विजय शंकर पंकज, लखनऊ (यूरिड न्यूज़)। भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश से आधे से ज्यादा सांसदों को अगले लोकसभा चुनाव का टिकट मिलना मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी सांसदों के चार साल के क्रियाकलापों का जो लेखा-जोखा तैयार किया है, उसमें ज्यादातर की स्थिति अत्यन्त खराब है और क्षेत्र में भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा ने इन सांसदों के संदर्भ में संगठन से भी रिपोर्ट मांगी है। संगठन के तौर पर जिला तथा प्रदेश स्तर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
वरिष्ठों की विदाई --
भाजपा की पहली सूची में उन वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है जिन्होंने 75 से ज्यादा की आयु पार कर ली है। इसमें डा. मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, डा. नेपाल सिंह तथा श्यामा चरण गुप्ता मुख्य है। इनके साथ ही उमा भारती ने झांसी से अगला चुनाव लड़ने से मना किया है तो उन्नाव से साक्षी महाराज को भी लेकर पार्टी में विवाद है। बरेली से संतोष गंगवार का भी पार्टी नेतृत्व विकल्प तलाशने में लगा है। बहराइच सांसद सावित्रि बाई फूले पिछले काफी दिनों से पार्टी की नीतियां के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक चुके है तो इटावा सांसद अशोक दोहरे एवं राबर्टसगंज सांसद छोटे लाल भी पार्टी नेतृत्व को लेकर नाराजगी जता चुके है। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद भाजपा को अपने कई मजबूत गढ़ो में भी प्रत्याशी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कमजोर प्रभाव वाले तथा विवादास्पद सीटों पर पार्टी नये प्रत्याशियों की तलाश में है। सहयोगी दलों में प्रतापगढ़ से अपना दल के कुंवर हरिबंश सिंह के स्थान पर भी नये प्रत्याशी की तलाश शु डिग्री हो गयी है। यहां से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह के भाजपा उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चाए चल रही है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की कमजोर मानी जानी वाली पहली सूची के लोकसभा क्षेत्रों में सहारनपुर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, सम्भल, फतेहपुर सिकरी, आंवला, कौशाम्बी, फुलपुर, इलाहाबाद, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, सीतापुर, धौरहरा, उन्नाव, हरदोई, मिश्रिख, फरूर्खाबाद, उन्नाव, सुलतानपुर, प्रतापगढ़, इटावा, बस्ती, संत कबीरनगर, कुशीनगर, देवरिया, लालगंज, घोसी, सलेमपुर, जौनपुर, मछलीशहर, डुमरियागंज तथा फैजाबाद है।
मंत्रियों को लोस चुनाव लड़ाने की तैयारी ----
आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की कमजोर स्थिति को भांपते हुए भाजपा नेतृत्व ने अपने कुछ मंत्रियों को लोस चुनाव की तैयारी करने का गुप्त संकेत दे दिया है। वैसे कई मंत्री चुनाव लड़ना नही चाहते है परन्तु विधान परिषद का दामन थामकर मंत्री बने लोगों को अपनी काबिलियत साबित करने को कहा गया है। गोरखपुर एवं फूलपुर उपचुनाव हारने के बाद भाजपा नेतृत्व की चिन्ताएं बढ गयी है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पार्टी अपनी प्रतिष्ठापूर्ण गोरखपुर सीट को बचा नही पायी है। भाजपा नेतृत्व को जो संकेत मिल रहे है, उसमें साफ है कि योगी के बिना अन्य कोई भाजपा नेता वहां से जितने की स्थिति में नही है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित दोनों उपमुख्यमंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया है। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी परम्परागत गोरखपुर, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर तथा उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को रायबरेली से चुनाव लड़ने को कहा गया है। इनके साथ अन्य मंत्रियों में स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, सतीश महाना, रमापति शास्त्री, ओम प्रकाश राजभर, बृजेश पाठक, राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, सिद्धार्थ नाथ सिंह, नन्द गोपाल नंदी तथा स्वतंत्रदेव सिंह के नाम मुख्य है।
सहयोगियों पर नजर --लोस चुनाव से पूर्व भाजपा नेतृत्व अपने कुछ सहयोगियों पर भी कड़ी नजर रखे हुए है। इसमे सबसे पहले निशाने पर ओम प्रकाश राजभर है जो लगातार मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है। ओमप्रकाश का दबाव है कि लोकसभा चुनाव में उन्हें अपना दल से ज्यादा सीटे चाहिए। राजभर की निगाह गाजीपुर, कुशीनगर, अम्बेडकरनगर तथा घोसी लोकसभा सीटों पर है। वैसे ओम प्रकाश राजभर का बेटा समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया है और उसका गाजीपुर से टिकट लगभग निश्चित माना जा रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर सहयोगी होते हुए भी केन्द्रीय संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के लिए बड़ी मुसीबत पैदा करेंगे। इसी प्रकार बलिया, घोसी तथा कुशीनगर की सीटों पर भी भाजपा को कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ेगा।
11th May, 2018