लखनऊ, यूरिड न्यूज़। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की एक पंक्ति है-- "" छोटे मन से कोई बड़ा नही होता "" अटल की बाते आज उन्ही की पार्टी में उल्टी दिशा में चल रही है। कार्यकताओं की कही जाने वाली पार्टी आजकल मैनेजमेंट करने वालों के हाथ में सिमट कर रह गया है। अटल - आडवाणी के रहते भाजपा कार्यालयों में छोटे से बड़े सभी कार्यकर्ताओं को पूरा महत्व दिया जाता परन्तु अब भव्य-आधुनिक सुविधाओ वाली पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को बैठने की जगह नही है। नेता कभी आम कार्यकर्ता से नही मिलते। हालात यह है कि भाजपा अध्यक्ष से मिलने के लिए सांसदों विधायकों को महिनों इन्तजार करना पड़ता है और फिर भी मुलाकात नही हो पाती। पार्टी कार्यालय में रहने वाले कार्यकर्ताओं के भोजन आदि के लिए राशन तथा अन्य सामग्री चन्दे से आती थी परन्तु इसकी कमी नही होती थी परन्तु अब वाकया बदल गया है। पार्टी पदाधिकारियों के नाम पर करोड़ो का वारा-न्यारा करने वाली पार्टी में अब कार्यकर्ताओं को कार्यालय में जगह नही मिलती। जो आजीवन कार्यकर्ता कार्यालय में रहने को मजबूर है, उनके लिए अब कार्यालय के किचन में खाना नही बन रहा है बल्कि बाहर से टिफिन मंगाया जा रहा है। चाय-नाश्ते के लिए अब उन्हे बाहर दुकानों का सहारा लेना पड़ रहा है।
कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का ही परिणाम है कि अब पार्टी के चुनाव हारने पर कार्यकर्ता खुशियां मना रहे है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तथा फूलपुर में भाजपा के चुनाव हारने पर नेता जो भी बहाने खोजने में लगे परन्तु पहली बार भाजपा कार्यकताओं ने खुलकर अपनी खुशिया जतायी। भाजपा कार्यालय का माहौल यह हो गया है कि अब कार्यकर्ता पार्टी की जीत कम और हार की ज्यादा कामना कर रहा है। यह हालात तब है जबकि एक वर्ष से भी कम समय में भाजपा को सबसे चुनावी समर लोकसभा के चुनाव में जाना है। भाजपा नेता अब बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की तैनाती करने के दावे कर रहे है परन्तु कार्यकर्ता साफ कह रहा है कि जब सरकार में रहते उनकी सुध नही ली जाती तो एक माह के चुनाव में वह भी समय क्यों जाया करे। विपक्ष से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता कह रहे है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने वादे पूरे नही किये। भाजपा सरकारों में जनसमस्याओं का समाधान न होकर अफसरशाही की मनमानी चलती है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी का असर है कि पिछले दो वर्षो से पार्टी के ज्यादातर कार्यक्रम विफल साबित हुए है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखते हुए भाजपा नेता अब क्षेत्रों में जाने से कतराने लगे है। यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा नेताओं का कहना था कि चुनाव कार्यकर्ता नही जनता लड़ रही है। भाजपा नेताओं की यही सोच उन्हें कार्यकर्ताओं से दूर ले गयी। कार्यकर्ताओं ने भी अब नाराजगी साफ तौर पर जता दी है। हालात ऐसे ही बने रहे तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की नैया पार कराना भाजपा नेतृत्व के लिए भारी पड़ेगा।
10th May, 2018