विजय शंकर पंकज, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भारी आर्थिक तंगी से गुजर रही है। कई प्रमुख विभागों में वेतन देने के लाले पड़ रहे है। विकास कार्य पूरी तरह से ठप है और अपने प्रशासनिक खर्चो को ही पूरा करने के लिए राज्य को केन्द्र की तरफ देखना पड़ रहा है। राज्य की आर्थिक स्थिति में अगले बजट से पहले सुधार होने की संभावना नही है। आर्थिक तंगी को देखते हुए राज्य सरकार ने चुनावी घोषणाओं के अमल पर फिलहाल रोक लगा दी है।
राज्य के आर्थिक मामलों के जानकार अधिकारियों का कहना है कि अचानक आर्थिक संकट का मुख्य कारण चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के कारण आया है। सरकार ने संसाधनों की परवाह किये बगैर घोषणाएं कर दी। इसमें सर्वाधिक खर्चा किसानों की कर्जमाफी का 36 हजार करोड़ रूपये का है। इसके साथ ही राजकीय कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी है। कर्मचारियों के बढे वेतन को सरकार ने जनवरी माह से देने का निर्णय लिया है और इसके बीच का एरियर उनके पीएफ में डाला जाएगा। ऐसा करके राज्य सरकार ने अपने आर्थिक हालात पर पर्दा डालने का काम किया है। आर्थिक तंगी के चलते कई महत्वपूर्ण विभागों में वेतन विलम्ब से मिल रहा है। दिसम्बर माह से वेतन देने के भी लाले पड़ने की संभावना है। सरकार मान कर चल रही है कि यदि केन्द्र का आगामी बजट जनवरी में आ जाता है तो राज्य को कुछ जल्दी राहत मिल जाएगी।
राज्य के संसाधन बढ़ोतरी की कोई कार्य योजना न होने तथा करों की अपेक्षित वसूली न होने से भी संकट बढ़ा है। प्रदेश में सर्वाधिक राजस्व आबकारी से आता है परन्तु सरकार की लचीली नीतियों तथा पूर्व सरकार की शर्तो के पालन करने के कारण इस बार आबकारी राजस्व में 20 प्रतिशत की कमी आयी है। केन्द्र सरकार के जीएसटी लागू होने के बाद से व्यापार कर तथा अन्य राजस्व का मामला भी अधर में लटका हुआ है। खनन का काम बंद होने के कारण भी राज्य का भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसके चलते निर्माण कार्य बंद पड़े है। प्रापर्टी पर केन्द्र सरकार की सख्ती के चलते भी राजस्व में कमी आयी है। आर्थिक संकट के कारण मुख्यमंत्री योगी कई चुनावी घोषणाओं को पूरा नही कर पा रहे है। मुख्यमंत्री की अन्नपूर्णा योजना 6 माह बाद भी केवल घोषणा बनकर रह गयी है तो स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़को के गढढा मुक्ति, सिंचाई, कृषि, परिवहन, समाज कल्याण, ग्राम विकास, पंचायती राज, शहरों की सफाई एवं विकास कार्य आदि विभाग की योजनाएं रूकी पड़ी है। अब अगले बजट में केन्द्र से अपेक्षित सहायता मिलने के बाद ही इन योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा सकता है।
3rd November, 2017