यूरीड मीडिया- अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट से भाजपा ने चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाया है। वह कोई चर्चित चेहरा नहीं हैं और उनके नाम को लेकर कोई कयास भी नहीं थे। फिर भी अचानक उन्हें उतारकर भाजपा ने सियासी पंडितों को चौंकाया है तो वहीं सपा के रणनीतिकारों को भी सोचने पर मजबूर किया है। इसकी वजह विधानसभा सीट के समीकरण हैं, जिसका फायदा उठाते हुए सपा ने अवधेश प्रसाद को आगे बढ़ाया था तो वहीं भाजपा ने भी अब उसी दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। सपा ने यहां से दो बार विधायक रहे और अब सांसद चुने गए अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को चुनाव में उतारा है। वह पासी जाति से आते हैं। इसी तरह चंद्रभान पासवान भी पासी समाज के हैं। इलाके में ब्राह्मणों की भी अच्छी संख्या है। ऐसे में भाजपा को लगता है कि सपा के पासी वोट को बांटा जा सकेगा।
इसके अलावा ब्राह्मणों एवं अन्य मतदाताओं के सहारे चुनावी नैया पार लग सकती है। इस इलाके में यादव मतदाताओं की भी संख्या करीब 55000 हजार है। इसके अलावा मुस्लिमों की भी तादाद यहां अच्छी है। सपा इसी समीकरण का लाभ लेती रही है, लेकिन इसके सबसे अहम हिस्से पासी समुदाय को भाजपा तोड़ना चाहती है। इसीलिए चंद्रभान पासवान को उतारा गया है। एक तरफ सांसद के बेटे हैं तो वहीं दूसरी तरफ एक आम पासी नेता को उतारकर भाजपा बिरादरी को संदेश देना चाहती है। यहां 5 फरवरी को मतदान है और 3 तारीख तक चुनाव रहेगा। भाजपा ने इस सीट को प्रतिष्ठा का चुनाव माना है क्योंकि लोकसभा इलेक्शन में यहीं के विधायक रहे अवधेश प्रसाद अयोध्या से जीते थे। ऐसे में यहां से जीत हासिल कर भाजपा लोकसभा वाला बदला लेना चाहती है।
भाजपा ने यूपी सरकार के 7 मंत्रियों को मिल्कीपुर की जिम्मेदारी सौंपी है। ये नेता 3 फरवरी तक यहीं कैंप करेंगे। अवधेश प्रसाद ने यहां से 2012 और 2022 में जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 में भाजपा से ही हारे थे। अब चंद्रभान पासवान से उनके बेटे का मुकाबला है। चंद्रभान पासवान भले ही पूरे यूपी में पहचान नहीं रखते, लेकिन विधानसभा क्षेत्र में नया नाम नहीं हैं। उनकी पत्नी जिला पंचायत की सदस्य हैं। इसके अलावा वह खुद भी भाजपा की जिले की टीम में हैं।
चंद्रभान पासवान की एक सक्रिय नेता के तौर पर पहचान रही है। अब भाजपा से टिकट मिलना उनके लिए बड़ी सफलता है और यदि वह चुनाव जीते तो भाजपा को एक मजबूत दलित नेता भी मिलने की उम्मीद है। फिर इलाके में स्वतंत्र देव सिंह, जेपीएस राठौर, सूर्य प्रताप शाही समेत कई मंत्री इलाके में डटे हैं। मंत्रियों ने कैंप किया है तो जमीनी स्तर तक कार्यकर्ता भी ऐक्टिव हैं। माना जा रहा है कि इससे लोगों को मोबिलाइज करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा ब्राह्मणों एवं अन्य मतदाताओं के सहारे चुनावी नैया पार लग सकती है। इस इलाके में यादव मतदाताओं की भी संख्या करीब 55000 हजार है। इसके अलावा मुस्लिमों की भी तादाद यहां अच्छी है। सपा इसी समीकरण का लाभ लेती रही है, लेकिन इसके सबसे अहम हिस्से पासी समुदाय को भाजपा तोड़ना चाहती है। इसीलिए चंद्रभान पासवान को उतारा गया है। एक तरफ सांसद के बेटे हैं तो वहीं दूसरी तरफ एक आम पासी नेता को उतारकर भाजपा बिरादरी को संदेश देना चाहती है। यहां 5 फरवरी को मतदान है और 3 तारीख तक चुनाव रहेगा। भाजपा ने इस सीट को प्रतिष्ठा का चुनाव माना है क्योंकि लोकसभा इलेक्शन में यहीं के विधायक रहे अवधेश प्रसाद अयोध्या से जीते थे। ऐसे में यहां से जीत हासिल कर भाजपा लोकसभा वाला बदला लेना चाहती है।
भाजपा ने यूपी सरकार के 7 मंत्रियों को मिल्कीपुर की जिम्मेदारी सौंपी है। ये नेता 3 फरवरी तक यहीं कैंप करेंगे। अवधेश प्रसाद ने यहां से 2012 और 2022 में जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 में भाजपा से ही हारे थे। अब चंद्रभान पासवान से उनके बेटे का मुकाबला है। चंद्रभान पासवान भले ही पूरे यूपी में पहचान नहीं रखते, लेकिन विधानसभा क्षेत्र में नया नाम नहीं हैं। उनकी पत्नी जिला पंचायत की सदस्य हैं। इसके अलावा वह खुद भी भाजपा की जिले की टीम में हैं।
चंद्रभान पासवान की एक सक्रिय नेता के तौर पर पहचान रही है। अब भाजपा से टिकट मिलना उनके लिए बड़ी सफलता है और यदि वह चुनाव जीते तो भाजपा को एक मजबूत दलित नेता भी मिलने की उम्मीद है। फिर इलाके में स्वतंत्र देव सिंह, जेपीएस राठौर, सूर्य प्रताप शाही समेत कई मंत्री इलाके में डटे हैं। मंत्रियों ने कैंप किया है तो जमीनी स्तर तक कार्यकर्ता भी ऐक्टिव हैं। माना जा रहा है कि इससे लोगों को मोबिलाइज करने में मदद मिलेगी।
16th January, 2025