लखनऊ-- जुर्म की दुनिया में आए दिन खबरे सुर्खियां बनती जा रही हैं| और हमे रोज कोई न कोई वरदाते देखने को मिल रही हैं| ऐसा ही एक जुर्म है साइबर क्राइम| जिसे अंजाम देने वाले शातिर अपराधी किसी भी जगहों पर बैठकर बड़ी वारदातों को आसानी से अंजाम दे सकते हैं| साइबर क्राइम के इन मामलों में आईपीसी की धाराएं इतनी सख्त हैं कि दोषी को मामूली जुर्माने से लेकर उम्रकैद तक हो सकती हैं|
क्या हैं साइबर अपराध--
- आज कम्प्यूटर और इंटरनेट का युग हैं|
- कम्पयूटर की मदद के बिना किसी बड़े काम करना अब मुश्किल हो गया हैं|
- ऐसे में अपराधी तकनीक गतिविधियो के सहारे हाईटेक हो रहे हैं|
- जो जुर्म करने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज और वर्ल्ड वाइड वेब आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं|
- ऑनलाइन ठगी या चोरी भी इसी श्रेणी का अहम गुनाह होता हैं|
- किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना ये सभी तरीके साइबर क्राइम की श्रेणी में आते हैं|
- साइबर क्राइम दुनिया भर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां के लिए परेशानी का सबब बन गया है|
क्या कहता हैं कानून--
- भारत में भी साइबर क्राइम मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा हैं|
- सरकार ऐसे मामलों को लेकर बहुत गंभीर हैं|
- भारत में साइबर क्राइम के मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 लागू होते हैं|
- मगर इसी श्रेणी के कई मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है.
आईटी कानून--
- साइबर क्राइम के कुछ मामलों में आईटी डिपार्टमेंट की तरफ से जारी किए गए आईटी नियम 2011 के तहत भी कार्रवाई की जाती हैं|
- इस कानून में निर्दोष लोगों को साजिशों से बचाने के इतंजाम भी हैं|
- कंप्यूटर, इंटरनेट और दूरसंचार इस्तेमाल करने वालों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि उनसे जाने-अनजाने में कोई साइबर क्राइम तो नहीं हो रहा हैं|
हैकिंग धाराएं और सजा--
- किसी कंप्यूटर, डिवाइस, इंफॉर्मेशन सिस्टम या नेटवर्क में अनधिकृत रूप से घुसपैठ करना और डेटा से छेड़छाड़ करना हैकिंग कहलाता हैं|
- यह हैकिंग उस सिस्टम की फिजिकल एक्सेस और रिमोट एक्सेस के जरिए भी हो सकती हैं|
- जरूरी नहीं कि ऐसी हैकिंग के दौरान उस सिस्टम को नुकसान पहुंचा हो|
- घुसपैठ करना साइबर क्राइम के तहत आता है, जिसके लिए सजा का प्रावधान हैं|
- आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (ए), धारा 66 - आईपीसी की धारा 379 और 406 के तहत अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल या पांच लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
डेटा चोरी करने पर--
- किसी व्यक्ति, संस्थान या संगठन आदि के किसी सिस्टम से निजी या गोपनीय डेटा या सूचनाओं की चोरी करना भी साइबर क्राइम हैं|
- अगर किसी संस्थान या संगठन के अंदरूनी डेटा तक आपकी पहुंच है, लेकिन आप अपनी उस जायज पहुंच का इस्तेमाल संगठन की इजाजत के बिना, उसके नाजायज दुरुपयोग की मंशा से करते हैं, तो वह भी इसी अपराध के दायरे में आएगा।
- कॉल सेंटर या लोगों की जानकारी रखने वाले संगठनों में इस तरह की चोरी के मामले सामने आते रहे हैं|
- ऐसे मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी), आईपीसी की धारा 379, 405, 420 और कॉपीराइट कानून के तहत दोष साबित होने पर अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल या दो लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.
पहचान की चोरी--
- किसी दूसरे शख्स की पहचान से जुड़े डेटा, गुप्त सूचनाओं वगैरह का इस्तेमाल करना भी साइबर अपराध हैं |
- यदि कोई इंसान दूसरों के क्रेडिट कार्ड नंबर, पासपोर्ट नंबर, आधार नंबर, डिजिटल आईडी कार्ड, ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन पासवर्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर वगैरह का इस्तेमाल करके शॉपिंग या धन की निकासी करता है तो वह इस अपराध में शामिल हो जाता है |
- जब आप किसी दूसरे शख्स के नाम पर या उसकी पहचान का आभास देते हुए कोई जुर्म करते हैं, या उसका नाजायज फायदा उठाते हैं, तो यह जुर्म आइडेंटिटी थेफ्ट के दायरे में आता हैं |
- ऐसा करने वाले पर आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी), आईपीसी की धारा 419 लगाए जाने का प्रावधान है. जिसमे दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है |
पोर्नोग्राफी--
- इंटरनेट के माध्यम से अश्लीलता का व्यापार भी खूब फैल रहा हैं |
- ऐसे में पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार बन गया हैं |
- जिसके दायरे में ऐसे फोटो, विडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती हैं , जो यौन, यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित हो |
- ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से प्रकाशित करने, किसी को भेजने या किसी और के जरिए प्रकाशित करवाने या भिजवाने पर पोर्नोग्राफी निरोधक कानून लागू होता हैं |
- दूसरों के नग्न या अश्लील वीडियो तैयार करने वाले या ऐसा एमएमएस बनाने वाले या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से इन्हे दूसरों तक पहुंचाने वाले और किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील संदेश भेजने वाले लोग इसी कानून के दायरे में आते हैं|
- पोर्नोग्राफी प्रकाशित करना और इलेक्ट्रॉनिक जरियों से दूसरों तक पहुंचाना अवैध है, लेकिन उसे देखना, पढ़ना या सुनना अवैध नहीं माना जाता है।
- जबकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी अवैध माना जाता है |
- इसके तहत आने वाले मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए), आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के तहत सजा का प्रावधान है |
- जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल तक की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है लेकिन दूसरी बार गलती करने पर जेल की सजा सात साल तक बढ़ सकती है|
महिलाओं को तंग करना--
- ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग करने के मामले अक्सर सामने आते हैं |
- इन आधुनिक तरीकों से किसी को अश्लील या धमकाने वाले संदेश भेजना या किसी भी रूप में परेशान करना साइबर अपराध के दायरे में ही आता है |
- किसी के खिलाफ दुर्भावना से अफवाहें फैलाना, नफरत फैलाना या बदनाम करना भी इसी श्रेणी का अपराध है|
- इस तरह के केस में आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के तहत सजा का प्रावधान है |
- दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है |
4th October, 2016