यूरीड मीडिया- उत्तर प्रदेश में होने जा रहे गोरखपुर और फूलपुर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऑर उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य की असली अग्निपरीक्षा होगी । 2014 लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रिकॉर्ड मतों से योगी और केशव जीते थे । योगी को कुल मतों का 51.80 प्रतिशत मत मिले थे जबकि केशव मौर्य को 52.43 प्रतिशत मत मिले थे और रिकॉर्ड दर्ज़ की थी । लेकिन यह जीत योगी और केशव की नहीं थी यह रिकॉर्ड जीत का श्रेय मोदी को है । 1 वर्ष से योगी और केशव मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री है अब जीत हार का सीधा श्रेय राज्य सरकार के कार्यों और योगी और केशव से जुड़ा होगा ।
2014 के रिकॉर्ड मत की जीत को और बड़ी जीत में कैसे बदलते है ये तो चुनाव परिणाम तय करेगा लेकिन अगर जीत हार का अंतर 2014 के लोकसभा चुनाव से कम हुआ तो सीधे योगी और केशव जिम्मेदार होंगे । गोरखपुर जीत का अंतर अगर 51.80 प्रतिशत से अधिक होता है तो माना जाएगा मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की अपने संसदीय क्षेत्र में लोकप्रियता बढ़ी है और अगर जीत का अंतर 2014 लोकसभा चुनाव से के कम होता है तो योगी आदित्यनाथ के कार्यशैली पर सवाल उठेंगे क्योकि योगी 1998 से गोरखपुर से लगातार सांसद है । यही स्थिति फूलपुर संसदीय क्षेत्र पर लागू होती है । भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी फूलपुर से 52.43 प्रतिशत से अधिक मतों से जीतता है तो केशव मौर्य का कद बढ़ेगा और यह माना जाएगा कि मौर्य की लोकप्रियता पिछड़ी जातियों एवं संसदीय क्षेत्र में बढ़ा है और जीत का अंतर कम होता है तो केशव मौर्य की कुर्सी प्रभावित हो सकती है क्योकि केशव मौर्य भाजपा में पिछड़ी जातियों के एक बड़े चेहरे है ।
यह तो जीत का प्रभाव होगा अगर गोरखपुर एवं फूलपुर में चुनाव भाजपा हारती है हालांकि ऐसा लग नही रहा है लेकिन अगर हारे तो मोदी का 2019 मिशन को बहुत धक्का लगेगा । यह दोनों संसदीय क्षेत्र उपचुनाव मात्र दो संसदीय क्षेत्र के चुनाव नहीं है यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार वर्षो और योगी एवं केशव के एक वर्ष सरकार के कार्यों पर जनता की मुहर होगी ।
2014 के रिकॉर्ड मत की जीत को और बड़ी जीत में कैसे बदलते है ये तो चुनाव परिणाम तय करेगा लेकिन अगर जीत हार का अंतर 2014 के लोकसभा चुनाव से कम हुआ तो सीधे योगी और केशव जिम्मेदार होंगे । गोरखपुर जीत का अंतर अगर 51.80 प्रतिशत से अधिक होता है तो माना जाएगा मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की अपने संसदीय क्षेत्र में लोकप्रियता बढ़ी है और अगर जीत का अंतर 2014 लोकसभा चुनाव से के कम होता है तो योगी आदित्यनाथ के कार्यशैली पर सवाल उठेंगे क्योकि योगी 1998 से गोरखपुर से लगातार सांसद है । यही स्थिति फूलपुर संसदीय क्षेत्र पर लागू होती है । भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी फूलपुर से 52.43 प्रतिशत से अधिक मतों से जीतता है तो केशव मौर्य का कद बढ़ेगा और यह माना जाएगा कि मौर्य की लोकप्रियता पिछड़ी जातियों एवं संसदीय क्षेत्र में बढ़ा है और जीत का अंतर कम होता है तो केशव मौर्य की कुर्सी प्रभावित हो सकती है क्योकि केशव मौर्य भाजपा में पिछड़ी जातियों के एक बड़े चेहरे है ।
यह तो जीत का प्रभाव होगा अगर गोरखपुर एवं फूलपुर में चुनाव भाजपा हारती है हालांकि ऐसा लग नही रहा है लेकिन अगर हारे तो मोदी का 2019 मिशन को बहुत धक्का लगेगा । यह दोनों संसदीय क्षेत्र उपचुनाव मात्र दो संसदीय क्षेत्र के चुनाव नहीं है यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार वर्षो और योगी एवं केशव के एक वर्ष सरकार के कार्यों पर जनता की मुहर होगी ।
10th February, 2018