यह स्थिति तब है जबकि भाजपा के पास नरेन्द्र मोदी जैसा लोकप्रिय जननेता है और पार्टी ने बहुत ही सोच विचार कर स्वच्छ छवि, ईमानदार और कर्मठ युवा नेता के रूप में योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की कमान सौपी थी। ऐसे हालात में योगी का विधानसभा चुनाव का सामना न कर बैकडोर से विधान परिषद के माध्यम से मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की कवायद किसी भी लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाले प्रबुद्धजनो के गले नही उतर रहा है।