यूरीड मीडिया- इटावा की अनेक संस्थाएं एवं विदुतजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह मांग कर रहे हैं कि इटावा को उसका प्राचीन नाम इष्टिकापुरी उसी तरह से दे दिया जाए जैसे बनारस को पंडित कमलापति त्रिपाठी जी ने उसका पौराणिक नाम वाराणसी दे दिया अथवा नीमसार को नैमिशरण कर दिया गया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के काफी पहले से यह मांग की जाती रही है कि इटावा का नाम इष्टिकापुरी कर दिया जाए लेकिन इस नगर का यह दुर्भाग्य रहा कि यहां कोई उच्च कोटि का व्यक्ति शीर्ष पद पर नहीं पहुंच पाया और यह मॉग स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी नहीं मानी गई। भगवान ने अब यह दिन दिखाया है कि इस प्रदेश को एक उच्च कोटि का मुख्यमंत्री प्राप्त हुआ है। अतः जनता को अब आशा नहीं वरन पूरा विश्वास है कि यह मांग अवश्य पूरी हो सकेगी।
कुछ विद्वानों का मत है कि बटेश्वर (जि०आगरा) से भरेह (पचनद) तक का प्रदेश 'इष्टपथ' कहलाता था क्योंकि इस प्रदेश में भारत के इष्टदेव भगवान शंकर के अनेक मठ व मंदिर थे। इस प्रदेश में बसी इष्टिकापुरी इटावा' नगरी है जिसके आसपास अनेकों नामा से भगवान शंकर के प्रसिद्ध देवालए हैं। पवित्र यमुना नदी की सैकड़ों मील की यात्रा में इटावा ही एक ऐसा स्थान है जहां बल चतुर्दिशवाहिनी है। इस भांति इष्टिकापुरी 'इटावा' भी वृंदावन मथुरा व प्रयाग की भांति एक उच्च कोटि का तीर्थ रहा है। इस नगरी में अनेक प्रतिष्ठित ऋषि और सिद्ध महात्माओं ने जप व तप किया है वशिष्ठ जी विश्वामित्र जी. धौमऋषि पूज्यनीया मां आनन्दमयी व पूज्य उड़िया बाबा के नाम से उल्लेखनीय है। श्री खटखट बाबा की तो यह तपोभूमि कार्यस्थली ही रही है। यहां के अनेक मन्दिर व देवालय इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि प्राचीन काल में यह नगरी एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान था।
इस बात पर तो इतने अधिक समय के बाद अनेक मत हो सकते हैं कि यह नगरी इष्टिकापुरी क्यों कहलाती थी, परंतु इस बात पर कभी कोई मतभेद नहीं हुआ है कि इसका पुराना नाम यही था। यह नगरी इष्टिकापुरी क्यों कहलाई, इसके विभिन्न मतों की यहां चर्चा करना आवश्यक नहीं लगता। यदि इसका नाम पुनः इष्टिकापुरी कर दिया गया तो शायद यह अपने पुराने गौरव को पुनः प्राप्त हो जावे और न केवल इस जनपद के वरन अन्य भारतवासियों को भी नैतिक व सामाजिक उत्थान की प्रेरणा दे सके। जनपद वासियों का तो एसा विश्वास है कि इस नाम इष्टिकापुरी पढ़ने से यहां व्याप्त अपराधिक मनोवृति पर भी अपने आप कुछ ना कुछ रोक लगेगी जो अपने में ही एक उपलब्धि होगी।
अतः मैं अपनी तरफ से तथा इटावा के सभी नागरिकों की तरफ से आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं कि इटावा का नाम 'इष्टिकापुरी' करने के आदेश पारित करने की कृपा करें। आपके इस निर्णय से आपका नाम 'इष्टिकापुरी' के इतिहास में सदैव स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और इस जनपद वासियों की एक बहुत पुरानी मांग पूरी होगी।
कुछ विद्वानों का मत है कि बटेश्वर (जि०आगरा) से भरेह (पचनद) तक का प्रदेश 'इष्टपथ' कहलाता था क्योंकि इस प्रदेश में भारत के इष्टदेव भगवान शंकर के अनेक मठ व मंदिर थे। इस प्रदेश में बसी इष्टिकापुरी इटावा' नगरी है जिसके आसपास अनेकों नामा से भगवान शंकर के प्रसिद्ध देवालए हैं। पवित्र यमुना नदी की सैकड़ों मील की यात्रा में इटावा ही एक ऐसा स्थान है जहां बल चतुर्दिशवाहिनी है। इस भांति इष्टिकापुरी 'इटावा' भी वृंदावन मथुरा व प्रयाग की भांति एक उच्च कोटि का तीर्थ रहा है। इस नगरी में अनेक प्रतिष्ठित ऋषि और सिद्ध महात्माओं ने जप व तप किया है वशिष्ठ जी विश्वामित्र जी. धौमऋषि पूज्यनीया मां आनन्दमयी व पूज्य उड़िया बाबा के नाम से उल्लेखनीय है। श्री खटखट बाबा की तो यह तपोभूमि कार्यस्थली ही रही है। यहां के अनेक मन्दिर व देवालय इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि प्राचीन काल में यह नगरी एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान था।
इस बात पर तो इतने अधिक समय के बाद अनेक मत हो सकते हैं कि यह नगरी इष्टिकापुरी क्यों कहलाती थी, परंतु इस बात पर कभी कोई मतभेद नहीं हुआ है कि इसका पुराना नाम यही था। यह नगरी इष्टिकापुरी क्यों कहलाई, इसके विभिन्न मतों की यहां चर्चा करना आवश्यक नहीं लगता। यदि इसका नाम पुनः इष्टिकापुरी कर दिया गया तो शायद यह अपने पुराने गौरव को पुनः प्राप्त हो जावे और न केवल इस जनपद के वरन अन्य भारतवासियों को भी नैतिक व सामाजिक उत्थान की प्रेरणा दे सके। जनपद वासियों का तो एसा विश्वास है कि इस नाम इष्टिकापुरी पढ़ने से यहां व्याप्त अपराधिक मनोवृति पर भी अपने आप कुछ ना कुछ रोक लगेगी जो अपने में ही एक उपलब्धि होगी।
अतः मैं अपनी तरफ से तथा इटावा के सभी नागरिकों की तरफ से आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं कि इटावा का नाम 'इष्टिकापुरी' करने के आदेश पारित करने की कृपा करें। आपके इस निर्णय से आपका नाम 'इष्टिकापुरी' के इतिहास में सदैव स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और इस जनपद वासियों की एक बहुत पुरानी मांग पूरी होगी।
28th October, 2022