करीब चार दशक पहले 25 जनवरी सन उन्नीस सौ सत्तासी से टेलीविजन के दिल्ली दूरदर्शन चैनल पर प्रसारित होना शुरू हुए रामानंद सागर के कालजयी धारावाहिक रामायण ने डेढ़ साल की अल्प अवधि में ही जिस तरह से टीवी सीरियल की दुनियां में सर्वोच्च स्थान बना लिया था, वैसे ही 25 जनवरी 2024 से देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रसिद्ध थियेटर कमानी हाल में प्रदर्शित हुए नाटक "हमारे राम" ने रंगमंच की दुनियां में रौनक बिखेर रखी है ! कला और रंगमंच से जुड़े लोगों को रोमांचित करने वाले इस नाटक की खास बात यह है कि तीन घंटे से भी कम समय में दर्शकों को रामायन के तमाम ऐसे तथ्यों व दृश्यों का भान हो रहा है जो अत्यंत ही दुर्लभ हैं ! लेखक ने नाटक के समस्त संवाद काव्यात्मक शैली में लिखे है, जिसे नाटक का प्रत्येक पात्र अभिनय के समय उसी शैली व प्रवाह में प्रस्तुत करता है । पिछले अस्सी दिनों से यह नाटक देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई के विभिन्न थियेटरों में धूम मचाए हुए है । नाटक की सबसे खास बात यह भी है कि बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध अभिनेता आशुतोष राणा ने पूरे चौबीस साल बाद इस नाटक के जरिए थियेटर की दुनियां में वापसी की है । इस नाटक में आशुतोष राणा महान शिवभक्त रावण की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की भूमिका में नाटक के निर्माता दादा साहब फाल्के पुरुस्कार विजेता राहुल भूचर हैं, जो विश्व प्रसिद्ध अयोध्या की रामलीला में पिछले दो दशकों से श्रीराम की भूमिका निभाते चले आ रहे हैं ! स्टार प्लस के चर्चित धारावाहिक "सिया के राम" में हनुमान की भूमिका निभाने वाले चरित्र अभिनेता दानिश अख्तर इस नाटक में रुद्रावतार हनुमान की भूमिका निभा रहे हैं !
दिनेश दुबे- भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या की पावन धरा पर होने वाली रामलीला में श्रीराम की भूमिका का मंचन करते हुए तन के साथ साथ मन से भी पूरी तरह "राममय" हो चुके दिल्ली निवासी सुप्रसिद्ध रंगकर्मी व दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता राहुल भूचर का कोरोना काल के बाद जब लखनऊ निवासी राष्ट्रकवि डॉक्टर नरेश कात्यायन से दिल्ली के एक बड़े रंगमंच पर प्रदर्शित हुए एक नाटक के जरिए परिचय हुआ तो वे अवाक रह गए ! कारण राहुल भूचर डॉक्टर नरेश कात्यायन द्वारा फिल्मी दुनियां के एक प्रख्यात अभिनेता के लिए लिखे गए नाटक में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे । किंतु उस नाटक में लेखक के तौर पर डॉक्टर नरेश कात्यायन के नाम का कहीं पर उल्लेख नहीं किया गया था । नाटक ने दर्शकों का न सिर्फ भरपूर मनोरंजन किया बल्कि रंगकर्मियो ने नाटक की लेखन शैली की खूब सराहना भी की । यह बात अलग है कि नाटक के प्रदर्शन अर्थात प्रीमियर शो के समय मंच पर राहुल भूचर के साथ डॉक्टर नरेश कात्यायन की मौजूदगी भी रही थी, बावजूद इसके देश के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी राहुल भूचर और ख्यातिलब्ध लेखक डॉक्टर नरेश कात्यायन का उस समय परिचय नहीं हो पाया था ।
