लखनऊ -सरकार और राजभवन की एक दूसरे से नाराजगी किसी से छुपी नहीं है अभी तक जहाँ गवर्नर पर सरकार के काम में अड़ंगा लगाने की बात कही जाती थी वहीँ अब सरकार ने गवर्नर को रिटर्न गिफ्ट देते हुएगवर्नर के नए प्रोटो काल को नामंजूर कर दिया को इस बारे में यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, "ये कोई राजशाही नहीं है कि गवर्नर बैंड-बाजे के साथ जुलूस के रूप में राजा की तरह आएं।"
क्या है गवर्नर के नए प्रोटोकॉल में?
- नए प्रोटोकॉल के तहत गवर्नर का स्वागत पोर्टिको में होना था।
- गवर्नर को बैंड-बाजे के साथ विधानसभा तक ले जाना था।
- उनके साथ सीएम, मिनिस्टर ऑफ पार्लियामेंट्री अफेयर्स और चीफ जस्टिस को मौजूद रहना था।
- सीएम पहली बार राज्यपाल का स्वागत पोर्टिको में करते और उन्हें विदा करने भी पोर्टिको तक आते।
नए प्रोटोकॉल को क्यों नहीं मिली मंजूरी?
- विधानसभा सेक्रेटेरिएट ने प्रेसिडेंट की ओर से सभी राज्यों के लिए भेजे गए नए प्रोटोकॉल को फॉलो करने के लिए सभी तैयारियां कर रखीं थीं।
- सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार को ऑल पार्टी मीटिंग में सपा, अपोजिशन पार्टी बीएसपी, कांग्रेस और आरएलडी की राय बनी कि प्रेसिडेंट के निर्देश मानने के लिए विधानसभा बाध्य नहीं है। इसकी अपनी संप्रभुता है जो किसी के अधीन नहीं।
-ऑल पार्टी मीटिंग में तय किया गया है कि इस प्रपोजल को दोबारा पार्लियामेंट्री कमिटी में विचार के लिए भेजा जाएगा।
सीएम ने कहा- नया प्रोटोकॉल जरूरी नहीं
- सभी पार्टियों की ओर से नए प्रोटोकॉल पर आपत्ति जताए जाने के बाद सीएम ने कहा, "नया प्रोटोकॉल जरूरी नहीं है। ये सिर्फ एक सुझाव है। इस पर विधानसभा स्पीकर माता प्रसाद पांडेय को फैसला करना चाहिए।"
बीएसपी ने कहा- अंग्रेजों की परंपरा को न बढ़ाएं
अपोजिशन लीडर स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि गवर्नर को अंग्रेजों की परंपरा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। वे प्रेसिडेंट के सामन प्रोटोकॉल पाना चाहते हैं। ये भी चाहते हैं कि सदस्य शांति के साथ पार्लियामेंट की तरह उनकी बात सुनें। डेमोक्रेसी के लिए ये ठीक नहीं है।
- नए प्रोटोकॉल पर सहमति नहीं बनने के चलते अब पुराने प्रोटोकॉल को ही फॉलो किया जाएगा।
कुल मिलाकर सरकार की तरफ से गवर्नर को रिटर्न गिफ्ट माना जा रहा है ।
29th January, 2016