यूरिड मीडिया डेस्क:-
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों, गैर-सरकारी और सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों को 25 फीसदी सीटें देने का नियम है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल ने 13 बच्चो को दाखिला तो दे दिया, लेकिन कुछ दिनों के बाद कोर्ट में अर्जी लेकर पहुँच गया। स्कूल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है की लखनऊ मे कई और स्कूल है जो इन गरीब बच्चों के घरों के पास हैं। इसलिए बच्चो को इन स्कूलों मे शिफ्ट किया जा सकता हैं। इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगते हुए कहा "बच्चे फूटबाल नहीं जो इधर से उधर फेंके जाएं"।
- कोर्ट के आदेश के बाद लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल ने तेरह गरीब बच्चों को प्रवेश दिया था,लेकिन अब इन बच्चो को पढ़ाने से आना कानी कर रहा है।
- सीएमएस ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है।
- कोर्ट नें स्कूल की अर्जी के बाद यूपी सरकार से दो हफ्ते में जवाब देने को कहते हुए कोर्ट नें सुनवाई स्थगित कर दी।
- यूपी सरकार क वकील ने कहा की बच्चो को नहीं निकाला जाना चाहिए ,सरकार नें बच्चो को सीएमएस में ही रखने का निर्णय लिया है।
- जिलाधिकारी के आदेश पर बेसिक शिक्षा अधिकरी कार्यालय से तय किया जाता है की किस बच्चे का किस स्कूल में दाखिला होगा।
- सत्र 2016-2017 में राजधानी के 2418 छात्र-छात्राओ को प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क सीट पर शिक्षा का लाभ मिलेगा।
- बीएसए अनुसार सीएमएस के अलावा नवयुग रेडियंस, न्यू वे पब्लिक, अवध स्कूल भी है जोकि दाखिले लेने में आना कानी कर रहे है।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों, गैर-सरकारी और सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों को 25 फीसदी सीटें देने का नियम है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल ने 13 बच्चो को दाखिला तो दे दिया, लेकिन कुछ दिनों के बाद कोर्ट में अर्जी लेकर पहुँच गया। स्कूल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है की लखनऊ मे कई और स्कूल है जो इन गरीब बच्चों के घरों के पास हैं। इसलिए बच्चो को इन स्कूलों मे शिफ्ट किया जा सकता हैं। इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगते हुए कहा "बच्चे फूटबाल नहीं जो इधर से उधर फेंके जाएं"।
23rd July, 2016