कला के साथ ही राम के लिए तन मन और धन से समर्पित दादा साहब फाल्के पुरुस्कार विजेता रंगकर्मी राहुल भूचर जो राजधानी दिल्ली के एक समृद्ध व्यवसाई भी हैं, ने राष्ट्रकवि डॉक्टर नरेश कात्यायन से किसी तरह परिचय करने के बाद भगवान श्रीराम के साथ ही रावण को केंद्र में रखकर रामायण पर नया नाटक लिखने का प्रस्ताव रखा । बतौर निर्माता राहुल भूचर के प्रस्ताव पर डॉक्टर नरेश कात्यायन ने नाटक लिखने की सहमति भी दे दी । लेकिन नरेश जी के समक्ष सबसे कठिन प्रश्न यह था कि रामायण और राम की कथा तो लोक विख्यात है ! नए नाटक में ऐसा क्या दिया जा सकता है ? जो समाज को आदर्श बनाने में सहायक सिद्ध हो और दर्शकों को सर्वथा नवीन और अब तक के अनदेखे दृश्य भी देखने को मिले ! डॉ. नरेश कात्यायन जी की एक बहुत पुरानी और देश विदेश मे विख्यात कविता "लव का आक्रोश" है ! जिसे मैंने भी मंचों से कई बार सुना है ! उसी कविता अर्थात सीता के "भूमि प्रवेश" से ही नाटक का आरम्भ किया गया । कई रामायणों और पुराणों के लोक विख्यात दृश्यों को वाक ओवर में निकाल कर सर्वथा नए दृश्यों एवम नए दृष्टिकोणों से इस नाटक की रचना की गई, और नाटक का नाम रखा गया "हमारे राम" ! मंच पर यह नाटक अपने सूत्रधार भगवान सूर्य के माध्यम से आगे बढ़ता है और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम व उनके चरित्र पर उंगलियां उठाने वालों को एक एक करके रचनात्मक उत्तर देता है !
लाइट और साउंड की विश्व स्तरीय नवीनतम तकनीकी के साथ ही नाटक के प्रमुख पात्रों राम- रावण और हनुमान की भूमिका निभाने वाले देश के श्रेष्ठतम रंगकर्मी के रूप में क्रमश: दादा साहेब फाल्के पुरुस्कार विजेता राहुल भूचर, फिल्म जगत के चमकते सितारे आशुतोष राणा के साथ ही उभरते सितारे दानिश अख्तर का अभिनय ऐसा जादू बिखेरता है कि दर्शक कुर्सियों से चिपकने के लिए मजबूर हो जाते है । रावण की भूमिका में फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा का महारानी मंदोदरी के साथ नाटक के दूसरे दृश्य में जब मंच पर आगमन होता है और पार्श्व में दशानन.! दशानन.!! की गूंजती हुई गर्वीली आवाज़ के साथ ही सतरंगी लाइट चमकती है तो घनघोर अंधेरे थियेटर में दर्शक भौचक रह जाते हैं । यही नहीं जिस समय मंच पर रावण अपने आराध्य भगवान भोले शंकर की पूजा करते समय पूजन सामग्री में नारियल न होने पर खड्ग से अपना सिर को काटकर शिवलिंग के समक्ष अर्पित करता है तो भगवान शंकर प्रकट होकर रावण को आशीष देते हुए कहते हैं कि "एक शीश के बदले रावण दश शीश तुझे मैं देता हूं" ! दशकन्धर होने का आशीर्वाद प्राप्त करते समय मंच के चारों ओर लगी एलईडी स्क्रीनों पर दश शीश के रूप में रावण को देखकर दर्शक अचंभित हो जाते हैं । नाटक के अन्य दृश्यों में रावण द्वारा रंभा का आलिंगन, नाक कान कटने के बाद सूर्पनखा का रावण के दरबार में रुदन के साथ ही सीता हरण के समय गीधराज से रावण का युद्ध व समुद्र पर पुल निर्माण के दृश्य दर्शकों को बेहद रोमांचित करते है ।
नाटक का निर्देशन गौरव भारद्वाज व सह निर्देशन एवं मंच संचालन राजीव दिनकर ने किया है । नाटक को संगीतवद्य किया है उद्भव ओझा एवं सौरभ मेहता ने जबकि आलोक श्रीवास्तव एवं रामकुमार के लिखे गीतों को आवाज दी है प्रख्यात गायक शंकर महादेवन, सोनू निगम, कैलाश खेर, उद्भव ओझा और सुवर्णा ने । नाटक में रम्भा का आकर्षक अभिनय किया है दीया मल्होत्रा ने । वशिष्ठ और जामवंत की भूमिका निभाई है प्रमोद कुमार ने और सुर्पणखा की भूमिका पर उत्कृष्ठ अभिनय किया है दीप्ति कुमार ने । जबकि विभीषन और दशरथ के रूप में संजय मखीजा, वाल्मीकि और माल्यवंत के रूप में सचिन जोशी मंदोदरी और कैकेयी के रूप में ज्योतिका सिंघल के साथ ही लव के रूप में आशीष व कुश के रूप में आकाश ने भूमिका निभाई है । भगवान सूर्यदेव की भूमिका में करण शर्मा, लक्षमण की भूमिका में भानु प्रताप तथा सीता के रूप हरलीन कौर रेखी के साथ ही भगवान शिवजी के रूप में तरुण खन्ना ने जबरदस्त अभिनय किया है।