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राजेन्द्र द्विवेदी, यूरीड मीडिया- नेशनल ड्रग डिपेंडेंसी ट्रीटमेंट सेंटर और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की रिपोर्ट बहुत चौकाने वाली है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एवं प्रभावशाली नेताओं को एक साथ जुट कर आम राय से यह निर्णय करना चाहिए कि आबकारी से राजस्व बढ़ाने के लिए समाज और परिवार तबाह नहीं करेंगे। चिंता का विषय है कि जिस तरह से राज्य सरकारें आबकारी में नए-नए नियम बना कर राजस्व बढ़ाने के लिए निरंतर हर वर्ष लक्ष्य निर्धारित कर रही हैं, इससे देश के सामने अनेकों समस्याएं पैदा हो रही हैं। क्योंकि शराब पीने के कारण परिवार बर्बाद होते हैं, समाज में विघटन होता है, सड़क दुर्घटनाएं, अपराध और स्वास्थ्य खराब होते हैं। यह समस्या राजस्व बढ़ाने के चक्कर में देश के सामने बहुत गंभीर चुनौती बन गई है।
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में शराब की बिक्री से 2016-17 में ₹14,273 करोड़ की आय होती थी, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए 2024-25 में ₹51,000 करोड़ और 2025-26 में ₹55,000 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। 2011 की जनसंख्या के आधार पर किए गए सर्वे में उत्तर प्रदेश में शराब पीने वालों की संख्या 4 करोड़ 2 लाख पाई गई है, जो देश के 10 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों की कुल जनसंख्या से अधिक है।
1 लक्षद्वीप 64473
2 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 343709
3 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह 380581
4 पुडुचेरी 1247953
5 चंडीगढ़ 1055450
6 लदाख 133487
7 त्रिपुरा 3673917
8 मेघालय 2966889
9 मणिपुर 2855794
10 नागालैंड 1978502
11 गोवा 1458545
12 अरुणाचल प्रदेश 1383727
13 मिज़ोरम 1097206
14 सिक्किम 610577
15 हिमाचल प्रदेश 6864602
16 उत्तराखंड 10086292
यह बीमारी सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरा देश ग्रस्त है। हम यह कह सकते हैं कि शराब से आय बढ़ाने में सभी सरकारों के बीच समाजवाद है। भाजपा, कांग्रेस, ममता और अन्य क्षेत्रीय दल सरकार में हैं, वे सभी शराब से ही कमाई करना चाहते हैं। एक कहावत है कि सबसे सुरक्षित और अवैध कमाई शराब और खनन में ही है। हालांकि सबसे पिछड़े राज्य बिहार और प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में शराब बंदी है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण दूसरे राज्यों से शराब आती है, लोग शराब पीते हैं और कई बार जहरीली शराब पीने से मौतें भी हुई हैं।
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यह सर्वे देश के 186 जिलों में 4,73,569 लोगों के बीच किया गया है। इसके अनुसार, सर्वाधिक शराब पीने वाले दलित, पिछड़े और बहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा हैं, जहां 34% से अधिक लोग शराब पीते हैं। इसके बाद पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, अंडमान निकोबार आते हैं। उत्तर प्रदेश शराब पीने वालों की श्रेणी में 7वें स्थान पर है। यहां पर 23 प्रतिशत से अधिक लोग शराब पीते हैं। सर्वे में 10 से 75 वर्ष के महिला-पुरुष को शामिल किया गया है। सर्वे के अनुसार देश में औसत शराब पीने वालों की संख्या 14.6% है। राष्ट्रीय औसत से कम शराब पीने वाले राज्यों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, दादर नगर हवेली और पुडुचेरी, हिमाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मिजोरम, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू और कश्मीर आदि हैं। हिंदी भाषी राज्यों में राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जहां मात्र 2 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं।
17th February, 2025