भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक ढ़ांचा है, देश में हर वक्त कहीं ना कहीं चुनाव चल रहे होते हैं. यही वजह है कि कई बार विभिन्न चुनाव एक साथ करवाए जाते हैं. देश के संविधान में इस बात की इजाजत है कि चुनाव आयोग अपनी सुविधानुसार चाहे तो चुनाव 'समय पूर्व' करवा सकता है. आगामी चुनाव की खबरों पर विश्वास करें तो अगले साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही साथ 2019 के लोकसभा चुनाव भी करवाए जा सकते हैं.
अधिक से अधिक राज्यों में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाए जाने की संभावनाओं पर चर्चा होनी शुरू हो गई है. उम्मीद की जा रही है कि इसके चलते अगले लोकसभा चुनाव साल के अंतिम दो महीनों (नवंबर-दिसंबर 2018) में करवाए जा सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी कई बार यह राय जाहिर कर चुके हैं कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पड़ता है.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते समय भी देश में चुनाव सुधारों की वकालत की थी. प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए.
प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग की अपील अगर तमाम राजनीतिक दल मान लेते हैं और समयपूर्व लोकसभा चुनाव पर वे एकमत हो जाते हैं तो कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी एकसाथ हो सकते हैं. दरअसल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम की विधानसभाओं का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2018 में समाप्त हो रहा है. इसके अलावा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में भी विधानसभा चुनाव इन प्रस्तावित चुनावों के साथ करवाए जा सकते हैं. इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अप्रैल 2019 तक है. माना जा रहा है कि अगर इस प्रक्रिया को अगले लोकसभा चुनावों से लागू कर दिया जाए तो 10 साल में ज्यादातर राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होंगे.
अगले साल नवंबर-दिसंबर में खत्म हो रहे 4 विधानसभा (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम) के कार्यकालों में महज मिजोरम ही है जहां बीजेपी सत्तासीन नहीं है. इसके अलावा ओडिशा में बीजेडी और आंध्र प्रदेश में टीडीपी को 2014 की मोदी लहर का फायदा जमकर हुआ था. इस वजह से इस बात की उम्मीद ज्यादा है कि लगभग सभी राज्यों में 'समयपूर्व' चुनाव की सहमति बन जाएगी
इधर चुनावों के मद्देनजर मोदी सरकार ने भी अपनी कार्यशैली में रणनीतिक बदलाव लाने का फैसला किया है. कंपनी बार्कले इंडिया की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि मोदी सरकार अपने बचे कार्यकाल में शायद ही किसी महत्वपूर्ण सुधार पर ध्यान दे. वह अपनी उपलब्धियों का प्रचार करने तथा अपेक्षाकृत कम करों के साथ लोकहितैषी दिखने की कोशिश कर सकती है.
14th August, 2017