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
मोबाइल : 9415147159
ईमेल : dineshknj1@gmail.com
दिनेश दुबे- भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या की पावन धरा पर होने वाली रामलीला में श्रीराम की भूमिका का मंचन करते हुए तन के साथ साथ मन से भी पूरी तरह "राममय" हो चुके दिल्ली निवासी सुप्रसिद्ध रंगकर्मी व दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता राहुल भूचर का कोरोना काल के बाद जब लखनऊ निवासी राष्ट्रकवि डॉक्टर नरेश कात्यायन से दिल्ली के एक बड़े रंगमंच पर प्रदर्शित हुए एक नाटक के जरिए परिचय हुआ तो वे अवाक रह गए ! कारण राहुल भूचर डॉक्टर नरेश कात्यायन द्वारा फिल्मी दुनियां के एक प्रख्यात अभिनेता के लिए लिखे गए नाटक में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे । किंतु उस नाटक में लेखक के तौर पर डॉक्टर नरेश कात्यायन के नाम का कहीं पर उल्लेख नहीं किया गया था । नाटक ने दर्शकों का न सिर्फ भरपूर मनोरंजन किया बल्कि रंगकर्मियो ने नाटक की लेखन शैली की खूब सराहना भी की । यह बात अलग है कि नाटक के प्रदर्शन अर्थात प्रीमियर शो के समय मंच पर राहुल भूचर के साथ डॉक्टर नरेश कात्यायन की मौजूदगी भी रही थी, बावजूद इसके देश के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी राहुल भूचर और ख्यातिलब्ध लेखक डॉक्टर नरेश कात्यायन का उस समय परिचय नहीं हो पाया था ।
कला के साथ ही राम के लिए तन मन और धन से समर्पित दादा साहब फाल्के पुरुस्कार विजेता रंगकर्मी राहुल भूचर जो राजधानी दिल्ली के एक समृद्ध व्यवसाई भी हैं, ने राष्ट्रकवि डॉक्टर नरेश कात्यायन से किसी तरह परिचय करने के बाद भगवान श्रीराम के साथ ही रावण को केंद्र में रखकर रामायण पर नया नाटक लिखने का प्रस्ताव रखा । बतौर निर्माता राहुल भूचर के प्रस्ताव पर डॉक्टर नरेश कात्यायन ने नाटक लिखने की सहमति भी दे दी । लेकिन नरेश जी के समक्ष सबसे कठिन प्रश्न यह था कि रामायण और राम की कथा तो लोक विख्यात है ! नए नाटक में ऐसा क्या दिया जा सकता है ? जो समाज को आदर्श बनाने में सहायक सिद्ध हो और दर्शकों को सर्वथा नवीन और अब तक के अनदेखे दृश्य भी देखने को मिले ! डॉ. नरेश कात्यायन जी की एक बहुत पुरानी और देश विदेश मे विख्यात कविता "लव का आक्रोश" है ! जिसे मैंने भी मंचों से कई बार सुना है ! उसी कविता अर्थात सीता के "भूमि प्रवेश" से ही नाटक का आरम्भ किया गया । कई रामायणों और पुराणों के लोक विख्यात दृश्यों को वाक ओवर में निकाल कर सर्वथा नए दृश्यों एवम नए दृष्टिकोणों से इस नाटक की रचना की गई, और नाटक का नाम रखा गया "हमारे राम" ! मंच पर यह नाटक अपने सूत्रधार भगवान सूर्य के माध्यम से आगे बढ़ता है और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम व उनके चरित्र पर उंगलियां उठाने वालों को एक एक करके रचनात्मक उत्तर देता है !
