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रामगोपाल से भयभीत अमर गाथा...

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रामगोपाल से भयभीत अमर गाथा...

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शिवपाल का दर्द--

सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी शिवपाल का मंत्री बने रहने की चाहत का जब खुलासा हुआ तो समर्थक सन्न रह गये। गुरूवार को सहकारिता विभाग के कार्यक्रम में शिवपाल गये परन्तु उनके वरिष्ठ अधिकारी शामिल नही हुए। हालात की नजाकत देख शिवपाल की पीड़ा चेहरे पर झलक आयी। जो अधिकारी उनके मंत्री रहते रात-दिन आगे पीछे लगे रहते थे, मंत्री पद से हटते ही नजर बचाने लगे। असल में शिवपाल को यह बात कई दिनों से अखर रही थी। दोबारा मंत्री पद से हटाये जाने के बाद गठबंधन को लेकर शिवपाल दिल्ली पहुंचे तो उन्हें बहुत दिनों बाद मंत्री पद का प्रोटोकाल न मिलने का दर्द दिखायी दिया। दिल्ली में न तो लालबत्ती गाड़ी आैर नही सायरन लगी यूपी पुलिस की गार्द साथ रही जिससे की राह से गुजरते लोगों को पता चले कि कोई वीआईपी जा रहा है। निजी गाड़ी में बैठे शिवपाल दिल्ली की भीड़ में खो गये। प्रदेश के अधिकारी उनकी नही सुनते, यह आरोप लगाते हुए शिवपाल ने भतीजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर अपना दबाव बनाने का प्रयास किया था परन्तु भतीजे ने एकदम से ही उन्हें पैदल कर दिया। शिवपाल की भाई के साथ भाभी के साथ वफादारी भी काम नही आयी आैर भतीजे के एक ही लंगड़पेंच में चचा धराशायी हो गये। बताते है कि मुख्यमंत्री पद का ख्वाब देखने वाले शिवपाल यादव को अब दिन में भी अखिलेश रूपी तारे दिखने लगे है।