
राजेन्द्र द्विवेदी, यूरीड मीडिया- देश मे ताकतवर नेताओं के भतीजे सियासी मुसीबत बन गए हैं। इनमे महाराष्ट्र में शरद पवार के भतीजे बहुत सयाने निकले। चाचा की बनाई हुई पार्टी निगल गए, चुनाव चिन्ह, पार्टी कार्यालय, राजनीतिक जमीन और चुने हुए सांसद-विधायक छीन लिए। शरद पवार राजनीतिक गठजोड़ और सियासत मे बहुत बड़े पुरोधा माने जाते हैं। महाराष्ट्र की सियासत उनके उँगलियों पर नाचती रही है। काँग्रेस पार्टी को तोड़कर सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी हासिल है लेकिन इन सब खूबियों और ताकत के रहते हुए भी भतीजे अजीत पवार ने चाचा से सब कुछ छीन लिया। उनका कद और पद छोटा किया, केवल अनुभव और उम्र जो नही छीन सकते वही बचा है, चाचा पैदल है भतीजा महाराष्ट्र सरकार मे ताकतवर उपमुख्यमंत्री है।
दूसरे दो भतीजे जिनके कारण ममता और मायावती बुआ परेशान हैं। मायावती जो बहुत ही ताकतवर और कड़े निर्णय लेने वाली उत्तरप्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रही जिन्होने बड़े-बड़े नेताओं को जो काशीराम के साथ संघर्ष करके बसपा का गठन किया और मायावती को सत्ता तक पहुंचाया, उन्हे ताश के पत्तो की तरह फेटा और जब चाहा निकाल बाहर कर दिया। कोई भी अलग होकर चुनौती देने की हिम्मत नही जुटा पाये और बयानो तक सीमित रह गए है लेकिन उत्तराधिकारी की मोह में भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोर्डिनेटर और 10 सितम्बर 2023 को राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके बाद लोकसभा चुनाव में हुए आक्रामक बयानबाजी के कारण अपरिपक्व आकाश को हटा दिया लेकिन 1 महीने के बाद 23 जून 2024 को फिर से कोर्डिनेटर बना दिया। आकाश आनंद दूसरी बार कोर्डीनेटर बनने के बाद काफी ताकतवर हो गए और पार्टी के बड़े-बड़े नेता उनके आस पास चक्कर लगाने लगे। देश मे हुए दिल्ली, हरियाणा विधानसभा चुनाव मे पूरी ज़िम्मेदारी दी गयी लेकिन परिणाम नकारात्मक रहा। आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ भी दक्षिण भारत के कोर्डिनेटर थे और मायावती से रिश्तेदारी का पूरा फायदा ले रहे थे। शिकायत हुई मायावती ने सिद्धार्थ को पार्टी से निष्काषित कर दिया। जिसका खुलकर नहीं बल्कि अंदर ही अंदर विरोध आकाश आनंद ने शुरू किया। ये बुआ को नागवार गुजरा और उन्होने मोह माया छोड़कर भतीजे को भी बाहर का राह दिखा दिया। भतीजे के आचरण और क्रियाकलाप से इतना आहात हो गयी कि उन्होंने घोषणा किया कि जिंदा रहते हुए किसी को राजनीतिक उत्तराधिकारी नही बनाऊँगी। भतीजे से आहात होने के बाद भी भाई आनंद कुमार को नेशनल कोर्डिनेटर बनाया। उनके साथ ही रामजी गौतम को नेशनल कोर्डिनेटर की ज़िम्मेदारी दी गयी। बुआ अभी भी भतीजे के सियासी हरकत से परेशान हैं।
ममता बनर्जी भतीजे अभिषेक बनर्जी से परेशान हैं। 40 वर्ष से अधिक राजनीतिक जीवन में जिसमे रेलमंत्री और 2011 से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है उन पर सीधे किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। उनकी जीवन-शैली बहुत सरल और साधारण है। सियासत में ममता संघर्ष की एक मिशाल है। केंद्र की भाजपा सरकार मोदी और अमित शाह की जोड़ी से लोहा ले रही है। ममता की जमीनी संघर्ष की ताकत मानी जाती है लेकिन अभिषेक बनर्जी अघोषित रूप से ममता बनर्जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी है। उनके खिलाफ़ भ्रष्टाचार के कई मुकदमे दर्ज हैं। ईडी, सीबीआई जैसी कई एजेंसियां जांच कर रही हैं और भतीजे के कारण बुआ पर भी भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के आरोप लग रहे हैं।
