
यूरीड मीडिया- यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि भारत हम पर भारी टैरिफ/इंपोर्ट ड्यूटी लगाता है। हम भारत में कुछ भी नहीं बेच सकते, लेकिन अब कोई (ट्रम्प) है जो भारत के कारनामों की पोल खोल रहा है, इसलिए भारत टैरिफ में भारी कटौती करने को तैयार हो गया है।
यह लगातार तीसरी बार है जब ट्रम्प ने भारत के टैरिफ के बारे में टिप्पणी की है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व्यापार वार्ता के लिए वाशिंगटन में वहां के वित्त मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के साथ मुलाकात कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शनिवार को कहा कि अमेरिका के साथ नियोजित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दे सकता है।
जायसवाल ने कहा, "दोनों सरकारें बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में हैं। बीटीए के माध्यम से, हमारा उद्देश्य भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार को माल और सेवा क्षेत्र में मजबूत और गहरा करना, बाजार पहुंच बढ़ाना, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना और दोनों देशों के बीच सप्लाई चेन को मजबूत करना है।"
इससे पहले शनिवार को, लुटनिक ने दावा किया कि भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए जाने वाले टैरिफ दुनिया में सबसे अधिक हैं और उन्होंने नई दिल्ली से अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच एक "विशेष" द्विपक्षीय संबंध है।
दिल्ली में एक कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से बोलते हुए, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने भारत से अपने कृषि व्यापार को आयात के लिए खोलने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत अपने "सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार" अमेरिका के साथ व्यवहार करते समय "अधिक चतुर" हो जाता है।
लुटनिक ने कहा, "अच्छी बात यह है कि आपकी सरकार वास्तव में आपके बाजार को समझती है, और हम अपने बाजार को समझते हैं। और कुंजी यह है कि उस जगह को खोजने की कोशिश की जाए। तो हां, भारत के कृषि बाजार को खोलना होगा।"
इस घटनाक्रम से दो बातें सामने आई हैं। पीएम मोदी जिस तरह ट्रम्प से दोस्ती का दम भरते रहे हैं, उनके लिए अमेरिका जाकर प्रचार करते रहे हैं, ट्रम्प ने उसे कोई महत्व नहीं दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए सबसे पहले उनके देश के हित और कारोबार है। दूसरी बात जो सामने निकल कर आ रही है कि अब कृषि क्षेत्र को खोलने के लिए यूएस दबाव बना रहा है। अगर भारत का कृषि क्षेत्र अमेरिका के लिए खुलता है तो भारतीय खेती और किसानों के हितों की सुरक्षा किस तरह हो पायेगी, उसके बारे में स्थिति पहले से ही स्पष्ट है।
यह लगातार तीसरी बार है जब ट्रम्प ने भारत के टैरिफ के बारे में टिप्पणी की है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व्यापार वार्ता के लिए वाशिंगटन में वहां के वित्त मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के साथ मुलाकात कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शनिवार को कहा कि अमेरिका के साथ नियोजित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दे सकता है।
जायसवाल ने कहा, "दोनों सरकारें बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में हैं। बीटीए के माध्यम से, हमारा उद्देश्य भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार को माल और सेवा क्षेत्र में मजबूत और गहरा करना, बाजार पहुंच बढ़ाना, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना और दोनों देशों के बीच सप्लाई चेन को मजबूत करना है।"
इससे पहले शनिवार को, लुटनिक ने दावा किया कि भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए जाने वाले टैरिफ दुनिया में सबसे अधिक हैं और उन्होंने नई दिल्ली से अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच एक "विशेष" द्विपक्षीय संबंध है।
दिल्ली में एक कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से बोलते हुए, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने भारत से अपने कृषि व्यापार को आयात के लिए खोलने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत अपने "सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार" अमेरिका के साथ व्यवहार करते समय "अधिक चतुर" हो जाता है।
लुटनिक ने कहा, "अच्छी बात यह है कि आपकी सरकार वास्तव में आपके बाजार को समझती है, और हम अपने बाजार को समझते हैं। और कुंजी यह है कि उस जगह को खोजने की कोशिश की जाए। तो हां, भारत के कृषि बाजार को खोलना होगा।"
इस घटनाक्रम से दो बातें सामने आई हैं। पीएम मोदी जिस तरह ट्रम्प से दोस्ती का दम भरते रहे हैं, उनके लिए अमेरिका जाकर प्रचार करते रहे हैं, ट्रम्प ने उसे कोई महत्व नहीं दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए सबसे पहले उनके देश के हित और कारोबार है। दूसरी बात जो सामने निकल कर आ रही है कि अब कृषि क्षेत्र को खोलने के लिए यूएस दबाव बना रहा है। अगर भारत का कृषि क्षेत्र अमेरिका के लिए खुलता है तो भारतीय खेती और किसानों के हितों की सुरक्षा किस तरह हो पायेगी, उसके बारे में स्थिति पहले से ही स्पष्ट है।
8th March, 2025