इन दोनों को पाकिस्तान बार्डर पर भेज दिया जाये तो सेना पर बयान देना बंद कर देंगे।
राहुल, अखिलेश के जाति-धर्म राजनीति से भी मिल रहा है ओवैसी-भागवत को फायदा।
लखनऊ। असुद्दीन ओवैसी के दो चेहरे है। पहला चेहरा जो मीडिया में मुस्लिम रहनुमा बनना चाहते है। लेकिन उनका यह असली चेहरा नहीं है। उनका असली चेहरा आरएसएस के साथ मिलकर हिन्दू-मुस्लिम में वैमनस्ता फैलाना है। सेना पर बयान देने के पहले ओवैसी को बताना चाहिए कि उनके खानदान में कभी किसी ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया। पाँच बेटियाँ और एक बेटा है। क्या किसी को सेना में भेजेंगे? सेना किस तरह से जाति धर्म से ऊपर उठकर देश की रक्षा कर रही है। यह बड़े महलों में रहने वाले ओवैसी जैसे को क्या पता है। बड़े बाप की बड़ी औलाद है, और महत्वाकांक्षा के चलते आरएसएस के साथ मिलकर मुस्लिमों की तरफ से हिंदुओं पर तीखा बयान देते है। जिससे इसका लाभ भाजपा को मिलें। इनके कई मित्र जो संघ के बड़े बड़े पदाधिकारियों के कॉमन मित्र है। आपस में बैठकर एजेंडा तय करते है कि राजनीतिक लाभ और सियासत की दुकान कैसे चले? ओवैसी अगर मुस्लिमों के रहनुमा है तो बताये की अपने अरबों की कमाई में कितनी धनराशि मुस्लिम शिक्षा पर खर्च किया। वर्तमान में सेना पर दिया गया ओवैसी का बयान देश की मूलभूत समस्याओं से हटाने के लिए है। आज देश में समस्याओं का अंबार है। इसपर चर्चा ना हो इसीलिए ओवैसी ऐसे भड़काऊ बयान देकर चर्चा में रहते है। पाकिस्तान द्वारा जिस तरह से जम्मू कश्मीर में निरंतर आतंकवादियों से हमले करा रहा है 40 दिनों में 26 सैनिक शहीद हुए। इससे पूरे देश में आक्रोश है और इस आक्रोश को ओवैसी जैसे नेता हिन्दू मुस्लिम में विभाजित कर रहे है जो सीधा राष्ट्रदोह है। सेना पर ऐसे बेतुके बयान देने वाले राष्ट्रदोही व्यक्तियों को मीडिया में अनावश्यक महत्व दिया जाना भी ठीक नहीं है। और ऐसे कम दिमाग और दोहरा चरित्र रखने वाले ओवैसी और मोहन भागवत जैसे लोगों को श्रीनगर के बार्डर एरिया में भेज देना चाहिए। जिससे इन्हे वस्तु स्थिति की जानकारी हो कि हमारे सैनिक किस तरह से जोखिम लेकर देश की रक्षा कर रहे है और इनके बयानों से कितना कष्ट हो रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और अन्य राजनीतिक दल भी जिस तरह से जाति, धर्म पर पूरी सियासत करने में जूटे है। इससे भी ओवैसी, आजम खा तथा मोहन भागवत जैसे लोगों को हिन्दू, मुस्लिम बयान देने का अवसर मिल रहा है।
राहुल, अखिलेश के जाति-धर्म राजनीति से भी मिल रहा है ओवैसी-भागवत को फायदा।
15th February, 2018