मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं की बैठक कर समस्याओं की होगी सुनवाई
सरकार और संगठन में समन्वय बनाने पर जोर, संघ ने भी पहल तेज की
विजय शंकर पंकज, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी की गूंज अब दिल्ली दरबार तक पहुंच चुकी है। कर्नाटक चुनाव के बाद तत्काल इस पर उच्च स्तरीय बैठक बुलायी जाएगी जिसमें संगठन एवं सरकार के सभी वरिष्ठ नेता शामिल होगे। भाजपा शासित सभी राज्यों में कार्यकर्ताओ की नाराजगी की लगातार शिकायतें मिलने से पार्टी हाईकमान सतर्क हो गया है। इसी वर्ष होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के चुनाव से पूर्व भाजपा नेतृत्व इस मसले का सकरात्मक उपाय खोजने में लग गया है। भाजपा थींक टैंक का मानना है कि जल्द ही पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर नही की गयी तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा नेतृत्व ने 9 राज्यों में संगठनात्मक स्तर पर भारी बदलाव की भी तैयारी की है। इन राज्यों में भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में भारी बढ़त मिली है परन्तु केन्द्र में सरकार बनने के बाद कार्यकर्ताओं की नाराजगी की सबसे ज्यादा शिकायतें यही से मिली है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, हिमांचल प्रदेश तथा उत्तराखंड है। वर्ष 2014 में भाजपा ने गुजरात की सभी 26 सीटें जीतकर इतिहास रचा था जबकि पहली प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश के वाराणसी से भी चुनाव लड़े थे। मोदी के यूपी के वाराणसी से चुनाव लड़ने का प्रभाव उत्तरी भारत के राज्यों में भी पड़ा, जहां पार्टी को अपेक्षा से ज्यादा सीटें मिली। भाजपा को यूपी की 80 में से सहयोगियों सहित 73, हरियाणा की 10 में से 7, मध्यप्रदेश की 29 में से 27, राजस्थान की 25 में से 25, छत्तीसगढ़ की 11 में से 10, झारखंड की 14 मंे से 12, उत्तराखंड की 5 में से 5 और दिल्ली की 7 में से 7 सीटों पर विजय मिली थी। इस प्रकार इन 9 राज्यों की 207 लोकसभा सीटों में से भाजपा को 190 पर जीत हासिल हुई। अब केन्द्र एवं राज्यों की सरकार के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी जिस प्रकार बढ़ी है, उससे पार्टी हाईकमान की चिन्ता बढ़ी है।
असल में कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने की रणनीति को लेकर भाजपा नेतृत्व दुविधा का शिकार रहा। केन्द्र में एवं राज्यों में भाजपा की सरकारे बनने के बाद निष्ठावान कार्यकर्ताओं को समायोजित करने की समग्र कार्ययोजना ही नही बनी। पार्टी का एक वर्ग मानता रहा कि जिन कार्यकर्ताओं को पद दिया जाएगा, उससे ज्यादा कार्यकर्ता नाराज होगे। दूसरी तरफ पार्टी में चलने वाली गुटबाजी के कारण भी भाजपा नेतृत्व कुछ नामों पर सहमति नही जता पाता है। दूसरे राजनीतिक दल जबकि सरकार में आने पर अपने कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा सरकारी पदों से लाभान्वित करते है तो भाजपा में हमेशा ही उलटी धारा बनती है। इसके बाद जब चुनाव की बारी आती है तो राष्ट्रवाद और पार्टी की निष्ठा के नाम पर उन्हें आदर्श की घूंटी पिलायी जाती है। भाजपा के इन खोखले नारों से कार्यकर्ता चिढ़ गया है। आम कार्यकर्ता के साथ ही पार्टी के बड़े नेता भी जो कई बार लाभ उठा चुके है अपने विरोधी स्वर मुखर करने लगे है। पिछली बार जीत से आशंकित भाजपा ने दूसरे दलों की लंबी खेप पार्टी में शामिल कर ली और उन्हें विश्वास जताने के लिए पदों से सुशोभित भी किया परन्तु अब भी वे पार्टी से एकाकार नही कर पाये है।
सरकार-संगठन में बदलाव
भाजपा सूत्रों का मानना है कि चुनाव से पूर्व सरकार एवं संगठन में भारी पैमाने पर बदलाव किया जाता है। यह बदलाव जून माह तक हो जाएगा। केन्द्र की मोदी सरकार में कुछ विवादास्पद मंत्रियों की छूट्टी होने के साथ ही जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से कुछ नये एवं तेजतर्रार चेहरों को जगह दी जाएगी। इसी प्रकार राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं हरियाणा राज्य सरकारों में भी मंत्रीमंडल विस्तार होगा। सरकार में बदलाव के साथ भाजपा ने संगठनात्मक स्तर पर भी भारी पैमाने पर बदलाव की रणनीति बनायी है। इसके लिए संघ से भी सुझाव मांगे गये है। भाजपा संगठन में कई राज्यों के महामंत्री संगठन को लेकर कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है। कई महामंत्री संगठन के पदाधिकारियों पर मनमाने तरीके से पार्टी को चलाने तथा भ्रष्ट एवं अपराधिक प्रवृति के लोगो को शह देने के आरोप लगे है। उत्तर प्रदेश के महामंत्री संगठन का एक वीडियों वायरल होने के बाद पार्टी नेतृत्व नाराज चल रहा है। वैसे भी इस पदाधिकारी के खिलाफ मंत्रियों एवं विधायको तक की शिकायतें है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की कमान संभालने में अनुभवी संगठन महामंत्री नागेन्द्र त्रिपाठी को यूपी लाने की योजना है। त्रिपाठी पहले भी कई वर्षो तक यूपी की कमान संभाल चुके है। इसी प्रकार राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड के संगठन महामंत्रियों में बदलाव होना है।
