मोदी कैबिनेट में प्रस्तावित फेरबदल अब कुछ घंटों की ही बात है. ऐसा माना जा रहा है कि उन मंत्रियों पर गाज गिरनी तय है जिनके प्रदर्शन को लेकर पीएम मोदी और अमित शाह खुश नहीं थे. तीन साल पूरा होने के बाद बीजेपी अभी से 2019 के चुनाव की तैयारियों में लग गई है और कई राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए भी सरकार अपनी छवि सुधारने की दिशा में कदम उठा रही है.
दरअसल, मोदी सरकार के करीब 9 मंत्री ऐसे हैं, जिनकी छुट्टी हो सकती है या उनके विभाग में फेरबदल किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि कई मंत्रियों ने इस्तीफे की पेशकश की है.
कभी यूपी के ताकतवर नेता रहे और ब्राह्मण चेहरा कलराज मिश्र को 75 साल से ज़्यादा उम्र होने के कारण मंत्रिमंडल से ड्रॉप किया जा सकता है. आगे उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर उन्हें संतुष्ट किया जा सकता है.
मोदी सरकार में कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी के कामकाज को लेकर भी ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री बहुत खुश नहीं हैं. रोजगार को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है. रूडी कैबिनेट से इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं.
जल और गंगा मंत्रालय की प्रभारी उमा भारती से भी प्रधानमंत्री खुश नहीं हैं. उन्होंने गंगा सफाई के नाम पर कुछ काम नहीं किया है और इसको लेकर भी विपक्ष हमला करता रहा है. प्रधानमंत्री ने गंगा की सफाई को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन पिछले तीन साल में गंगा सफाई पर सिर्फ नाममात्र के ही काम हुए थे. उमा भारती भी इस्तीफे की पेशकश कर चुकी हैं.
ऐसी चर्चा है कि वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण भी इस्तीफे की पेशकश कर चुकी हैं. बताया जा रहा है कि उन्हें फिर से संगठन कार्य में लगाया जा सकता है.
उमा भारती के साथ ही उनके विभाग के जूनियर मंत्री संजीव बालियान भी इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं, जबकि वो सिर्फ इसी मंत्रालय का काम देख रहे थे. इनको भी खराब प्रदर्शन का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री हैं. बताया जाता है कि मंत्रालय में उनके अटेंडेन्स और पार्टी के संगठन के कार्यक्रमों में न के बराबर हाजिरी होने से अमित शाह और प्रधानमंत्री उनसे खुश नहीं हैं.
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के कामकाज से भी पीएम मोदी बहुत खुश नहीं हैं. उनसे इस्तीफा तो नहीं लिया गया है, लेकिन उनका मंत्रालय बदला जा सकता है.
नाकामी के लिए सबसे ज्यादा चर्चा में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ही रहे हैं. ट्टिवटर पर वे काफी सक्रिय रहे हैं, लेकिन रेल हादसे रोकने में उनका मंत्रालय अक्षम साबित हुआ है. पिछले दिनों हुए रेल हादसों की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन उनका इस्तीफा अभी तक मंजूर नहीं हुआ है. सुरेश प्रभु को फिलहाल बाहर न करते हुए कोई और विभाग दिया जा सकता है.
ऐसा माना जा रहा है कि एचआरडी राज्यमंत्री मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के प्रदर्शन से भी पीएम खुश नहीं हैं. दूसरी बात यह कि बिहार में अब सत्ता समीकरण भी बदल गया है, ऐसे में उनकी अब केंद्र में उपयोगिता नहीं रह गई है.
1st September, 2017