नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कान्त द्वारा स्वस्थ्य सेवाओ की जारी की गई रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की स्थिति बहुत ही खराब है । मात्र स्वास्थ्य सूचकांक में उत्तर प्रदेश 33.69 पॉइंट मिले है जो यह दर्शाते है कि स्वास्थ्य सेवाओ की कितनी खराब हालत है । भाजपा सरकार के एक वर्ष पूरे होने जा रहे है और इस दौरान स्वास्थ्य सेवाओ में कोई सुधार नहीं हुआ है । तरह तरह के अव्यहारिक निर्णय से स्वास्थ्य विभाग में अनिश्चितता बनी हुई है ।
शहरों से लेकर गाव तक के सरकारी अस्पतालों में दवाओ का आभाव है । डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है और पूर्व सरकारो की तरह दवाओ की खरीद और तैनाती में धंधेबाजी जारी है । स्वास्थ्य मंत्री सरकार की तरफ से अधिकृत प्रवक्ता है । उन्हे यह बताना चाहिए स्वास्थ्य सूचकांक में इतनी गिरावट क्यो ? देश के सभी राज्यों से बधाल स्वास्थ्य सेवाएँ क्यो ? इसके लिए क्या सुधार के उपाए किए जा रहे है ? जिस तरह से एक वर्ष में स्वास्थ्य सेवा में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह अपने अजेंडे और सोच को प्राथमिकता दे रहे है उससे श्री सिंह के लिए चुनौती बढ़ती जा रही है ।
विभाग में पिछले ढाई दशक से दवाओ की खरीद, फर्जी नियुक्तियाँ सीएमओ के तैनाती में धंधेबाजी और माफियाओं का दखल चल रहा है उसपर रोक लगाने में सिद्धार्थनाथ सिंह फिलहाल अभी तक सफल नहीं हो पाये है । आज भी विभाग दवा माफ़ियों के गिरफ्त में है ।
शहरों से लेकर गाव तक के सरकारी अस्पतालों में दवाओ का आभाव है । डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है और पूर्व सरकारो की तरह दवाओ की खरीद और तैनाती में धंधेबाजी जारी है । स्वास्थ्य मंत्री सरकार की तरफ से अधिकृत प्रवक्ता है । उन्हे यह बताना चाहिए स्वास्थ्य सूचकांक में इतनी गिरावट क्यो ? देश के सभी राज्यों से बधाल स्वास्थ्य सेवाएँ क्यो ? इसके लिए क्या सुधार के उपाए किए जा रहे है ? जिस तरह से एक वर्ष में स्वास्थ्य सेवा में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह अपने अजेंडे और सोच को प्राथमिकता दे रहे है उससे श्री सिंह के लिए चुनौती बढ़ती जा रही है ।
विभाग में पिछले ढाई दशक से दवाओ की खरीद, फर्जी नियुक्तियाँ सीएमओ के तैनाती में धंधेबाजी और माफियाओं का दखल चल रहा है उसपर रोक लगाने में सिद्धार्थनाथ सिंह फिलहाल अभी तक सफल नहीं हो पाये है । आज भी विभाग दवा माफ़ियों के गिरफ्त में है ।
10th February, 2018