लखनऊ -उत्तर प्रदेश में जहाँ पिछले दिनों में प्रदेश के दर्शनीय स्थलों को लेकर लोगों को रिझाया जा रहा है वहीँ एक और बात काबिले तारीफ है कि यहाँ के उच्च पदस्थ अधिकारी भी झूठ बोलने लगे हैं यही नहीं उन्होंने बाकायदा पीठ थपथपा कर एक प्रेस नोट भी जारी कर दिया आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान से हटा कर आर्थिक अपराध अनुसन्धान ईकाई (ईओडब्ल्यू) से कराये जाने के हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किये जाने पर प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पांडा एवं अन्य अफसरों पर कार्यवाही हेतु याचिका आज इलाहबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच द्वारा ख़ारिज कर दी गयी.
जस्टिस ए पी साही और जस्टिस ए आर मसूदी की बेंच ने कहा कि महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने विशेष सचिव, सतर्कता ह्रदय नारायण का 28 जनवरी 2016 का पत्र कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार विवेचना ईओडब्ल्यू से कराने और विवेचना सम्बन्धी सारे अभिलेख ईओडब्ल्यू को देने के आदेश हो गए हैं जिसके अनुपालन में संयुक्त निदेशक, सतर्कता ने 29 जनवरी को आदेश जारी कर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि चूँकि कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो गया है, अतः इस मामले में किसी अग्रिम कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है और याचिका ख़ारिज की जाती है.
साथ ही अमिताभ ने इस मामले में अफसरों द्वारा एक झूठा प्रेसनोट जारी करने पर भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसमे कहा गया कि अमिताभ और उनके अधिवक्ता अशोक पाण्डेय को कड़ी फटकार लगाते हुए उनपर 50,000 रुपये का अर्थदंड लगाया गया. अमिताभ ने कहा कि यह झूठा प्रेसनोट उच्चस्तरीय अफसरों की निजी मंशा को पूरी तरह प्रमाणित करता है कि कैसे वे लोग मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दवाब में एक अफसर से खुलेआम लड़ रहे हैं.
6th February, 2016