दूसरे दो भतीजे जिनके कारण ममता और मायावती बुआ परेशान हैं। मायावती जो बहुत ही ताकतवर और कड़े निर्णय लेने वाली उत्तरप्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रही जिन्होने बड़े-बड़े नेताओं को जो काशीराम के साथ संघर्ष करके बसपा का गठन किया और मायावती को सत्ता तक पहुंचाया, उन्हे ताश के पत्तो की तरह फेटा और जब चाहा निकाल बाहर कर दिया। कोई भी अलग होकर चुनौती देने की हिम्मत नही जुटा पाये और बयानो तक सीमित रह गए है लेकिन उत्तराधिकारी की मोह में भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोर्डिनेटर और 10 सितम्बर 2023 को राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके बाद लोकसभा चुनाव में हुए आक्रामक बयानबाजी के कारण अपरिपक्व आकाश को हटा दिया लेकिन 1 महीने के बाद 23 जून 2024 को फिर से कोर्डिनेटर बना दिया। आकाश आनंद दूसरी बार कोर्डीनेटर बनने के बाद काफी ताकतवर हो गए और पार्टी के बड़े-बड़े नेता उनके आस पास चक्कर लगाने लगे। देश मे हुए दिल्ली, हरियाणा विधानसभा चुनाव मे पूरी ज़िम्मेदारी दी गयी लेकिन परिणाम नकारात्मक रहा। आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ भी दक्षिण भारत के कोर्डिनेटर थे और मायावती से रिश्तेदारी का पूरा फायदा ले रहे थे। शिकायत हुई मायावती ने सिद्धार्थ को पार्टी से निष्काषित कर दिया। जिसका खुलकर नहीं बल्कि अंदर ही अंदर विरोध आकाश आनंद ने शुरू किया। ये बुआ को नागवार गुजरा और उन्होने मोह माया छोड़कर भतीजे को भी बाहर का राह दिखा दिया। भतीजे के आचरण और क्रियाकलाप से इतना आहात हो गयी कि उन्होंने घोषणा किया कि जिंदा रहते हुए किसी को राजनीतिक उत्तराधिकारी नही बनाऊँगी। भतीजे से आहात होने के बाद भी भाई आनंद कुमार को नेशनल कोर्डिनेटर बनाया। उनके साथ ही रामजी गौतम को नेशनल कोर्डिनेटर की ज़िम्मेदारी दी गयी। बुआ अभी भी भतीजे के सियासी हरकत से परेशान हैं।
ममता बनर्जी भतीजे अभिषेक बनर्जी से परेशान हैं। 40 वर्ष से अधिक राजनीतिक जीवन में जिसमे रेलमंत्री और 2011 से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है उन पर सीधे किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। उनकी जीवन-शैली बहुत सरल और साधारण है। सियासत में ममता संघर्ष की एक मिशाल है। केंद्र की भाजपा सरकार मोदी और अमित शाह की जोड़ी से लोहा ले रही है। ममता की जमीनी संघर्ष की ताकत मानी जाती है लेकिन अभिषेक बनर्जी अघोषित रूप से ममता बनर्जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी है। उनके खिलाफ़ भ्रष्टाचार के कई मुकदमे दर्ज हैं। ईडी, सीबीआई जैसी कई एजेंसियां जांच कर रही हैं और भतीजे के कारण बुआ पर भी भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के आरोप लग रहे हैं।
4th March, 2025