उपेंद्र नहीं मुख्यमंत्री योगी हारे, योगी मुख्यमंत्री नहीं अश्वमेघ घोडा बन गए थे
लखनऊ, यूरीड़ मीडिया न्यूज़। गोरखपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र शुक्ल नहीं बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हारे है। योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बल्कि अश्वमेघ घोडा बना दिया था और पूरे देश में ऐसे दौड़ा रहे थे। योगी जहां-जहां जाएंगे वहाँ-वहाँ कमल खिल जाएगा। लेकिन इस अश्वमेघ घोड़े को घर में ही शिकस्त मिल गयी। यह हार योगी आदित्यनाथ की ऐसी हार है जो उन्हे अपने ही राजनीतिक सलाहकारों, आसपास घिरे रहने वाले चाटुकारों, जाति की राजनीति करने वाले सजातीय चमचों एवं भ्रष्ट जिलाधिकारी राजीव रौतेला की सलाह मानने तथा भाजपा द्वारा अश्वमेघ घोडा बनाने के कारण हुई है। इस हार ने योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक सोच और परिपक्वता के साथ उनके भविष्य को लेकर भी सवाल पैदा कर दिया है। जिस संसदीय क्षेत्र पर 1991 के बाद से लगातार मठ का कब्जा है। 1998 से योगी आदित्यनाथ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है। आज जब पूरे देश में मोदी के बाद योगी की चर्चा मीडिया में सर्वाधिक हो रही थी। गुजरात, हिमाचल, त्रिपुरा, मेघालय जहां चुनाव हुए और भाजपा की सरकारें बनी उसमें योगी को भी क्रेडिट दी जा रही थी। कर्नाटक में आने वाले चुनाव को देखते हुए स्टार प्रचारक के रूप में दौरा कर रहे थे, पश्चिम बंगाल, केरल एवं अन्य राज्यों में भी जहां गैर भाजपा सरकारें है वहाँ पर हिन्दुत्व एजेंडे के साथ योगी आदित्यनाथ जा रहे थे। ऐसे समय में जब योगी आदित्यनाथ की चर्चा देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो रही थी। योगी के आसपास ऐसे समय में मीडिया एवं भ्रष्ट अफसर और सजातीय चाटुकारों ने एक ऐसा आभामंडल बना दिया था कि जिसके चक्रव्यूह में योगी आदित्यनाथ फंस गए। अपने घर की ही जनता की भावनाएं नहीं समझ पाये। जबकि मुख्यमंत्री बनने के बाद गत एक वर्ष में कम से कम विभिन्न अवसरों पर 15 दिन से अधिक गोरखपुर में प्रवास कर चुके है। करोड़ों रुपये की विकास कार्यों की योजनाओं का शिलान्यास किया है। लेकिन यह सब योगी को लाभ नहीं दिला सके और अपने ही घर में शर्मनाक हार झेलनी पड़ी।
हार के बाद योगी आदित्यनाथ ने सत्य को स्वीकार किया और यह मान लिया कि हम सपा-बसपा के गठबंधन को समझने में फेल रहे, जिसका एक कारण अतिआत्मविश्वास
भी है। यह सत्य है कि योगी आदित्यनाथ को गलतफहमी थी कि गोरखपुर की जनता रियाया है और वह राजा है। अगर ऐसा नहीं होता तो गत वर्ष मेडिकल कॉलेज में जिस तरह
से दर्जनों बच्चों की मौत हुई। बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने अहंकारी बयान दिया था उससे गोरखपुर की जनता के दिल को गहरा आधात पहुंचा था। बच्चों के मौत के जिम्मेदार जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई ना करके साजिशन जाति एवं धर्म के आधार पर चिन्हित करके कार्रवाई की गई। यह भी योगी के
प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक निष्पक्षता पर सवाल था इसका भी जवाब जनता ने दिया है। मठ के धूर विरोधी माने जाने वाले हरिशंकर तिवारी के आवास पर छापे मारे गए। उससे भी राजनीतिक अपरिपक्वता दिखाई दी। योगी का प्रदेश में बेमेल राजनीतिक सौदेबाजी का बयान यह बताता है कि हार की उन्होंने निष्पक्ष और सही कारणों का विश्लेषण नहीं किया है। अगर हार के वास्तविक कारणों का निष्पक्ष विश्लेषण करें तो पता चल जाएगा कि 1 वर्ष में गाँव, गरीब, किसान एवं युवा नौजवान किस तरह से परेशान है। पिछड़े एवं दलितों के समीकरण के साथ ही योगी आदित्यनाथ पर व्यापारी, ब्राह्मण, कायस्थ ने भी भरोसा नहीं किया। जिससे मतदान प्रतिशत कम रहा और भाजपा को उसकी वास्तविक स्थिति जनता के बीच पता चल गयी।
भी है। यह सत्य है कि योगी आदित्यनाथ को गलतफहमी थी कि गोरखपुर की जनता रियाया है और वह राजा है। अगर ऐसा नहीं होता तो गत वर्ष मेडिकल कॉलेज में जिस तरह
से दर्जनों बच्चों की मौत हुई। बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने अहंकारी बयान दिया था उससे गोरखपुर की जनता के दिल को गहरा आधात पहुंचा था। बच्चों के मौत के जिम्मेदार जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई ना करके साजिशन जाति एवं धर्म के आधार पर चिन्हित करके कार्रवाई की गई। यह भी योगी के
प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक निष्पक्षता पर सवाल था इसका भी जवाब जनता ने दिया है। मठ के धूर विरोधी माने जाने वाले हरिशंकर तिवारी के आवास पर छापे मारे गए। उससे भी राजनीतिक अपरिपक्वता दिखाई दी। योगी का प्रदेश में बेमेल राजनीतिक सौदेबाजी का बयान यह बताता है कि हार की उन्होंने निष्पक्ष और सही कारणों का विश्लेषण नहीं किया है। अगर हार के वास्तविक कारणों का निष्पक्ष विश्लेषण करें तो पता चल जाएगा कि 1 वर्ष में गाँव, गरीब, किसान एवं युवा नौजवान किस तरह से परेशान है। पिछड़े एवं दलितों के समीकरण के साथ ही योगी आदित्यनाथ पर व्यापारी, ब्राह्मण, कायस्थ ने भी भरोसा नहीं किया। जिससे मतदान प्रतिशत कम रहा और भाजपा को उसकी वास्तविक स्थिति जनता के बीच पता चल गयी।
14th March, 2018