यूरीड मीडिया ब्यूरों--
उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर जहां एक तरफ सियासी पारा अपनी चरम सीमा पर चढ रहा है औऱ सभी राजनैतिक पार्टीयां अपनी अपनी रणनीति बनाने में लगी है तो वही काग्रेंस भी किस पर दावं लगाएगीं इस पर काफी लम्बें समय से लगाये जा रहे कयासो के बाद आज काग्रेंस के नेता जनार्दन द्विवेदी ने साफ कर दिया की 2017 काग्रेंस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की दावेदार शीला दीक्षित होगी।
काग्रेंस का इतिहास
--
1989 में उत्तर प्रदेश में सत्ता से हटने के बाद आज काग्रेंस जिस मुकाम पर खड़ी है उसके लिए काग्रेंस की समर्थन व गठबन्धन की नीतियां ही जिम्मेदार है। सांम्प्रादायिक ताकतों को रोकने के नाम पर कभी सपा को सरकार चलाने का समर्थन तो कभी 1996 में बसपा से चुनावी गठबन्धन की सियासत से कार्यकर्ताओं का मनोबल टुट गया है। 2017 में जिस जातीय समीकरण पर चुनाव लड़ने की तैयारी काग्रेंस कर रही है, उससे बहुत सारथक परिणाम निकलना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि 1989 के बाद उत्तर प्रदेश में ठाकुर, पंडित, दलित, मुस्लिम के बडे-बडे नेताओं को प्रदेश की कमान दी गयी। वो चुनाव परिणाम बताते है कि वो सभी असफल रहे है। काग्रेंस पुरानी पार्टी है उसे सत्ता में आने के लिए प्रदेश के सर्वागीण विकास की रुपरेखा को लेकर जनता के बीच उतरना चाहिए, न की अन्य राजनैतिक दलों की तरह धार्मिक व जातीय समीकरण में उलझना चाहिए।
14th July, 2016