यूरीड मीडिया डेस्क:-
आज कल आधार कार्ड की ज़रूरत को देखते हुए आम लोगों को ठगी का शिकार बनाने का सबसे अच्छा जालसाज़ों ने खोज निकाला है | किसी भी प्रमुख बाजार या मार्ग पर सौ दो सौ रुपये लेकर प्लास्टिक के आधार कार्ड बनाने वालों से सावधान होने की जरूरत है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने गाइडलाइन जारी कर ऐसे फ्रॉड करने वालों से बचने की सलाह दी है।
अधिकारियों की माने तो..
- आधार बनाने वाली सरकारी संस्था यूआईडीएआई के महानिदेशक डॉ. अजयभूषण पांडेय ने कहा है कि आधार धारक ऐसी अवैध एजेंसियों के झांसे में न आएं।
- प्लास्टिक के स्मार्ट आधार कार्ड छापने जैसी व्यवस्था नहीं है।
- आधार पत्र या इसका काटा गया हिस्सा अथवा किसी सामान्य कागज पर आधार का डाउनलोड किया संस्करण पूरी तरह वैध है।
- प्राधिकरण से भेजे गए कार्ड को भी लेमिनेट कराने की आवश्यकता नहीं है।
- आधार कार्ड खोने पर नंबर की मदद से वेबसाइट से दोबारा डाउनलोड किया जा सकता है।
- प्लास्टिक कार्ड के लिए अधिकृत सामान्य सेवा केंद्र अथवा स्थायी आधार नामांकन केंद्र पर 30 रुपये देकर प्रिंट करा लें।
- यहां कार्ड धारक की व्यक्तिगत सूचनाएं पूरी तरह गोपनीय और सुरक्षित रखी जाएंगी।
प्लास्टिक का आधार कार्ड बनवाने के लिए लोग अक्सर अनाधिकृत एजेंसी से संपर्क करते हैं व उनसे अपनी व्यक्तिगत जानकारीयां भी सांझा करते हैं जो की उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है व उनके द्वारा दी गयी जानकारी आगे जाकर उनके खिलाफ फ्रॉड का जरिया भी बन सकती हैं |
नकली आधार कार्ड प्रिंट करने पर सजा का प्रावधान
- प्राधिकरण ने ई-कॉमर्स कंपनियों को भी उनसे जुडे़ व्यापारियों द्वारा आधार कार्ड से जुड़ी सूचना लेने को मना करने का निर्देश दिया गया है।
- ऐसी सूचना एकत्र करना या अनाधिकृत रूप से आधार प्रिंट करना दंडनीय अपराध है।
- ऐसे लोगों की किसी भी प्रकार से मदद करना भी एक दंडनीय अपराध है।
- इसमें भारतीय दंड संहिता तथा आधार टार्गेटेड डिलीवरी ऑफ फाइनेंसियल एंड अदर सब्सिडीज बेनेफि ट्स एंड सर्विसेस अधिनियम 2016 में जेल भेजने का प्रावधान है।
17th October, 2016