को नेट से जोड़ा गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देश की नौकरशाही को जिम्मेवार तथा पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की भी ठोस पहल की। इसके तहत अधिकारियों को निजी स्तर गांवों तथा जनविकास के लिए विजन प्रस्तुत करने का प्रस्ताव दिया। अधिकारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता रखी गयी और काम करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित की गयी तो सरकारी कामकाज में लापरवाही तथा निरंकुशता रखने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की गयी। पहली बार हुआ कि सरकारी निर्देशों का उलंघन करने वाले कई आई एस अधिकारियों को निलम्बित किया गया तथा भ्रष्ट अधिकारियों की सूची बनाकर कार्रवाई की गयी।
आत्मतत्व के दर्शन में संकल्प को सिद्धि में बदलने वाले को परम पुरूष की संज्ञा दी गयी है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने जनहित के मुदें से लेकर, भ्रष्टाचार पर नौकरशाही की लगाम कसने और राष्ट्र की सुरक्षा तथा वैश्विक नीति पर भारत की साख को मजबूत करने की दिशा में जो कदम उठाये गये उससे भारत की एक अलग ही साख बनी है। आजादी के बाद भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिसके राजनीतिक कदम का पीछा करते हुए लगभग एक दर्जन राष्ट्रो के चुनाव में मोदी के पहल की नकल की गयी। मोदी सरकार के तीन वर्षो में भारत के निचले पायदान पर जीवन यापन करने वालों के सम्मान को बढ़ाने तथा उनके सपनों को पूरा करने के लिए जो नीतियां बनायी गयी और उसका क्रियान्वयन किया गया, उसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज भारत के जनजीवन में लक्षित हो रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि मोदी के विदेश दौरों में हर जगह-जगह ‘‘मोदी-मोदी’’ के नारे की गूंज हो रही है। यही नही पहली बार भारत ने चीन के खिलाफ डोकलाम मुद्दे पर जिस प्रकार कड़ा रूख अख्त्यिार किया है, उसकी अभी तक किसी भारतीय ने सोचा भी नही था। काश्मीर की समस्या पर भी सरकार के कड़े रूख ने आतंकवादियों के दांत खट्टे कर रखे है। तीन वर्ष मोदी सरकार में एक भी भ्रष्टाचार का मामला नही आया है और नही किसी मंत्री पर ऐसे किसी प्रकार के आरोप लगे है। मोदी का ही प्रभाव है कि विपक्ष हताशा की मुद्रा में आ गया है और उसे कोई राजनीति राह नही दिख रही है।