लखनऊ:-
जहां एक तरफ प्रदेश सरकार चिकित्सा के क्षेत्र अपनी उपलब्धियां गिनाते नहीं थक रही है तो वहीं प्रदेश के अस्पतालों कि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। बीते 13 नवम्बर 2014 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की योजना क्लीन यूपी-ग्रीन यूपी के तहत केजीएमयू को सर्वोच्च सूची में शामिल किया गया था। क्लीन यूपी-ग्रीन यूपी योजना के तहत किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज को 12 अप्रैल 2016 को प्रमाण पत्र, ट्रॉफी सहित 30 लाख रुपये की नकद राशि भी प्रदान की गयी थी। अखिलेश सरकार द्वारा पुरूस्कृत किए जाने के बाद केजीएमयू प्रशासन एक बार फिर अपने पुराने रवैये पर चल पड़ा है। केजीएमयू संस्थान के अंदर का अव्यवस्थित माहौल देखते ही मन में सिर्फ एक सवाल उठता है कि जहां व्यक्ति खुद को स्वस्थ करने आता है, उस संस्थान का प्रशासन खुद ही अस्वस्थ है।
अस्पताल के अव्यवस्थित माहौल को लेकर जब यूरिड मीडिया ग्रुप के रिपोर्टर ने केजीएमयू के चीफ़ मेडिकल ऑफिसर (सीएमएस) डॉ. एस.सी. तिवारी से बात की तो उनके एक के बाद एक गैर-जिम्मेदाराना जवाबों ने अस्पताल में फैले अव्यवस्थित माहौल व लापरवाही की तस्वीर और भी साफ कर दी। डॉ. तिवारी से पूछे जाने पर की ऑपरेशन थिएटर कॉम्प्लेक्स के अंदर लोग जूते-चप्पल पहन कर क्यूँ बैठे हैं, अस्पताल प्रशासन इस पर कोई कारवाई क्यू नहीं कर रहा है। इस सवाल के जवाब में डॉ. तिवारी ने बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना स्वभाव दिखाते हुए कहा कि "वे कौन लोग हैं, हम और आप मे से ही है। हम भी हो सकते हैं, आप भी हो सकते हैं। ये भी हो सकते हैं, वो भी हो सकते हैं। हमको अपना स्वभाव बदलना चाहिए। इतने लिखने के बावजूद अब एक ही काम बचा है की लोगों की गर्दन पकड़ कर वहीं उनसे कुछ और किया जाए जो की संभव नहीं है, जब लोग ही ऐसे है तो प्रशासन कितनी चौकसी रखे"।
केजीएमयू के गांधी वार्ड के गेट पर साफ लिखा हुआ है कि पान-पुड़िया खाते पाये जानें पर 200 रुपये जुर्माना लगेगा, लेकिन वहाँ पर मौजूद गार्ड और सीएमएस कार्यालय की बिल्डिंग के एक्सरे रूम में कार्यरत व्यक्ति ही पान मसाला खाते नजर आए। इस पर डॉ० तिवारी से सवाल किए जाने पर उन्होने कारवाई ना करके, बात को टालते हुए ''स्वच्छता के लिए चंद कदम'' पर लेख लिखने का शीर्षक तक दे डाला साथ ही गैर-जिम्मेदाराना जवाब देते हुए समाजसेवा करने की बात तक कह दी।
इतने बड़े अस्पताल के सीएमएस ही इस प्रकार की बातें करेंगे तो वहाँ के मरीजो को कितनी सुविधाये मिलेंगी इसका अंदाजा हम केजीएमयू सीएमएस डॉ. एस.सी. तिवारी कि बातों से ही लगा सकते हैं। केजीएमयू लखनऊ का एक बड़ा अस्पताल है जहां रोजाना करीब 7 से 10 हज़ार मरीज आते हैं।
आपको बता दें डॉ. एस.सी.तिवारी पर नर्सेस संघ द्वारा उत्पीड़न का आरोप भी लगाया गया था जिसके चलते केजीएमयू की नर्सेस आने वाले 2 अगस्त को हड्ताल करेंगी।
शिवेंद्र श्रीवास्तव
27th August, 2016