विजय शंकर पंकज, लखनऊ, यूरिड न्यूज़। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले गैर भाजपा विपक्षी दलों का महागठबंधन का खाका खींच लिया गया है। इस महागठबंधन में बसपा का पलड़ा भारी रहने की संभावना है। नये गठबंधन में रालोद के शामिल होने के कारण कांग्रेस की कुछ सीटों का नुकसान होने की संभावना है। वैसे टिकट वितरण में पहले और दूसरे नंबर की सीटों पर दावेदारी को ही मजबूत आधार बनाया गया है।
सूत्रों का मानना है कि गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर अब भी बहुजन समाज पार्टी के रूख को लेकर संशय बना हुआ है। वैसे गठबंधन की सीटों को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने सतीश मिश्र को बातचीत के लिए अधिकृत किया है परन्तु अन्तिम फैसला मायावती को करना है। बसपा अपने कोटे से अन्य दलों कांग्रेस तथा रालोद को कोई सीट देने को तैयार नही है। ऐसे में कांग्रेस और रालोद को शामिल करने के लिए सपा नेता अखिलेश यादव को ही अपने कोटे की सीटों का त्याग करना होगा। बसपा ने साफ कर दिया है कि 35 से कम सीटों पर उसका कोई समझौता नही होगा जबकि सपा नंबर एवं दो को मिलाकर 36 होती है और वह 4 अन्य सीटों पर अपना दावा चाहती है। बसपा ने नंबर दो 34 सीटों के साथ इलाहाबाद की सीट भी अपने खाते में मांगी है। यहां से सपा के रेवती रमण सिंह नबंर दो पर थे। कांग्रेस पहले 20 सीटों मांग रही थी परन्तु बाद मे अखिलेश ने उसे 15 सीटों पर मना लिया है। ऐसे में सपा को 30 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा। इसके बाद भी रालोद को शामिल करने पर सपा को कांग्रेस से कुछ सीटे कम करानी पड़ेगी। वैसे रालोद का कम से कम 10 सीटों पर दावा है परन्तु उसे 3 से 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा।
पहले सपा-बसपा गठबंधन में मायावती ने 40-40 सीटों का फार्मूला प्रस्तुत किया था। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा सर्वाधिक 34 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही जबकि सपा 31 सीटों पर नंबर दो रही। पिछले चुनाव में बसपा को लोकसभा की एक भी सीट पर जीत नही मिली थी जबकि सपा ने 5 सीटों पर विजय हासिल की। इस प्रकार नंबर एक तथा दो के वरीयता क्रम से सपा का 36 सीटों पर दावा है। गठबंधन के दो अन्य सहयोगियों में कांग्रेस को दो सीटों रायबरेली एवं अमेठी पर जीत मिली थी जबकि 6 सीटों पर नंबर दो रही। रालोद को कोई सीट नही मिली थी जबकि मथुरा की एकमात्र सीट पर जयन्त चौधरी नंबर दो पर रहे। इसके विपरीत रालोद नेता अजित सिंह बागपत से तीसरे नंबर पर पिछड़ गये थे। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से इनमें से कोई भी दल नंबर दो पर नही आया और यहां पर आप के अरविन्द केजरीवाल नंबर दो पर रहे। सपा एवं कांग्रेस नेताओं की जीत वाली सभी 7 सीटों पर भाजपा नंबर दो पर रही।
गठबंधन को मजबूत आधार देने के लिए सपा हर तरह की कोशिश में जुटी हुई है। इसके लिए भाजपा ने अपनी सीटों का कोटा कम करने का भी मन बनाया है। यही वजह है कि कैराना लोकसभा उपचुनाव में गठबंधन को मजबूत आधार देने के लिए सपा ने अपनी नंबर दो की सीट को न केवल रालोद को सौंप दिया बल्कि अपने प्रत्याशी पूर्व सांसद तबस्सुम को भी रालोद में शामिल करा दिया। इस प्रकार महागठबंधन की जो तस्वीर उभरकर आ रही है, उसके अनुसार बसपा 35, सपा 30 कांग्रेस 12 तथा रालोद 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगे।
9th May, 2018