लाइट और साउंड की विश्व स्तरीय नवीनतम तकनीकी के साथ ही नाटक के प्रमुख पात्रों राम- रावण और हनुमान की भूमिका निभाने वाले देश के श्रेष्ठतम रंगकर्मी के रूप में क्रमश: दादा साहेब फाल्के पुरुस्कार विजेता राहुल भूचर, फिल्म जगत के चमकते सितारे आशुतोष राणा के साथ ही उभरते सितारे दानिश अख्तर का अभिनय ऐसा जादू बिखेरता है कि दर्शक कुर्सियों से चिपकने के लिए मजबूर हो जाते है । रावण की भूमिका में फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा का महारानी मंदोदरी के साथ नाटक के दूसरे दृश्य में जब मंच पर आगमन होता है और पार्श्व में दशानन.! दशानन.!! की गूंजती हुई गर्वीली आवाज़ के साथ ही सतरंगी लाइट चमकती है तो घनघोर अंधेरे थियेटर में दर्शक भौचक रह जाते हैं । यही नहीं जिस समय मंच पर रावण अपने आराध्य भगवान भोले शंकर की पूजा करते समय पूजन सामग्री में नारियल न होने पर खड्ग से अपना सिर को काटकर शिवलिंग के समक्ष अर्पित करता है तो भगवान शंकर प्रकट होकर रावण को आशीष देते हुए कहते हैं कि "एक शीश के बदले रावण दश शीश तुझे मैं देता हूं" ! दशकन्धर होने का आशीर्वाद प्राप्त करते समय मंच के चारों ओर लगी एलईडी स्क्रीनों पर दश शीश के रूप में रावण को देखकर दर्शक अचंभित हो जाते हैं । नाटक के अन्य दृश्यों में रावण द्वारा रंभा का आलिंगन, नाक कान कटने के बाद सूर्पनखा का रावण के दरबार में रुदन के साथ ही सीता हरण के समय गीधराज से रावण का युद्ध व समुद्र पर पुल निर्माण के दृश्य दर्शकों को बेहद रोमांचित करते है ।
नाटक का निर्देशन गौरव भारद्वाज व सह निर्देशन एवं मंच संचालन राजीव दिनकर ने किया है । नाटक को संगीतवद्य किया है उद्भव ओझा एवं सौरभ मेहता ने जबकि आलोक श्रीवास्तव एवं रामकुमार के लिखे गीतों को आवाज दी है प्रख्यात गायक शंकर महादेवन, सोनू निगम, कैलाश खेर, उद्भव ओझा और सुवर्णा ने । नाटक में रम्भा का आकर्षक अभिनय किया है दीया मल्होत्रा ने । वशिष्ठ और जामवंत की भूमिका निभाई है प्रमोद कुमार ने और सुर्पणखा की भूमिका पर उत्कृष्ठ अभिनय किया है दीप्ति कुमार ने । जबकि विभीषन और दशरथ के रूप में संजय मखीजा, वाल्मीकि और माल्यवंत के रूप में सचिन जोशी मंदोदरी और कैकेयी के रूप में ज्योतिका सिंघल के साथ ही लव के रूप में आशीष व कुश के रूप में आकाश ने भूमिका निभाई है । भगवान सूर्यदेव की भूमिका में करण शर्मा, लक्षमण की भूमिका में भानु प्रताप तथा सीता के रूप हरलीन कौर रेखी के साथ ही भगवान शिवजी के रूप में तरुण खन्ना ने जबरदस्त अभिनय किया है।
15th April, 2024