यूरीड मीडिया डेस्क
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आज भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बन गया. आपको बता दे कि दुनिया के चार महत्वपूर्ण परमाणु टेक्नोलॅाजी निर्यात करने वाले खास देशों के समूह में एमटीसीआऱ बहुत अहम हैं। एमटीसीआऱ में सदस्यता के भारत ने पिछले साल ही आवेदन किया था।
यह फैसला फ्रांस की राजधानी पेरिस मे हुई बैठक में लिया गया।. इस फैसले के बाद भारत की राजधानी दिल्ली में फ्रांस, लक्जेमबर्ग व नीदरलैंड के राजदूतों के साथ इस फैसले कि सारी प्रकि्या पुरी की गई, और भारत अपने सभी समर्थकों को शुक्रिया कहा।
क्या है एमटीसीआर का मकसद
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- एमटीसीआर का मकसद मिसाइलों के प्रसार को प्रतिबंधित करना।
- रॉकेट सिस्टम को पूरा करने के अलावा मानव रहित जंगी जहाजों पर 500 किलोग्राम भार के मिसाइल को 300 किलोमीटर तक ले जाने की क्षमता वाली तकनीक को बढ़ावा देना है.
- बड़े विनाश वाले हथियारों और तकनीक पर पाबंदी लगाना इस समूह का मकसद है.
भारत बनेगा सुपर पावर
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- एमटीसीआर का सदस्य बनने से भारत को प्रमुख उत्पादक देशों से अत्याधुनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी और मॉनीटरिंग सिस्टम खरीद में मदद मिलेगी.
- सिर्फ एमटीसीआर सदस्य देश ही इसे खरीद सकते हैं.
- सदस्यता के साथ ही भारत के लिए अमेरिका से ड्रोन तकनीकी लेना सरल हो जाएगा.
- इसके साथ ही मिसाइल टेक्नोलॉजी का निर्यात कर सकेगा.
चीन और पाकिस्तान से आगे भारत
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- एमटीसीआर में कुल 34 प्रमुख मिसाइल निर्माता देश शामिल हैं.
- इसकी स्थापना 1987 में की गई थी.
- फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका , इटली और कनाडा इसके संस्थापक सदस्य रहे हैं.
- बुल्गारिया साल 2004 में इस समूह का सदस्य बना था.
- इसके बाद किसी नए देश को इसका मौका नहीं मिला. अभी तक चीन और पाकिस्तान इस विशेष समूह के सदस्य नहीं हैं.
भारत का अगला टारगेट
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- एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत दो अन्य समूहों ऑस्ट्रेलियन ग्रुप और वास्सेनार एग्रीमेंट में शामिल होने की कोशिश करने वाला है.
- एनएसजी की सदस्यता के लिए भी कोशिश जारी रखने की बात कही गई है.
- स्वरूप ने बताया कि सोमवार को भारत एमटीसीआर का पूर्ण रूप से सदस्य बन जाएगा.
16th September, 2016