भाजपा की रणनीति अतिपिछड़े एवं अतिदलित वर्ग के लोगो को सरकार एवं संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की है। इसके बाद भी ब्राह्मणों की नाराजगी झेलने को भी पार्टी तैयार नही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ठाकुर होने के बाद भी भाजपा की इन राज्यों में पकड़ मजबूत नही हो पा रही है। इन राज्यों के ठाकुर गुटों में आपसी कलह बढ़ रही है तो ब्राह्मण अपने को ठगा महसूस कर रहा है। भाजपा नेतृत्व इन दोनों वर्गो में सामन्जस्य बनाने की फिराक में है। ब्राह्मणों की नाराजगी के ही चलते डा. महेन्द्र नाथ पाण्डेय को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया तो शिवप्रताप शुक्ला को राज्यसभा भेजकर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भेजा गया। इसके बाद भी कलराज मिश्र की केन्द्रीय मंत्रिमंडल से हटाये जाने को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चल रही है। पाण्डेय एवं शुक्ल उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों में अपनी साख नही बना पा रहे है। माना जा रहा है कि प्रदेश भाजपा में डा. महेन्द्र नाथ पाण्डेय का कमान्ड न होकर सारा काम सुनील बंसल चलाते है। प्रदेश भाजपा में पाण्डेय से ज्यादा बंसल का एकाधिकार है। उत्तर प्रदेश में सरकार एवं संगठन में समन्वय नही है और योगी मंत्रिमंडल विभागीय स्तर पर बैठा हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीडब्लूडी,वित्त, आबकारी, वन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, सिंचाई, सहकारिता, शिक्षा, बेसिक शिक्षा, तथा नगर विकास में कोई दखलन्दाजी नही कर सकते है। इन विभागों के मंत्री अपनी अलग सत्ता चला रहे है। इन विभागों के कामों में योगी से ज्यादा महामंत्री संगठन सुनील बंसल के आदेश का पालन होता है। खुद योगी से एक दर्जन से ज्यादा मंत्री नाराज चल रहे है। यह मंत्री अपने विभाग से संतुष्ट नही है तो कई मंत्रियों के आदेशो की अधिकारी पालन नही करते है। यूपी में सरकार बनते समय मंत्रियों एवं विभागों के बंटवारे में योगी से कोई राय नही ली गयी थी और उन्हें केन्द्र से सूची पकड़ा दी गयी थी। अब मंत्रिमंडल विस्तार में योगी अपने कुछ चहेते लोगों को साथ रखना चाहते है परन्तु उन पर ठाकुरवाद के लगते आरोपों से भी भाजपा नेतृत्व सतर्क है। प्रदेश की अफसरशाही में ठाकुरवाद हावी होने से बढती गुटबाजी कानून-व्यवस्था तथा विकास कार्यो को प्रभावित कर रही है।
भाजपा सूत्रों का मानना है कि चुनाव से पूर्व सरकार एवं संगठन में भारी पैमाने पर बदलाव किया जाता है। यह बदलाव जून माह तक हो जाएगा। केन्द्र की मोदी सरकार में कुछ विवादास्पद मंत्रियों की छूट्टी होने के साथ ही जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से कुछ नये एवं तेजतर्रार चेहरों को जगह दी जाएगी। इसी प्रकार राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं हरियाणा राज्य सरकारों में भी मंत्रीमंडल विस्तार होगा। सरकार में बदलाव के साथ भाजपा ने संगठनात्मक स्तर पर भी भारी पैमाने पर बदलाव की रणनीति बनायी है। इसके लिए संघ से भी सुझाव मांगे गये है। भाजपा संगठन में कई राज्यों के महामंत्री संगठन को लेकर कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है। कई महामंत्री संगठन के पदाधिकारियों पर मनमाने तरीके से पार्टी को चलाने तथा भ्रष्ट एवं अपराधिक प्रवृति के लोगो को शह देने के आरोप लगे है। उत्तर प्रदेश के महामंत्री संगठन का एक वीडियों वायरल होने के बाद पार्टी नेतृत्व नाराज चल रहा है। वैसे भी इस पदाधिकारी के खिलाफ मंत्रियों एवं विधायको तक की शिकायतें है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की कमान संभालने में अनुभवी संगठन महामंत्री नागेन्द्र त्रिपाठी को यूपी लाने की योजना है। त्रिपाठी पहले भी कई वर्षो तक यूपी की कमान संभाल चुके है। इसी प्रकार राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड के संगठन महामंत्रियों में बदलाव होना है।
5th May, 2018